आप अपने बच्चो को मनमानी से कैसे रोकें
नमस्कार दोस्तों onlyayurved में एक बार फिर से स्वागत है आज हम आपको बता रहे हैं How to prevent your children arbitrarily in Hindi ये जरुरी नहीं है आप दुनियां के सबसे अच्छे माँ-बाप है और ये भी जरुरी नहीं है कि आप अपने बच्चों(Children)को सही प्रकार से गाइड कर रहे है वैसे तो हर माँ-पिता अपने बच्चो के लिए अच्छा बनाने के लिए न जाने क्या-क्या प्रयास करते है, लेकिन तब भी ये जरुरी नहीं है कि सभी माता-पिता परफेक्ट ही होगें ये भी तो हो सकता है कि बच्चों को सही मार्ग दिखाने की आपकी गाइड-लाइन गलत हो क्यूंकि आखिर बच्चे तो जिद्दी होते ही है
बच्चों को सुधारने के टिप्स(Tips)अपनाएँ-
How to prevent your children arbitrarily in Hindi
1- यदि आपका बच्चा(child)आपसे सीधी जिद करे तो कुछ माता-पिता सीधा-सीधा एक फरमान जारी कर देते हैं कि तुम जो मांग रहे हो वह तुम्हें नहीं मिलेगा लेकिन कई बार बच्चे की मांग जायज भी होती है अगर साथ में कोई-कोई माता-पिता तो अक्सर बिना सोचे-समझे बच्चे की इच्छा पूरी भी कर देते हैं ताकि उनकी बातचीत में दखल न हो या फिर दूसरों के सामने उनकी इमेज खराब न हो-लेकिन हो सकता है कि बच्चे की हर जिद को पूरी करना आगे चल-कर आपके और आपके बच्चे के लिए दुखदाई साबित हो-
2- वैसे बच्चे को हमेशा जादा रोकें-टोकें नहीं लेकिन हर बात के लिए “हां” करना भी गलत है और हमेशा न करना भी सही नहीं है यानि ‘डोंट डू दिस, डोंट टू दैट’ का रवैया सही नहीं है-जो बात मानने वाली है उसे मान लेना भी चाहिए क्युकि अगर उसकी कुछ बातें मान ली जाएंगी तो वह जिद कम करेगा-मसलन कभी-कभी खिलौना दिलाना-उसकी पसंद की चीजें खिलाना जैसी बातें मान सकते हैं-
3- ध्यान रहे कि अगर एक बार इनकार कर दिया तो फिर बच्चे की जिद के सामने झुककर हां न करें यदि बच्चे को अगर यह मालूम हो कि मां या पापा की ‘हां’ का मतलब ‘हां’ और ‘ना’ का मतलब ‘ना’ है तो वह जिद नहीं करेगा-
4- ये भी एक जरुरी बात ध्यान रखें कि बच्चे के किसी भी मसले पर मां-पापा दोनों की सहमति होनी जरूरी है-ऐसा न हो कि एक इनकार करे और दूसरा उस बात के लिए मान जाए-अगर एक सख्त है और दूसरा नरम है तो बच्चा इसका फायदा उठाता है-जो बात नहीं माननी है उसके लिए बिल्कुल साफ इनकार करें और पुरजोर देकर करें और ये काम आप दोनों पति-पत्नी मिलकर करें तथा अगर घर में बाकी लोग हैं तो वे भी बच्चे की तरफदारी न करें-तभी आपके बच्चे में कुछ दिनों बाद सुधार आएगा-
5- आप अपने बच्चे के सामने खुद को कमजोर बनकर न दिखाएं और न ही उसके सामने रोएं-इससे बच्चा ब्लैकमेलिंग सीख लेता है और बार-बार इस हथियार का इस्तेमाल करने लगता है आप यह न कहें कि अगर तुम यह काम करोगे तो हम वैसा करेंगे-मसलन अगर तुम होमवर्क पूरा करोगे तो आइसक्रीम खाने चलेंगे-उससे कहें कि पहले होमवर्क पूरा कर लो-फिर आइसक्रीम खाने चलेंगे-इससे उसे पता रहेगा कि अपना काम करना जरूरी है बच्चा भी समझ जाता है कि ऐसे में फिजूल जिद बेकार है-
6- आप बच्चे से बहस की बजाय कई बार समझौता कर सकते हैं कि चलो तुम थोड़ी देर कंप्यूटर पर गेम्स खेल लो और फिर थोड़ी देर पढ़ाई कर लेना-इससे बच्चा दुनिया के साथ भी Negotiate करना सीख जाता है-हालांकि ऐसा हर बार न हो वरना बच्चे में ज्यादा चालाकी आ जाती है-
7- यह भी देखें कि बच्चा जिद कर रहा है या आप जिद कर रहे हैं क्योंकि कई बार पैरंट्स भी बच्चे की किसी बात को लेकर ईगो इशू बना लेते हैं तो यह सरासर गलत है-
