Thursday , 28 March 2024
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एक मिनट के इस टिप से दूर होगी अनिद्रा की शिकायत

एक मिनट के इस टिप से दूर होगी अनिद्रा की शिकायत

हमें जीवन पर्यंत स्वस्थ रहने के लिए नींद अति आवष्यक है। राष्ट्रीय निद्रा संस्थान के अनुसार एक व्यक्ति के शरीर के विभिन्न कार्यो को सुचारू रूप से चलाने के लिए निद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण है।

एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा कि इस दुनिया में सबसे प्यारी चीज क्या है? बीरबल ने जवाब दिया- नींद। जीने के लिए खाना जितना जरूरी है उतनी ही नींद भी। रिसर्च के अनुसार इंसान 12-15 दिन तक बिना खाये रह सकता है लेकिन बिना सोए छ: दिन से ज्यादा नहीं रह सकता। तो ऐसे में नींद की जरूरत को समझा जा सकता है। शहरीकरण का सबसे ज्यादा नुकसान इंसान को अपनी नींद खोकर चुकाना पड़ा है। आज अधिक से अधिक शारीरिक औऱ मानसिक मेहनत कर लेने के बावजूद अनिद्रा की समस्या के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसा क्‍यों हो रहा है और कैसे चैन की नींद लें, इसके बारे में इस लेख में जानते हैं।

  • शहरीकरण के दौर में अनिद्रा सबसे बड़ी बीमारी है।
  • अधिकतर लोग इनसोमनिया डिसऑर्डर के शिकार हैं।
  • “4-7-8” ब्रीथिंग ट्रिक इस डिसऑर्डर का बेहतर उपाय है।
  • इसमें हार्टबीट स्लो होती है और दिमाग को आराम मिलता है।

इनसोमनिया डिसऑर्डर

इंसान में कई तरह के स्लीपिंग डिसऑर्डर पाए जाते हैं। उनमें इनसोमनिया डिसऑर्डर सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है। इस बीमारी में मरीज रात को बिस्तर में लेटने के बाद भी जगे रहता है। पूरी कोशिश के बाद भी मरीज को नींद नहीं आती और वह बिस्तर पर लेटकर करवटें बदलता रहता है।

विशेषज्ञों के अनुसार 18 से 40 वर्ष तक के आयु वाले हर इंसान को 6 घंटे की नींद ज़रूरी होती है। लेकिन आज देर रात तक जागकर काम करने को लोगों ने क्रिएटिविटी का नाम दिया है। रात तक जागकर काम करने से एक समय के बाद अनिद्रा की शिकायत होना आम समस्या बन जाती है। ऐसे में एक समय के बाद रात को नींद नहीं आती।

एक मिनट के इस टिप से दूर होगी अनिद्रा की शिकायत

“4-7-8” ब्रीथिंग ट्रिक

संगीता पिछले कई दिनों से रातों को सो नहीं पा रही थी। उसने जब एक सप्ताह रातों को करवटें बदलकर काटे तो उसने विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बारे में सोचा। संगीता ने जब अपने फैमिली डॉक्टर से इस समस्या के बारे में बताया तो उन्होंने संगीता को “4-7-8” ब्रीथिंग ट्रिक की सलाह दी। सबसे आश्चर्य की बात है की ये ट्रिक संगीता के लिए फायदेमंद साबित हुई।

ये ट्रिक है क्या?

इस ट्रिक की खोज हार्वर्ड से पढ़े डॉ एंड्रयू वेल ने की, जिन्होंने मेडिटेशन, ब्रिथिंग और तनाव मुक्त करने पर स्टडी की है। यह ट्रिक करने में काफी आसान है और इसे करने में मुश्किल से एक मिनट से भी कम समय लगता है। नाक से चार सकेंड तक के लिए सांस लें, सात सकेंड तक इसे रोक कर रखें, और आठ सकेंड तक इसे छोड़ते रहें। इससे हार्टबीट स्लो होती है और ब्रेन में एक केमीकल रीलिज होता है जिससे हमें आराम मिलता है।

जब हम तनाव में होते हैं तो एंडोक्राइन सिस्टम एड्रेनल ग्लैंड से एड्रेनालाइन रीलिज़ करता है। इससे हार्टबीट बढ़ती है और शरीर में तनाव पैदा होता है। इस ब्रीथिंग ट्रिक के जरिये जो केमीकल रीलिज होता है वो एड्रेनालाइन का काउंटरएक्ट होता है जो हार्टबीट को धीरे करता है। शुरुआत में ये ट्रिक थोड़ी अनकम्फर्टेबल लगती है। लेकिन लगातार उपयोग से आपके शरीर और दिमाग दोनों को आराम मिलता है।

रात को सोने से पहले गर्म दूध का सेवन हितकारी है

इस तकनीक को आजमाने के बाद भी अगर आपकी समस्‍या का समाधान नहीं हो रहा है तो चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य लें।

अच्छी निंद के अन्य तरीकें:

कुछ अन्य तरीकें जो हमें अच्छी नींद लाने मे सहायक हो सकते है।

हमें देर शाम के वक्त भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस प्राणायाम के अभ्यास से बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो कि निद्रा के आने मे बाधक होती है।

हमें रात्रि के समय उतेजक व डराने वाले टी.वी कार्यक्रामों को देखने से बचना चाहिए, क्योकि इनका विचार पुरे रात भर दिमाग मे घूमता रहता है। इसके स्थान पर हल्का संगीत जैसे मंत्रोच्चारण सुनना या किताब पढ़ना नींद को लाने में सहायक हो सकता है।

हमें अपने सोने की एक शैली बनानी चाहिए। दिन मे किसी भी समय सोना उपयुक्त नहीं है। यह हमारे बायोलॉजिकल क्लॉक को अव्यवस्थित करता है। आदर्श रूप से दोपहर में आधे घंटे सोना और रात्रि में 8 घंटे सोना एक अच्छा अभ्यास है।

हमें रात्रि मे सोने से पहले अपने दिन भर किये गये कार्यो का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए तथा संतुष्टि स्तर तक बिस्तर को साफ कर लेना चाहिए।

हमें 8:30 पर रात्रि का भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए। तथा रात्रि के भोजन व सोने के बीच में 2 घंटे का अन्तर रखना चाहिए।

यदि आपका अपने परिवार मे किसी से भी वाद-विवाद हो गया हो तो सोने के पुर्व इसे सुलझा लेना चाहिए।

हमें रात्रि मे उतेजक पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। विशेषकर तक जब आप नींद न आने जैसी बीमारी से ग्रसित हों।

इस प्रकार हम नियमित योगाभ्यास जीवनशैली व भेाजन की आदतों मे परिवर्तन लाकर नींद की गुणवत्ता व परिमाण में वृद्धि कर सकते है तथा स्वस्थ, शान्तिप्रद, क्रियाशील जीवन के अधिकारी बन सकते है।

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One comment

  1. Very educative

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