Thursday , 28 March 2024
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अमरबेल के दिव्य औषधिय गुण और 30 औषधीय प्रयोग !! जैसे यकृत, गठिया,छोटा कद, गंजापन…

 अमर बेल ( Amarbel ) एक पराश्रयी (दूसरों पर निर्भर) लता है, जो प्रकृति का चमत्कार ही कहा जा सकता है। बिना जड़ की यह बेल जिस वृक्ष पर फैलती है, अपना आहार उससे रस चूसने वाले सूत्र के माध्यम से प्राप्त कर लेती है। अमर बेल का रंग पीला और पत्ते बहुत ही बारीक तथा नहीं के बराबर होते हैं। अमर बेल ( Amarbel ) पर सर्द ऋतु में कर्णफूल की तरह गुच्छों में सफेद फूल लगते हैं। बीज राई के समान हल्के पीले रंग के होते हैं। अमर बेल बसन्त ऋतु (जनवरी-फरवरी) और ग्रीष्म ऋतु (मई-जून) में बहुत बढ़ती है और शीतकाल में सूख जाती है। जिस पेड़ का यह सहारा लेती है, उसे सुखाने में कोई कसर बाकी नहीं रखती है। ( Amarbel ) ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

रंग : अमर बेल ( Amarbel ) का रंग पीला होता है।
स्वाद : इसका स्वाद चरपरा और कषैला होता है।
स्वभाव : अमर बेल गर्म एवं रूखी प्रकृति की है। इस लता के सभी भागों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।
मात्रा (खुराक) : अमर बेल ( Amarbel ) को लभगभ 20 ग्राम की मात्रा में प्रयोग कर सकते हैं।
गुण : आकाश बेल ग्राही, कड़वी, आंखों के रोगों को नाश करने वाली, आंखों की जलन को दूर करने वाली तथा पित्त कफ और आमवात को नाश करने वाली है। यह वीर्य को बढ़ाने वाली रसायन और बलकारक है।

विभिन्न रोगों में अमरबेल ( Amarbel ) के औषधीय प्रयोग

( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 रक्तविकार(blood disorder) : 4 ग्राम ताजी बेल का काढ़ा बनाकर पीने से पित्त शमन और रक्त शुद्ध होता है।

 शिशु रोग :
• अमर बेल ( Amarbel ) को शुभमुहूर्त में लाकर सूती धागों में बांधकर बच्चों के कंठ (गले) व भुजा (बाजू) में बांधने से कई बाल रोग दूर होते हैं।
• इस बेल को तीसरे या चौथे दिन आने वाले बुखारों में बुखार आने से पहले गले में बांधने से बुखार नहीं चढ़ता है।

 बालों का बढ़ना : 250 ग्राम अमरबेल ( Amarbel ) की बूटी (लता, बेल) लेकर 3 लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें इससे बाल लंबे हो जाते हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

बालों का झड़ना : अमरबेल के रस को रोजाना सिर में मालिश करने से बाल उग आते हैं।

 बांझपन (गर्भाशय का न ठहरना) : अमरबेल ( Amarbel ) या आकाशबेल (जो बेर के समान वृक्षों पर पीले धागे के समान फैले होते हैं) को छाया में सुखाकर रख लेते हैं। इसे चूर्ण बनाकर मासिक धर्म के चौथे दिन से पवित्र होकर प्रतिदिन स्नान के बाद 3 ग्राम चूर्ण 3 मिलीलीटर जल के साथ सेवन करना चाहिए। इसे नियमित रूप से 9 दिनों सेवन करना चाहिए। इससे सम्भवत: प्रथम संभोग में ही गर्भाधान हो जाएगा। यदि ऐसा न हो सके तो योग पर अविश्वास न करके इसका प्रयोग पुन: करें, इसे कहीं घाछखेल नाम से भी जाना जाता है। अमर बेल के कच्चे धागे के काढ़ा का सेवन करने से गर्भपात होता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

जुएं का पड़ना : हरे अमरबेल ( Amarbel ) को पीसकर पानी के साथ मिला लें और बालों को धोएं। इससे जुएं मर जायेंगे। इसे पीसकर तेल में मिलाकर लगायें, इससे बालों के उगने में लाभ होगा। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

बालरोग हितकर : अमरबेल ( Amarbel ) का टुकड़ा बच्चों के गले, हाथ या बालों में बांधने से बच्चों के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।