8- आपका बच्चा टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर, गेम्स से चिपका रहे तो कई पैरंट्स सीधे टीवी या कंप्यूटर ऑफ कर देते हैं और कई माता-पिता रिमोट छीनकर अपना सीरियल या न्यूज देखने लगते हैं-इसी तरह कुछ मोबाइल छीनने लगते हैं और कुछ इतने बेपरवाह होते हैं कि ध्यान ही नहीं देते कि बच्चा कितनी देर से टीवी देख रहा है या गेम्स खेल रहा है-
9- कई बार मां अपनी बातचीत या काम में दखलंदाजी से बचने से लिए बच्चों से खुद ही बेवक्त टीवी देखने को कह देती हैं बच्चे से रिमोट छीनकर बंद न करें और न ही अपनी पसंद का प्रोग्राम लगाकर देखने बैठ जाएं आप अपने बच्चे को कुछ बनाना चाहते है तो अपना टीवी देखना कम करें क्युकि अक्सर बच्चे स्कूल से आते हैं तो मां टीवी देखती मिलती है-
10- बच्चे की पसंद के हर प्रोग्राम में कमी न निकालें कि यह खराब है-उससे पूछें कि वह जो देख रहा है उससे उसने क्या सीखा और हम भी वह प्रोग्राम देखेंगे-
11- अखबार देखें और बच्चे के साथ बैठकर तय करें कि वह कितने बजे, कौन-सा प्रोग्राम देखेगा और आप कौन-सा प्रोग्राम देखेंगे-इससे बच्चा सिलेक्टिव हो जाता है-तब उसके कमरे में टाइम टेबल लगा दें कि वह किस वक्त टीवी देखेगा और कब गेम्स खेलेगा? अगर वह एक दिन ज्यादा देखता है तो निशान लगा दें और अगले दिन कटौती कर दें-
12- विडियो गेम्स आदि के लिए हफ्ते में कोई खास दिन या वक्त तय करें-आप खुद भी हर वक्त फोन पर बिजी न रहें वरना बच्चे से इनकार करना मुश्किल होगा- हां, उसे मोबाइल देते वक्त ही मोबाइल बिल की लिमिट तय करें कि महीने में उसे इतने रुपए का ही मोबाइल खर्च मिलेगा-दूसरों को दिखाने के लिए उसे महंगा फोन न दिलाएं और उसे बताएं कि ज्यादा लंबी बातचीत से शरीर को क्या नुकसान हो सकते हैं..? इतना वक्त खराब करने से पढ़ाई का नुकसान हो सकता है आदि-इसी तरह बताएं कि चैटिंग करें लेकिन बाद में-
12- अकेले में बच्चे का मोबाइल अवस्य चेक करें-उसमें गलत एमएमएस नजर आएं या ज्यादातर मेसेज डिलीट मिलें तो कुछ गड़बड़ हो सकती है-
13- आप कंप्यूटर ऐसी जगह पर रखें-जहां से उस पर सबकी निगाह पड़ती हो-इससे पता चलता रहेगा कि वह किस वेबसाइट पर क्या कर रहा है तथा इंटरनेट की हिस्ट्री चेक करें-
14- कंप्यूटर यदि घर पर है तो बच्चे को फोटोशॉप या पेंट आदि सिखाएं-इससे वह कंप्यूटर का रचनात्मक इस्तेमाल कर सकेगा और अगर पता लग जाए कि बच्चे में बुरी आदतें पड़ गई हैं तो उसे एकदम डांटें नहीं लेकिन अपने बर्ताव में सख्ती जरूर ले आएं और उसे साफ-साफ बताएं कि आगे से ऐसा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लेकिन ध्यान रहे कि उसकी गलती का बार-बार जिक्र न करें-बच्चे की अटेंशन डायवर्ट करें-उसे खेल खिलाने पार्क आदि ले जाएं-उसकी Energy का इस्तेमाल सही दिशा में नहीं होगा-तो वह भटक सकता है-
15- कुछ माता-पिता अपने बच्चों से घर के काम के लिए कहती है और बच्चा यदि घर के कामों में हाथ न बंटाए तो अक्सर माताएं बच्चों से कहती हैं कि मेरे होते हुए तुम्हें काम करने की क्या जरूरत है और बाद में जब आपका बच्चा काम से जी चुराने लगता है तो आप उसे कामचोर कहने लगती हैं जो सरासर ही गलत है-
