हाथी पांव (श्ली पद) रोग में अनुभवी चिकित्सा –
परिचय –
हाथी-पांव में टांगे मोटी तथा खुरदरी हो जाती है इस रोग को फिल पांव व फैलेरिया के नाम से भी जानते है इसमें रोगी
को ठंड भी लगती हे और ज्वर भी आता है धीरे -धीरे सुजन जांघो से लेकर अंडकोश तक हो जाती है
1.- श्लीपद –
ओषधि —- नित्यानन्द रस की 5-8 रती तक दिन में दो बार ताजा पानी के साथ दे .
परहेज — दही ,चावल ,आलू ,उडद ,राजमा ,खटाई बिल्कुल बंद कर दे .
ओषधि —- एरंड तेल में भुनी हरड का चूर्ण 2 ग्राम ,20 ग्राम गोमूत्र के संग केवल सुबह दिन में एक बार ही दे ,
इससे 10 -15 दिनों में रोग ठीक होने लगता है .
2.- हाथी पांव –
ओषधि —- लक्ष्मीविलास रस 1 ग्राम .नित्यानन्द रस 3 ग्राम ,शोथारी लोह 3 ग्राम ,प्रवाल भस्म 3 ग्राम ,सबको
मिलाकर 13 पुडिया बना ले और सुबह शाम 1-1 दे और कहने के बाद सारिवाझारिष्ट दे व सेन्धवादी तेल की मालिश
कर एरंड का पत्ता बांधे .
3.- फिल पांव –
ओषधि —- 1 .-दिन में तीन बार पुनर्नवादी तेल की मालिश करे .
2.-आरोग्य व्र्ध्नी ,कांचनार गूगल ,पुनर्नवा मंडूर ,पुनर्नवा गूगल 1-1 गोली दिन में दो बार गरम पानी के साथ दे दोनों
उपाय से रोगी को बहुत लाभ होता है .
4.- कांख (बाजु) में फाईलेरिया –
ओषधि —- घी में भुनी हल्दी का पाउडर 1-1 ग्राम सुबह -शाम ताजा गोमूत्र के साथ दे .