 घाव :
• अमरबेल के काढ़े से घाव या खुजली को धोने से बहुत फायदा होता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )
• अमरबेल( Amarbel ) पीले धागे की तरह से भिन्न व हरे रंग की भी पायी जाती है जिसे पीसकर मक्खन तथा सोंठ के साथ मिलाकर लगाने से चोट का घाव जल्दी ही ठीक हो जाता है।
• अमर बेल के 2-4 ग्राम चूर्ण को या ताजी बेल को पीसकर सोंठ और घी में मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भर जाता है।
• अमर बेल का चूर्ण, सोंठ का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर आधी मात्रा में घी मिलाएं और तैयार लेप को घाव पर लगाएं।

 पित्त बढ़ने पर : आकाशबेल ( Amarbel ) का रस आधा से 1 चम्मच सुबह-शाम खाने से यकृत (लीवर) के सारे दोष और कब्ज़ दूर हो जाते हैं, इसके साथ पित्त की वृद्धि को भी रोकता है जिससे जलन खत्म हो जाती है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

पेट का बढ़ा हुआ होना (आमाशय का फैलना) : हरे रंग की अमरबेल ( Amarbel ) को पीसकर काढ़ा बनाकर 20 से लेकर 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से यकृत या प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि के कारण पेट में आए फैलाव को निंयत्रित करता हैं। ध्यान रहे कि पीले रंग वाली अमरबेल का प्रयोग न करें। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

सौंदर्य प्रसाधन : अमरबेल ( Amarbel ) (पौधे पर फैले पीले धागे जैसी परजीवी) की तरह की अमरबेल की एक और जाति होती है जोकि अपेक्षाकृत पीले से ज्यादा हरा होता है। इस हरे अमरबेल ( Amarbel ) को पीसकर पानी में मिलाकर बाल धोने से सिर की जुएं समाप्त हो जाती है। इसे तेल में मिलाकर लगाने से बाल भी जल्दी बढ़ जाते हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

बाल : बेल ( Amarbel ) को तिल के तेल में पीसकर सिर में लगाने से सिर की गंज में लाभ होता है तथा बालों की जड़ें मजबूत होती हैं।
• लगभग 50 ग्राम अमरबेल को कूटकर 1 लीटर पानी में पकाकर बालों को धोने से बाल सुनहरे व चमकदार बनते है, बालों का झड़ना, रूसी में भी इससे लाभ होता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 आंखों में सूजन (Swelling in eyes): बेल ( Amarbel ) के लगभग 10 मिलीलीटर रस में शक्कर मिलाकर आंखों में लेप करने से नेत्राभिश्यंद (मोतियाबिंद), आंखों की सूजन में लाभ होता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

मस्तिष्क (दिमाग) विकार : इसके 10-20 मिलीलीटर स्वरस को प्राय: पानी के साथ सेवन करने से मस्तिष्क के विकार दूर होते हैं।

 पेट के विकार :
• अमरबेल ( Amarbel ) को उबालकर पेट पर बांधने से डकारें आदि दूर हो जाती हैं।
• आकाश बेल ( Amarbel ) का रस 500 मिलीलीटर या चूर्ण 1 ग्राम को मिश्री 1 किलोग्राम में मिलाकर धीमी आंच पर गर्म करके शर्बत तैयार कर लें। इसे सुबह-शाम करीब 2 ग्राम की मात्रा में उतना ही पानी मिलाकर सेवन करने से शीघ्र ही वातगुल्म (वायु का गोला) और उदरशूल (पेट के दर्द) का नाश होता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

यकृत:   बेल ( Amarbel ) का काढ़ा 40-60 मिलीलीटर पिलाने से तथा पीसकर पेट पर लेप करने से यकृत वृद्धि में लाभ होता है।
• बेल का हिम या रस लगभग 5-10 मिलीलीटर सेवन करने से बुखार तथा यकृत वृद्धि के कारण हुई कब्ज मिटती है।
• 10 मिलीलीटर अमरबेल (पीले धागे वाली) का रस सुबह-शाम सेवन करने से यकृत सही हो जाता है। इससे यकृत दोष से उत्पन्न रोग भी दूर हो जाते हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 सूतिका रोग : अमर बेल ( Amarbel ) का काढ़ा 40-60 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से प्रसूता की आंवल शीघ्र ही निकल जाती है।