16- कई माता-पिता लड़के-लड़की में भेद करते हुए कहती हैं कि यह काम लड़के नहीं करते है सिर्फ लड़कियां करती हैं और कई बार माँ सजा के तौर पर काम कराती हैं-जैसे- यदि पढ़ नहीं रहे हो तो चलो घर की सफाई करो या किचन में हेल्प करो आदि-बच्चे को लगातार सलाह भी देती रहती हैं संभलकर गिर जाएगा या टूट जाएगा-जबकि ये गलत है
17- आप बच्चे को काम बताएं और बार-बार टोकें नहीं कि गिर जाएगा या तुमसे होगा नहीं-बड़ों से भी चीजें गिर जाती हैं जबकि बार-बार टोकने से बच्चे का आत्मसम्मान और इच्छा दोनों खत्म हो जाती हैं-इसके बजाय उसे प्रोत्साहित करें-
18- आप अपने बच्चे से थोडा काम भी करवाएं जैसे-आप बच्चे से पानी मंगवाएं और थोड़ा बड़ा होने पर चाय बनवाएं बल्कि सबके सामने उसकी तारीफ भी करें कि वह कितनी अच्छी चाय बनाता है-इससे बच्चे की घर के कामों में दिलचस्पी बनने लगती है क्योंकि आज के वक्त में यह एक जरूरत भी बन गई है उल्टे दूसरों के सामने बार-बार शान से यह न कहें कि मैं अपने बच्चे से घर का कोई काम नहीं कराती हूँ इससे उसे लगेगा कि घर का काम नहीं करना एक शान की बात है-
19- प्यार-दुलार के दबाव में बच्चा महंगी चीजों की डिमांड करे तो महंगी चीजें मांगने पर या तो बच्चों को डांट पड़ती है या फिर माता-पिता अपनी बेचारगी दिखाते हैं कि हम तो गरीब हैं-हम तुम्हें दूसरों की तरह महंगी चीजें नहीं दिला सकते है जबकि आप बल्कि बच्चे के सामने बैठकर बातें करें कि आपके पास कितना पैसा है और उसे कहां खर्च करना है तथा उसके साथ बैठकर प्लानिंग करें कि इस महीने तुम्हें नए कपड़े मिलेंगे और अगले महीने मैं खरीद लूंगा-इससे उसे आपकी कमाई का आइडिया रहेगा-अक्सर पैरंट्स अपनी कटौती कर बच्चे की सारी इच्छाएं पूरी करते हैं तो हर बार ऐसा न करें वरना उसकी डिमांड बढ़ती जाएगी और वह स्वार्थी हो सकता है उसके सामने यह न करें कि तुम्हारा वह दोस्त फिजूलखर्च है या वह बड़े बाप का बेटा है आदि-बल्कि सामने घर खर्च का हिसाब करने से आपका बच्चा पैसे के महत्व और उसके खर्च की उपयोगिता को समझ सकेगे-
20- ध्यान रक्खें कि बच्चों को अपने दोस्तों की बुराई पसंद नहीं आती है यदि कुछ कहना भी है तो घुमाकर अच्छे शब्दों में कहें कि तुम्हारा दोस्त बहुत अच्छा है लेकिन कभी-कभी थोड़ा ज्यादा खर्च कर देता है जो बिलकुल भी सही नहीं है-
21- बच्चे की नींव इस तरह तैयार करें कि उसकी संगत भी अच्छी हो और उसके दोस्तों पर निगाह रखें और उन्हें अपने घर बुलाते रहें तथा बच्चे को ऐसे बच्चों के साथ ही दोस्ती करने को प्रेरित करें जिनकी वैल्यू आपके परिवार के साथ मैच करें-
22- आपका बच्चा जब दूसरे बच्चों से मारपीट करे तो-कई पैरंट्स इस बात पर बहुत खुश होते हैं कि उनका बच्चा मार खाकर नहीं आता है बल्कि दूसरे बच्चों को मारकर आता है और वे इसके लिए अपने बच्चे की तारीफ भी करते हैं जब दूसरे लोग शिकायत करते हैं तो उलटा पैरंट्स उनसे लड़ने को उतारू हो जाते हैं कि हमारा बच्चा ऐसा नहीं कर सकता है-
23- कुछ माताएं ये भी कहती हैं कि तुम दूसरे बच्चों को मारोगे तो इंजेक्शन लगवा दूंगी या टीचर से डांट पड़वा दूंगी या झोलीवाला बाबा ले जाएगा जबकि थोड़े दिन बाद बच्चा जान जाता है ये सारी बातें झूठ हैं तब वह और ज्यादा पीटने लगता है यानी निडर बन जाता है-
