Friday , 19 April 2024
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इन्सुलिन क्या होता है और फायदे – insulin kya hai aur benefits in hindi

insulin – इंसुलिन शरीर में बनने वाला एक तरह का हार्मोन होता है। यह शरीर में रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है। इंसुलिन की कमी या इन्सुलिन का सही तरह से कार्य न कर पाने से डायबिटीज के लक्षण विकसित होने लगते हैं।

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इंसुलिन ( insulin ) न सिर्फ आपके रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है, बल्कि यह वसा (फैट) को संरक्षति करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साथ ही मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया के लिए भी यह आवश्यक होता है। शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए रक्त के माध्यम से कोशिकाओं में ग्लूकोज पहुंचाने का काम इंसुलिन की मदद से ही पूरा होता है। शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने में इन्सुलिन का अपना महत्व होता है।

इन्सुलिन के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए आपको इसके बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। इस लेख में आप जानेंगे कि इन्सुलिन क्या है, इंसुलिन की खोज कैसे की गई, इंसुलिन कैसे बनता है, इंसुलिन के कार्य और डायबिटीज में इन्सुलिन का प्रयोग आदि।

इंसुलिन “पैंक्रियाज” (pancreas:अग्नाशय) द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए आपके आहार से कार्बोहाइड्रेट को चीनी (ग्लूकोज) का उपयोग करने और ग्लूकोज को संरक्षित करने का कार्य करता है। इंसुलिन आपके ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) के स्तर को बहुत अधिक होने (जिसे “हाइपरग्लेसेमिया” कहते हैं) या बहुत कम होने (जिसे “हाइपोग्लाइसीमिया” कहते हैं) से रोकता है और उसे सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।

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शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए चीनी (ग्लूकोज) की आवश्यकता होती है। हालांकि, चीनी आपकी अधिकांश कोशिकाओं में सीधे नहीं पहुंच पाती है। भोजन खाने के बाद आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ता है, जिसके बाद पैनक्रियाज में मौजूद कुछ कोशिकाएं (जिन्हे “बीटा” कोशिकाओं के नाम से जाना जाता है) आपके रक्त में इंसुलिन जारी करने के संकेत भेजती हैं। इसके बाद इंसुलिन कोशिकाओं के साथ जुड़ जाता है, और उन्हें चीनी (ग्लूकोज) के अवशोषण की प्रक्रिया को शुरू करने का संकेत देता है। इन्सुलिन को अक्सर एक ऐसी “चाबी” कहा जाता है जो ‘कोशिकाओं का दरवाजा खोल देती है ताकि चीनी उनमें प्रवेश कर सके और ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए’।

अगर आपके शरीर में जरूरत से ज्यादा चीनी का स्तर बढ़ जाए तो इंसुलिन उस चीनी को लिवर में इकट्ठा करने में मदद करता है। कई बार ज्यादा शारीरिक कार्य करने पर जब आपके रक्त में शर्करा का स्तर कम हो जाता है, तब लिवर में इकट्ठा की गई इसी चीनी का उपयोग कर रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य बनाया जाता है। रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने की स्थिति में पैनक्रियाज अधिक इसुंलिन स्त्रावित करता है।

इन्सुलिन की खोज – Insulin ki khoj

कनाडा के चिकित्सक फ्रेडरिक बैंटिंग और मेडिकल छात्र चार्ल्स एच बेस्ट को इंसुलिन की खोज का श्रेय दिया जाता है। यह खोज उन्होंने 1921 में कुत्तों के पैंक्रियाज पर शोध करते समय की थी।

इन दोनों ने प्रयोग के दौरान कुत्ते के पैंक्रियाज से एक तत्व बनाया। जब ये तत्व इन्होने एक अन्य कुत्ते को दिया, तो उसकी ब्लड शुगर का स्तर सामान्य हो गया था। चाहे जानवरों में ही, लेकिन यह ब्लड शुगर को कम करने की पहली सफल कोशिश थी। इसके बाद इंसानों में उपयोग के लिए इन्सुलिन की खोज दूर न थी।

बैंटिंग और बेस्ट ने इस शोध को आगे बढ़ाने के लिए दो अन्य वैज्ञानिकों को अपने साथ जोड़ लिया – कनाडा के जेम्स बी. कोलिप और स्कॉटलैंड के जे. जे. आर. मैक्लीऑड। मैक्लीऑड इस खोज के कार्य से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इस खोज से मिले तत्व को लोगों के इस्तेमाल के योग्य बनाने के लिए आगे शोध करने के लिए साधन उपलब्ध करवाए। और कोलिप ने इन साधनों का इस्तेमाल करके जल्द ही इस नए तत्व को इंसानों में उपयोग के योग्य बना दिया। इसका तत्व का नाम रखा गया “इन्सुलिन”।

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इसके बाद 1922 में टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लियोनार्ड थॉम्पसन नामक 14 वर्षीय बच्चे पर इस इंसुलिन रूपी दवा का इस्तेमाल किया गया। इस प्रयोग के नतीजे सफल रहे। इलाज से पहले लियोनार्ड मृत्यु के बेहद करीब था, लेकिन इंसुलिन के इस्तेमाल से उसको नई जिंदगी मिली।

