Saturday , 20 April 2024
Home » Drinks » अनेक रोगों की एक दवा-जल चिकित्सा पध्दति – Water therapy
Water Therapy

अनेक रोगों की एक दवा-जल चिकित्सा पध्दति – Water therapy

अनेक रोगों की एक दवा-जल चिकित्सा पध्दति – Water therapy

Water Therapy – जापान के ‘सिकनेस एसोसिएशन’ द्वारा प्रकाशित एक लेख में इस बात की पुष्टि की गई है की यदि ढंग से पानी का प्रयोग किया जाये तो कई पुराणी तथा नई बीमारियां दूर हो जाती है। जैसे सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह, खून की कमी, जोड़ों के दर्द, आमवात( रियुमेटिज्म ), लकवा, दिल की बीमारियां, खांसी, ब्रोंकाइटिस, ब्रोकियल दमा, टी. बी. आदि फेफड़ों की बीमारियां, युकृत रोग, अति अम्लता, गैस्ट्राइटिस, पेचिश, कब्ज आदि पाचन-संस्थान की बीमारियां, मूत्र संबंधी बीमारियां, अनियमित मासिक, गर्भशय और स्तन कैंसर, नाक गले और कान से संबंधित बीमारियां, नेत्र रोग आदि।

पानी पीने की विधि – Right Way to Drink Water

प्रात: जल्दी उठकर ( सूर्यदय से पहले ) बिना मंजन या बुश किए, लगभग सवा लीटर १.२६ कि. ग्र. ( चार बड़े गिलास ) पानी एक साथ पिएं, एक के बाद एक गिलास। इसके बाद एक घंटे तक कुछ भी खाएं पिएं नहीं। पानी पीने के बाद मुंह धो सकते है व बुरश कर सकते है।

रोगी और बहुत ही नाजुक प्रकुर्ति के व्यक्ति एक साथ चार गिलास पानी नहीं पी सकें, उन्हें चाहिए की वे पहले एक या दो गिलास से शुरु करें और बाद में धीरे-धीरे एक एक गिलास बढ़ाकर चार गिलास पर आ जाएँ अथवा जो व्यक्ति इतना जल एक साथ न पी सकें, उन्हें चाहिए की पहले पेट भर पानी पीने के बाद पांच मिनट वही पर टहल कर या जॉगिंग कर शेष जल पी लें। प्रथम एक या दो गिलास पानी से उनके स्वास्थ्य पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता। हा, प्रारम्भ के तिन-चार दिन तक पानी पीने के बाद एक घंटे में तिन-चार बार मूत्र हो सकता है और कुछ व्यक्तयों को पतले दस्त भी आ सकते है लेकिन तिन-चार दिनों बाद मूत्र नियमित होकर धीरे-धीरे सभी कुछ सामान्य हो जाएगा।

जो लोग जोड़ों के दर्द एवं वात रोग से पीड़ित है, उन्हें यह प्रयोग पहले सप्ताह तक दिन में तिन बार करना चाहिए और फिर एक सप्ताह के बाद दिन में एक बार करना पर्याप्त है। भोजन करने के दो घंटे बाद जल-चिकित्सा-पध्दति से पानी पीया जा सकता है।

Water Therapy – उपरोक्त पानी का प्रयोग रोगी और स्वस्थ दोनों ही लाभ के साथ कर सकते है परन्तु इस प्रयोग को करने वालों के लिए कुछ हिदायतों का पालन जरूरी है।

1. ठंडे पेय, मैदे और बेसन की बनी चीजों, तले हुए खाद्य पदार्थ, तेज मिर्च-मसाले और मिठाईयां से परहेज किया जाय यथासम्भव फल और हरी सब्जियों पर जोर दिया जाएँ।

2. चाय, काफी, चॉकलेट, आइसक्रीम आदि की मनाही की गई है।

3. यह बात खासतौर से कही गई है की इलाज के दौरान सिगरेट, बीड़ी, शराब आदि नशीली चीजों से दूर रहें।

4. चार गिलास पानी सुबह ही पीना है। इसके बाद दिन में जब भी प्यास लगे तभी पानी पिएं।

5. रात्रि सोने से पहले कुछ भी नहीं खाना चाहिए, खासकर सेव तो बिलकुल नहीं।

6. पानी यदि अशुध्द हो तो उसे रात में उबाल-छानकर रख लेना चाहिए और प्राय: निथरा हुआ पानी इस्तेमाल करना चाहिए।

अनुभव और परीक्षणों से यह निष्कर्ष निकलता है की इस प्रयोग से विभिन बीमारियां गिनती के दिनों में ही दूर हो सकती है। जैसे उच्च रक्तचाप और मधुमेह एक मास में, पाचन-क्रिया और पेट के रोग जैसे गैस, कब्ज आदि दस दिन में कैंसर के रोगियों को छ: मास और फेफड़ों की टी. बी. में तिन मास में लाभ हो सकता है। रोग मुक्ति के बाद भी इस प्रयोग को जरी रखा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status