नाड़ी परीक्षा (नाड़ी देखना) बहुत पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ “योग रत्नाकर” में लिखा है कि रोग से पिडीत व्यक्ति के शरीर कि 8 प्रकार से परीक्षा करके रोग का निदान करना चाहिए ,इसमें नाड़ी परीक्षा सबसे प्रथम विधि है .प्राचीन मतानुसार नाड़ी परीक्षा द्वारा शरीर के वात,पित ,कफ या दिव्दोशज या त्रिदोषज रोगों को ज्ञात करते है .यधपि सम्पूर्ण शरीर में अनेक …
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