इस खोज के लिए 1923 में फ्रेडरिक बैंटिंग और जे. जे. आर. मैक्लीऑड को “चिकित्सा या औषधि” के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। बैंटिंग इस बात से नाखुश थे कि बेस्ट के बजाय मैक्लीऑड को नोबेल पुरस्कार में शामिल किया गया। बैंटिंग ने बेस्ट को सम्मान देने के लिए पुरस्कार से मिली राशि उनके साथ साझा की। इसके बाद मैक्लीऑड ने कोलिप के साथ पुरस्कार की राशि साझा की।

इन्सुलिन कैसे बनता है – Insulin kaise banta hai

इंसुलिन एक तरह का हार्मोन होता है। हार्मोन शरीर की कोशिकाओं को नियंत्रित करते हैं और ग्रंथियों द्वारा उत्पादित होते हैं। इंसुलिन हार्मोन रक्त में ग्लूकोज (चीनी) के स्तर को मुख्य रूप से नियंत्रित करता है।

मानव शरीर में इंसुलिन पैनक्रियाज (अग्नाशय) बनता है। और बारीकी से बात की जाए तो पैनक्रियाज में मौजूद “बीटा कोशिकाएं” (beta cells) इंसुलिन बनाती हैं। भोजन करने पर ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और तब रक्त में इंसुलिन स्त्रावित होता है।

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चीनी शरीर के लिए शीर्ष ऊर्जा स्रोतों में से एक है। शरीर इसको कई रूपों में प्राप्त करता है, लेकिन मुख्य रूप से इसको पाचन क्रिया के दौरान कार्बोहाइड्रेट के रूप में ग्रहण किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध भोजन के उदाहरण में चावल, रोटी, आलू और मिठाई को शामिल किया जाता है।

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इंसुलिन के कार्य – Insulin ke karya

इंसुलिन पैनक्रियाज (अग्नाशय) द्वारा उत्पादित विशेष प्रकार का हार्मोन होता है। शरीर में मेटाबॉलिज्म (चयापचय) के लिए इंसुलिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। शरीर में ग्लूकोज और वसा के उपयोग और सरंक्षण करने की प्रक्रिया को नियमित करने का कार्य इन्सुलिन की मदद से ही किया जाता है। इतना ही नहीं शरीर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए कोशिकाएं रक्त से ग्लूकोज को लेने के लिए इंसुलिन पर ही निर्भर होती है। अगर इंसुलिन सही तरह से कार्य न करें तो इससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज में इंसुलिन का प्रयोग – Diabetes me insulin ka prayog

इन्सुलिन से रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित होता है और इसकी मदद से ही डायबिटीज के रोग को काबू में किया जा सकता है।

टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों में पैनक्रियाज की बीटा कोशिकाएं क्षतिग्रस्त या नष्ट होने के कारण इंसुलिन नहीं बन पाता है। इन्सुलिन न बन पाने के कारण इन लोगों को इन्सुलिन इंजेक्शन की आवश्यकता होती है, ताकि वह ग्लूकोज की प्रक्रिया और हाइपरग्लाइसीमिया की जटिलताओं से बच सकें।

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टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन बनता तो है लेकिन बेअसर होता है। ऐसे में इन लोगों को दवा के रूप में इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है, ताकि उन्हें ग्लूकोज प्रक्रिया में मदद मिल सके और इस बीमारी से दीर्घकालिक समस्यायों को कम किया जा सके। टाइप 2 डायबिटीज वाले व्यक्तियों का दवाओं के साथ ही संतुलित आहार और व्यायाम के द्वारा इलाज किया जाता है, क्योंकि टाइप 2 डायबिटीज तेजी से बढ़ने वाली स्थिति है, इसीलिए लंबे समय तक इस समस्या से ग्रसित मरीजों को रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है।

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डायबिटीज के इलाज में विभिन्न प्रकार के इन्सुलिन का उपायोग किया जाता है। इसमें शामिन इन्सुलिन निम्न प्रकार से है –

जल्दी से कार्य करने वाला इंसुलिन –
इंजेक्शन लेने के करीब 15 मिनट में यह इन्सुलिन अपना कार्य करना शुरु कर देती है और एक घंटे के बाद इसका असर सबसे ज्यादा होता है। शरीर के अंदर सामान्यतः यह इंसुलिन एक से चार घंटों तक कार्य करती है।

कम समय के लिए कार्य करने वाला इंसुलिन –
यह इंजेक्शन लेने के करीब 30 मिनट बाद कार्य करती है, जबकि इसका सबसे ज्यादा असर 2 से 3 घंटों बाद होता है और यह शरीर में करीब 3 से 6 घंटों तक इंसुलिन की जरूरत को पूरा करती है। इसको खाने के पहले लिया जाता है।

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थोड़े समय के लिए कार्य करने वाला इंसुलिन –
यह इंजेक्शन लेने के करीब 2 से 4 घंटे बाद कार्य करना शुरु करती है, जबकि इसका सबसे ज्यादा असर 4 से 12 घंटों बाद होता है और यह शरीर में करीब 12 से 18 घंटों तक इंसुलिन की जरूरत को पूरा करती है। इसको दिन में दो बार लिया जाता है।

लंबे समय के लिए कार्य करने वाला इंसुलिन –
यह इंजेक्शन लेने के कई घंटों बाद कार्य करना शुरु करती है और यह शरीर में करीब 24 घंटों तक इंसुलिन की जरूरत को पूरा करती है। इसको दिन में एक बार लिया जाता है।

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