24- अगर घर में बच्चे आपस में लड़ते हैं तो लड़ने दें-आखिर में जब दोनों शिकायत लेकर आएं तो बताएं कि जो भी बड़ा भाई/बहन है वह खुद आपके आप आकर बात करेगा आप दोनों में से किसी का भी पक्ष न लें और कोई दूसरा शिकायत लेकर आएं तो सुनें आप उनसे कह सकते हैं कि मैं बच्चे को समझाऊंगी वैसे, बच्चे तो आपस में लड़ते ही रहते हैं-उनकी बातों में न आएं-इससे लड़ने के बावजूद बच्चों में दोस्ती बनी रहती है-बच्चे को सामने बिठाकर समझाएं कि अगर आप मारपीट करोगे तो कोई आपसे बात नहीं करेगा-कोई आपसे दोस्ती नहीं करेगा-आप उसे गलती के नतीजे बताएं-इसके लिए उसे सजा जरूर दें लेकिन सजा मारपीट या डांट के बजाय दूसरी तरह से दी जाए जैसे कि मां आपसे दो घंटे बात नहीं करेंगी या पसंद का खाना नहीं मिलेगा आदि-
25- अक्सर बहुत सी मां को लगता है मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं है और वह जबरन उसे खिलाने की कोशिश भी करती है अगर वह हेल्दी खाना नहीं खाना चाहता तो मां उसे मैगी, पिज्जा, बर्गर आदि खिला देती है-उसे लगता है कि इस बहाने वह कुछ तो खाएगा-कई पैरंट्स खुद खूब फास्ट फूड खाते हैं या इनाम के तौर पर बच्चे को बार-बार फास्ट फूड की ट्रीट देते हैं बल्कि आप बच्चे के साथ बैठकर हफ्ते भर का घर का मेन्यू तय करें कि किस दिन कब क्या बनेगा-इसमें एक-आध दिन नूडल्स जैसी चीजें शामिल कर सकते हैं-अगर बच्चा रूल बनाने में शामिल रहेगा तो वह उन्हें फॉलो भी करेगा-यह काम तीन-चार साल के बच्चे के साथ भी बखूबी कर सकते हैं-
26- कभी-कभी बच्चे की पसंद की चीजें बना दें लेकिन हमेशा ऐसा न करें-पसंद की चीजों में भी ध्यान रहे कि पौष्टिक खाना जरूर हो-इस डर से कि खा नहीं रहा है तो कुछ तो खा ले इसलिए नूडल्स, सैंडविच, पिज्जा जैसी चीजें बार-बार न बनाएं वरना वह जान-बूझकर भूखा रहने लगेगा और सोचेगा कि आखिर में उसे पसंद की चीज मिल जाएगी-जब भूख लगेगी तो बच्चा नॉर्मल खाना खा लेगा-
27- छोटे बच्चों को खाने में क्रिएटिविटी अच्छी लगती है इसलिए उनके लिए जैम, सॉस आदि से डिजाइन बना दें सलाद भी अगर फूल,चिड़िया, फिश आदि की शेप में काटकर देंगे तो वह खुश होकर उसे भी खा लेगा-
28- बच्चे टीचर्स की बातें मानते हैं इसलिए टीचर से बात करके टिफिन में ज्यादा और पौष्टिक खाना पैक कर सकते हैं ताकि वह स्कूल में खा ले-बच्चे को हर वक्त जंक फूड खाने से न रोकें बल्कि उसके साथ बैठकर तय करें कि वह हफ्ते में एक दिन जंक फूड खा सकता है तथा इसके अलावा, दोस्तों के साथ पार्टी आदि के मौके पर इसकी छूट होगी-नहीं खाना है ये कहने के बजाय उसे समझाएं कि ज्यादा जंक फूड खाने के क्या नुकसान हो सकते हैं- और लॉजिक देकर समझाने से वह खाने की जिद नहीं करेगा लेकिन पैरंट्स खुद भी जंक फूड न खाएं तथा इसके अलावा, जिस चीज के बारे में एक बार कह दिया कि इसे खाना गलत है तो बाद में किसी बात से खुश होकर बच्चे को उसे खाने की छूट न दें-
29-आप ध्यान दें कि दुनिया में कोई भी पैरंट्स परफेक्ट नहीं होते है कभी यह न सोचें कि हम परफेक्टली बच्चों को हैंडल करेंगे तो वे गलती नहीं करेंगे- बच्चे ही नहीं-बड़े लोग भी गलती करते हैं अगर बच्चे को कुछ सिखा नहीं पा रहे हैं या कुछ दे नहीं पा रहे हैं तो यह न सोचें कि एक टीचर या प्रवाइडर के रूप में हम फेल हो गए हैं-बच्चों के फ्रेंड्स बनने की कोशिश न करें क्योंकि वे उनके पास काफी होते हैं-उन्हें आपकी जरूरत पैरंट्स के तौर पर है इसलिए पेरेंट्स ही बने दोस्त नहीं-दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी कृपया कमेंट करके हमें जरुर बताए और अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपका कोई सवाल है तो भी आप कमेंट करके पूछ सकते है