Thursday , 25 April 2024
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रोगो से बचने के लिए दिनचर्या।

रोगो से बचने के लिए दिनचर्या।

अगर आप हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करना होगा। भारतीय संस्कृति के अनुरूप अपने पूर्वजो के दिए हुए ज्ञान को जीवन में आत्मसात करे और आरोग्य की प्राप्ति करे।

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सुबह की सैर।

सुबह सूर्य निकलने से पहले पार्क या हरियाली वाली जगह पर सैर करना सम्पूर्ण स्वस्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। इस समय हवा में प्राणवायु का बहुत संचार रहता हैं। जिसके सेवन से हमारा पूरा शरीर रोग मुक्त रहता हैं और हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती हैं।

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योग और प्राणायाम।

हमारे ऋषियों मुनियो की अनुपम खोज हैं योगा और प्राणायाम। अगर आप चाहते हैं के आप 100 वर्ष तक निरोगी जवान और खूबसूरत बने रहे तो आप नित्य कम से कम आधा घंटा योग और प्राणायाम का अभ्यास ज़रूर करे।

ध्यान (मैडिटेशन)

हमारा शरीर हमारे मन के विचारो का आइना हैं, जैसा हमारा मन होगा वैसा ही हमारा ये तन होगा, इसलिए ज़रूरी हैं के हम अपने मन के स्वस्थ्य पर पूर्ण ध्यान दे। ध्यान स्वस्थ्य को पाने की अनूठी विधि हैं, हमारे पूर्वजो ने इसको बहुत पहले ही समझ लिया था, जिस कारण से उन्होंने अनेक विधियों का निर्माण किया, जिस से हम ध्यान मार्ग से अपने स्वस्थ को पा सके। आज पाश्चात्य जगत में इसकी बहुत महिमा हैं, जिस कारण ये विदेशो से होता हुआ हमारे पास वापिस आ रहा हैं। हर रोज़ कम से कम 15 से 20 मिनट मैडिटेशन ज़रूर करे।

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दातुन।

दातुन हमारे पूर्वजो की वो विरासत हैं जिसको अगर हम संभाल ले तो आरोग्य का खज़ाना प्राप्त कर सकते हैं। दातुन सिर्फ दाँतो के लिए ही लाभदायक नहीं हैं वरन ये हमारे सम्पूर्ण शरीर के जटिल रोगो से लड़ने में भी बहुत सहाई हैं। मगर आज पाश्चात्य जगत के पिछलगू बन कर हमने अपनी इस महान धरोहर को भुला दिया, इसी के परिणामस्वरूप हम आज ऐसी अस्वस्थ परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं।

ताम्बे का पानी – उषा पान।

रात को ताम्बे के बर्तन में रखा हुआ पानी सुबह उठते बिना कुल्ला किये ही पिए, निरंतर ऐसा करने से आप कई रोगो से बचे रहेंगे। ताम्बे के बर्तन में रखा जल गंगा जल के समान शक्तिशाली माना गया हैं।

[Click here to Read. क्या हैं उषा पान, क्यों हैं आयुर्वेद में अमृत समान।]

शौच।

ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा। अधिक चटपटे, ठन्डे और गर्म पदार्थ सेवन नहीं करे। अति ठन्डे और गर्म सेवन से दांत, गला खराब हो जाता हैं। सरसों का तेल और नमक मिलाकर दांत मलने से दांत अच्छे रहते हैं।

मालिश।

मालिश की आयुर्वेद में बहुत महिमा हैं। इस से शरीर का रक्त गतिमान रहता हैं, बुढ़ापा और रोग दोनों ही नज़दीक नहीं फटकते। स्नान करने से आधा घंटा पहले सर के ऊपरी हिस्से की सरसों के तेल से मालिश करे। इस से सर हल्का रहेगा, मस्तिष्क ताज़ा रहेगा। रात को सोने से पहले पैर के तलवो, नाभि, कान के पीछे और गर्दन पर सरसों के तेल की मालिश कर के सोएं। निद्रा अच्छी आएगी, मानसिक तनाव दूर होगा। त्वचा मुलायम रहेगी। सप्ताह में एक दिन पुरे शरीर में मालिश ज़रूर करे।

नेत्र स्नान।

मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व् कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं।

निद्रा।

दिन में जब भी विश्राम करे तो दाहिनी करवट ले कर सोएं। और रात में बायीं करवट ले कर सोये। दाहिनी करवट लेने से बायां स्वर अर्थात चन्द्र नाड़ी चलेगी और बायीं करवट लेने से दाहिना स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलेगा। इसके लिए स्वर विज्ञान की बहुत पुरानी कहावत हैं।
दिन में तो चंदा चले, चले रात में सूर्य
तो यह निश्चित जानिए, प्राण गमन बहु दूर।।

अर्थात जिन लोगो का दिन में चन्द्र स्वर और रात्रि में सूर्य स्वर चलता हैं वो लम्बी आयु जीते हैं।

आंवला।

किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा।

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मेथी।

मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले इस पानी में। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा।

छाछ।

तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर हैं। सुबह और दोपहर के भोजन में नित्य छाछ का सेवन करे। भोजन में पानी के स्थान पर छाछ का उपयोग बहुत हितकर हैं।

हरड़।

हर रोज़ एक छोटी हरड़ भोजन के बाद दाँतो तले रखे और इसका रस धीरे धीरे पेट में जाने दे। जब काफी देर बाद ये हरड़ बिलकुल नरम पड़ जाए तो चबा चबा कर निगल ले। इस से आपके बाल कभी सफ़ेद नहीं होंगे, दांत 100 वर्ष तक निरोगी रहेंगे और पेट के रोग नहीं होंगे, कहते हैं एक सभी रोग पेट से ही जन्म लेते हैं तो पेट पूर्ण स्वस्थ रहेगा।

टाइफाइड।

चुटकी भर दालचीनी की फंकी चाहे अकेले ही चाहे शहद के साथ दिन में दो बार लेने से टाइफाईड नहीं होता।

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नाक।

रात को सोते समय नित्य सरसों का तेल नाक में लगाये। हर तीसरे दिन दो कली लहसुन रात को भोजन के साथ ले। प्रात: दस तुलसी के पत्ते और पांच काली मिर्च नित्य चबाये। सर्दी, बुखार, श्वांस रोग नहीं होगा। नाक स्वस्थ रहेगी।

कानो में तेल।

सर्दियों में हल्का गर्म और गर्मियों में ठंडा सरसों का तेल तीन बूँद दोनों कान में कभी कभी डालते रहे। इस से कान स्वस्थ रहेंगे।

सौंठ।

सामान्य बुखार, फ्लू, जुकाम और कफ से बचने के लिए पीसी हुयी आधा चम्मच सौंठ और ज़रा सा गुड एक गिलास पानी में इतना उबाले के आधा पानी रह जाए। रात क सोने से पहले यह पिए। बदलते मौसम, सर्दी व् वर्षा के आरम्भ में यह पीना रोगो से बचाता हैं। सौंठ नहीं हो तो अदरक का इस्तेमाल कीजिये।

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2 comments

  1. If person is suffering from alopecia last 5 years in which she has lost all her parts of body hair…..how ayurveda can help her to get her hair back.
    pls advice .

  2. Bahut hi upyogi matter is site ke dwara mila bahut hi accha aur useful sanshtha hai onlyayurved

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