अर्श (बवासीर) में : अमरबेल ( Amarbel ) के 10 मिलीलीटर रस में पांच ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर खूब घोंटकर रोज सुबह ही पिला दें। 3 दिन में ही खूनी और वादी दोनों प्रकार की बवासीर में विशेष लाभ होता है। दस्त साफ होता है तथा अन्य अंगों की सूजन भी उतर जाती है।

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नमस्कार दोस्तों, डायबिटीज आज हर घर की समस्या बनी हुई है, एलॉपथी में इसका कोई समाधान है नहीं, ऐसे में इसके इलाज की एलोपैथिक व्यवस्था अनेक दुसरे रोग उत्पन्न कर जाती है. जिसके बाद जीवनपर्यंत मनुष्य दवाओं के कुचक्र में फंस कर एक दिन अपनी इहलीला समाप्त कर श्री चरणों में चला जाता है. तो ऐसे में सवाल उठता है के बाहर से इन्सुलिन कैसे बंद करें.

उपदंश (सिफिलिस) : अमरबेल ( Amarbel ) का रस उपदंश के लिए अधिक गुणकारी हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

जोड़ों के (गठिया) दर्द :
• अमर बेल ( Amarbel ) का बफारा देने से गठिया वात की पीड़ा और सूजन शीघ्र ही दूर हो जाती है। बफारा देने के पश्चात इसे पानी से स्नान कर लें तथा मोटे कपड़े से शरीर को खूब पोंछ लें, तथा घी का अधिक सेवन करें। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )
• अमर बेल का बफारा (भाप) देने से अंडकोष की सूजन उतरती है।

 बलवर्धक (ताकत को बढ़ाने हेतु) : 11.5 ग्राम ताजी अमर बेल ( Amarbel ) को कुचलकर स्वच्छ महीन कपड़े में पोटली बांधकर, 500 मिलीलीटर गाय के दूध में डालकर या लटकाकर धीमी आंच पर पकाये। जब एक चौथाई दूध शेष बचे तो इसे ठंडाकर मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे कमजोरी दूर होती है। इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 खुजली (itching): अमर बेल ( Amarbel ) को पीसकर बनाए गए लेप को शरीर के खुजली वाले अंगों पर लगाने से आराम मिलता है।

 पेट के कीड़े(Stomach bug) : अमर बेल और मुनक्कों को समान मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें। इस काढ़े को छानकर 3 चम्मच रोजाना सोते समय देने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 गंजापन (बालों का असमय झड़ जाना)(Baldness) : बालों के झड़ने से उत्पन्न गंजेपन को दूर करने के लिए गंजे हुए स्थान पर अमर बेल को पानी में घिसकर तैयार किया लेप धैर्य के साथ नियमित रूप से दिन में दो बार चार या पांच हफ्ते लगाएं, इससे अवश्य लाभ मिलता है।

 छोटे कद के बच्चों की वृद्धि हेतु : जो बच्चे नाटे कद के रह गए हो, उन्हें आम के वृक्ष पर चिपकी हुई अमर बेल  ( Amarbel ) निकालकर सुखाएं और उसका चूर्ण बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ कुछ माह तक नियमित रूप से खिलाएं।

 पेट के रोग(Stomach diseases) : अमर बेल के बीजों को पानी में पीसकर बनाए गए लेप को पेट पर लगाकर कपड़े से बांधने से गैस की तकलीफ, डकारें आना, अपान वायु (गैस) न निकलना, पेट दर्द एवं मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

 सुजाक व उपदंश में : अमर बेल ( Amarbel ) का रस दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में इस रोग में पूर्ण आराम मिलता है। ( Amarbel  ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

यकृत रोगों में (Liver diseases): यकृत (जिगर) की कठोरता, उसका आकार बढ़ जाना जैसी तकलीफों में अमर बेल का काढ़ा तीन चम्मच की मात्रा में दिन में, 3 बार कुछ हफ्ते तक पीना चाहिए। ( Amarbel ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

रक्तविकार(blood disorder) : अमर बेल ( Amarbel )  का काढ़ा शहद के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करें। ( Amarbel ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

नजर तेज : Eyesight Weak / नजर कमजोर होने पर, आंखों पर सूजन होने पर, अमर बेल ( Amarbel )  का लेप आंखें की पलकों और माथे पर मालिश करने धीरे धीरे फायदा होता है। नजर तेज करने में अमर बेल सहायक है। ( Amarbel ke faude, amarbel, अमरबेल के फयदे )

सावधानी : गर्भवती महिला इसका सेवन न करें |

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