विभिन्न रोगो में दही के प्रयोग।
दही भारतीय खाने की शान हैं। बच्चो के लिए ये दूध के स्थान पर दिया जाने वाला प्रथम भोजन हैं। इसके सेवन से अनेक रोग दूर होते हैं। आइये जानते हैं दही के प्रयोग से किन किन रोगो में बहुत उपयोगी हैं।
अपच:
दही में भुना हुआ पिसा जीरा, नमक और कालीमिर्च डालकर रोजाना खाने से अपच (भोजन न पचना) ठीक हो जाता है और भोजन जल्दी पच जाता है।
आधासीसी का दर्द:
यदि सिर दर्द सूर्य के साथ बढ़ता और घटता है तो इस तरह के सिर दर्द को आधासीसी (आधे सिर का दर्द) कहते हैं। आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द दही के साथ चावल खाने से ठीक हो जाता है। सुबह सूरज उगने के समय सिर दर्द शुरू होने से पहले रोजाना चावल में दही मिलाकर खाना चाहिए।
बवासीर:
जब तक बवासीर में खून आता रहे तब तक केवल दही ही खाते रहें बाकी सारी चीजे बंद कर दें। इससे बवासीर में खून आना बंद हो जाता है।
बच्चों का भोजन:
दही, मां के दूध के बाद बच्चे का सबसे अच्छा भोजन होता है। बुल्गोरिया में जिन बच्चों को मां का दूध उपलब्ध नहीं हो पाता है। उन बच्चों को खाने के लिए दही ही दिया जाता है।
फोड़े, सूजन, दर्द जलन:
अगर शरीर में फोड़े, सूजन, दर्द जलन हो तो पानी निकाला हुआ दही बांधे, एक कपड़े में दही डालकर पोटली बांधकर लटका देते हैं। इससे दही का पानी निकल जाएगा। फिर इसे फोड़े पर लगाकर पट्टी बांध देते हैं। 1 दिन में 3 बार पट्टी को बदलने से लाभ होता है।
अनिद्रा:
दही में पिसी हुई कालीमिर्च, सौंफ, तथा चीनी मिलाकर खाने से नींद आ जाती है।
भांग का नशा:
ताजा दही खिलाते रहने से भांग का नशा उतर जाता है।
काली खांसी:
2 चम्मच दही, 1 चम्मच चीनी तथा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग कालीमिर्च को शहद में मिलाकर बच्चे को चटाने से बच्चों की काली खांसी मिट जाती है।
बालों का झड़ना:
खट्टे दही को बालों की जड़ों में लगाकर थोड़ी देर मालिश करने के बाद उसे ठण्डे पानी से धो लें। इससे बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।
गंजेपन का रोग:
दही को तांबे के बर्तन से ही इतनी देर रगडे़ कि वह हरा हो जाए। इसको सिर में लगाने से सिर की गंजेपन की जगह बाल उगना शुरू हो जाते हैं।
अफारा (पेट में गैस का बनना):
दही की छाछ (दही का खट्टा पानी) को पीने से अफारा (पेट की गैस) में लाभ होता है।
रतौंधी:
दही के पानी में कालीमिर्च को पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी के रोग में आराम आता है।
जीभ की प्रदाह और सूजन:
दही में पानी मिलाकर रोजाना गरारे करने से जीभ की जलन खत्म हो जाती है।
दही के साथ पका हुआ केला सूर्योदय (सूरज उगने से पहले) से पहले खाने से जीभ में होने वाली फुन्सियां खत्म हो जाती है।
Once I read on Facebook – How to keep fit with only three or four Homeopathic Medicines? If some one has the necessary details kindly write a detailed description of the medicines , their potencies and the method of their intake.