बच्चे को स्तनपान करवाना एक प्रकार की कला और कोशल है जो बच्चे को बोतल से दूध पिलाने और बेबी फ़ूड खिलाने से कही ज्यादा उपयोगी है न केवल बच्चे के लिए बल्कि माँ के लिए भी. बच्चे को कम से कम 6 महीनो तक तो माँ का दूध पिलाना ही चहिये. बच्चे की सभी प्रकार की जरुरतो को पूरा करने के लिये अकेला माँ का दूध ही काफी होता है. 6 महीने दूध पिलाने के बाद स्तनपान के साथ साथ बच्चे को बेबी डाइट भी देनी होती है. आज इसी विषय पर बात कर रहें हैं श्री बलबीर शेखावत जी Sen. Pharmacologist Sikar Rajasthan से.
नए जन्मे बच्चे को जन्म के 1 घंटे के अन्दर माँ का दूध पिलाना बहुत जरूरी होता है क्योकि ये गाढ़ा पीला दूध जिसे colostrum कहते है बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसमें मुख्य रूप से विटामिन A, विटामिन K, प्रोटीन्स carbohydrate,पोटैशियम ,लिपिड , और कई प्रकार की antibodies होते है जो भविष्य में आपके बच्चो को कई जानलेवा रोगों से बचाता है जबकि जन्म के बाद 2 से 3 दिनों तक बहुत कम मात्रा में निकलता है लेकिन ये बच्चे कि सारी nutritional requirement को पूरा कर देता है. इसके साथ colostrum बच्चे को पहली बार दस्त लगवाने का काम भी करता है जिससे बच्चे की आंतो से bilirubin बाहर निकल जाता है और बच्चे को neonatal jaundice या नवजात पीलिया होने से बचाता है.
6 महीनो तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान करवाने के बाद धीरे धीरे डाइट पर लेकर आना है और साथ में स्तनपान भी करवाना है आइये जानते हैं के कैसे करें.
- छोटे गिलास में पानी को उबालकर फिर उसे ठंडा करके धीरे धीरे चमच्च से पिलाना है ध्यान रखे किसी भी स्टेज पर बोतल का उपयोग नहीं करना है
- माँ के दूध का सबसे अच्छा विकल्प और सबसे अच्छा पूरक भोजन ताजा फलो का रस है मुख्यता अंगूर और संतरे का रस काफी लाभदायक है .लेकिन स्तनपान और फलो का रस अलग अलग time पर पिलाना है
- बच्चे को मार्किट में मिलने वाले बेबी फ़ूड खिलने कि बजाय घर पर बेबी फ़ूड बना कर खिलाये तो ज्यादा अच्छा होगा क्योकि मार्किट में मिलने वाले बेबी फ़ूड एक प्रकार का मृत भोजन है
- 1/4 केला और चूर चूर किया हुआ 1/4 सेब को मिलाकर बारीक़ करते बच्चे को खिलाना है और धीरे धीरे साप्ताहिक इसकी मात्र बढ़नी है .आप उबाले हुए मोसमी फल जैसे पपीता ,आम ,चीकू आदि भी दे सकते है
- फलो को भोजन के रूप में देने के एक हफ्ते बाद से बच्चे को खिचड़ी खिलानी शुरू करे
- घर में बनाया गया दलिया , सूजी खीर (रवा खीर ), रागी आदि मार्किट में मिलने वाले food प्रोडक्ट से कही ज्यादा लाभदायक है
- आप गेहू ,चावल , मूंग दाल , रागी को भुनकर उसे मिक्सचर में grind करके एक पाउडर बना ले इस पाउडर को आप एक डब्बे में डालकर रख ले इस पाउडर को आप दूध और चीनी के साथ मिलकर खीर बना सकते है या इस पाउडर कि कुछ मात्र आप घी और चीनी में मिलकर शीरा बना सकता है जो आप स्तनपान के बाद 1-1 चमच्च बच्चे को खिला सकते है और हर हफ्ते आप इसकी मात्र बढ़ा सकते है
- एक हफ्ते बाद आप अच्छी तरह से मसली हुए और अच्छे तरीके से पक्की हुई हरी पतेदार सब्जिया ,गाजर और कदू दे सकते है ध्यान रहे इसमें मसाला न डाले सादी घी में पकाए 2 चमच्च दे और धीरे धीरे मात्रा बढाये
- 2 हफ्ते बाद दाल चावल कि खिचड़ी बना कर खिलाये 3 से 4 चमच्च खिलाये अगर बच्चा खाता है तो मात्रा धीरे धीरे बढ़ाते जाये
- जब बच्चा एक साल का हो जाए तो उसे माँ के दूध के साथ साथ गाय या बकरी का दूध शुरू करे 1 गिलास दो time दे
अब बच्चे को धीरे धीरे घर में बने व्यस्क भोजन पर लेकर आये अगर बच्चा एक साथ नही खाता हो तो उसे 2 से 3 घंटे के अन्तराल पर खाना या फ्रूट जूस पिलाये ध्यान रखे जबरदस्ती न करे
benefit of breastfeeding
- स्तनपान करने वाले बच्चे की रोगप्रतिरोधक क्षमता बोतल से दूध पीने वाले बच्चे कि तुलना में कही अधिक होती है क्योकि माँ के दूध में कई प्रकार के एंटीबाडीज पाए जाते है
- माँ के दूध का पाचन अन्य दूध कि तुलना में जल्दी और अच्छे तरीके से हो जाता है जिससे बच्चे में पाचन सम्बंधित रोग नही होते और nutrition कि कमी भी नहीं आती
- स्तनपान करने वाले बच्चे में कब्जी कि समस्या नहीं होती है
- स्तनपान करने वाले बच्चे में anaemia नहीं होता क्योकि breast मिल्क में आयरन पाया जाता है
- शोध से पता चला है कि breastfeeding करने वाली महिलाओ में breast cancer का खतरा काफी कम हो जाता है
- breastfeding करने से महिलाओ को dilevery के बाद वजन कम करने में सहायता मिलती है
- breastfedding से माँ और बच्चे में आपसी लगाव बढता है
- breastfeeding से बच्चे में allergies होने के चांसेस कम हो जाते है