डॉ. मोहित बीजाका – खंडेला Research Health Analyst बी-644 मुरलीपुरा स्कीम , जयपुर-302039
हर आदमी का एक सपना होता है की उसका एक बड़ा सा …सुन्दर घर हो और उस घर में परिवार के हर सदस्य के लिए अलग अलग बैडरूम हों और हर बैडरूम के साथ डैसिगरूम और अटैच टायलेट भी होना चाहिए। बैडरूम के अलावा एक पूजा रूम, स्टडीरूम, डाइनिंग रूम, लीविग रूम, स्टोर, किचन, सीढ़ियाँ, घर के बाहर गार्डन, कार पार्किंग शेड, नौकर का कमरा, लिफ़्ट, और स्वीमिंग पुल भी हो तब तो बात ही क्या है।
और इस घर के सपने को पुरा करने के लिए व्यक्ति को क्या क्या पापड़ नही बेलने पड़ते परन्तु आज तक जितने भी लोगों के ऐसे घर मैने बनाये हैं उन सबने बाद में एक बात काँमन रूप से जरूर कही है …”जब हम छोटे घर में थे तब ज्यादा सुखी थे।”
आशियाँ छोटा सही ………..दिल बड़ा था
बडे मकानों में रहते हैं अक्सर तंगदिल लोग।
भवन के वायव्य कोण में वास्तु दोष से होता है ….स्वाइन फ्लू।
वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों की पालना से भवन में रहने वाले लोगों को धन सम्पति,मान सम्मान व संतान सुख तो मिलता ही हैं साथ ही स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और उन्है कोई गम्भीर बिमारी भी नही होती।
भवन में वास्तु दोष हो तो उसमें रहने वाले लोगों को असाध्य रोग होते हैं और अगर इन दोषों को दुर कर दिया जाये तो बिमार व्यक्ति के स्वास्थ्य में तुरन्त आश्चर्य जनक रूप से सुधार होने लगता है इसमें भी कोई संदेह नही है।
भवन के ईशान कोण में शौचालय, भारी निर्माण, ईशान कोण कटा हो या ऊँचे पेड हो तो गृहस्वामी के ज्येष्ठ पुत्र को टी बी या केंसर जैसे रोग होने की संभावना बढ जाती है
ईशान कोण के साथ साथ यदि अग्निकोण में भी दोष हो तो गृहस्वामी की स्त्री सदैव रोग ग्रस्त रहती है ,किडनी सम्बन्धी बिमारीयां होती हैं व दुसरे नम्बर की पुत्र संतान का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है
अग्निकोण के साथ उत्तर दिशा में वास्तु दोष होने पर चर्म रोग होतें हैं और व्यक्ति के चहरे का तेज़ नष्ट हो जाता हैं
भवन की दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार, बैसमेंट या पानी का टैंक स्त्रियों के रोगों को बढ़ाता है
सीढ़ियों के नीचे या ग़लत दिशा में बने हुऐ टायलेट का उपयोग करने से पाचन तंत्र बिगड़ जाता है और पेट सम्बन्धी रोग होतें हैं
नैऋत्य कोण में दोष हो तो गृहस्वामी को ह्रदय घात कोने की संभावना बढ जाती है व गर्भपात ज़्यादा होते है।
नैऋत्य कोण के साथ साथ ईशान कोण में भी दोष हो तो गृहस्वामी को लकवा या ब्रेन हेमरेज हो सकता है।
भवन की वायव्य दिशा में रोग नामक देवता का निवास माना जाता है इस दिशा में मुख्य द्वार हो तो बिमारीयां कभी पीछा नही छोड़ती स्त्रियों को मानसिक रोग व डिप्रेशन जैसी बिमारीयां वायव्य कोण में दोष होने की वजह से ही ज़्यादा होती है और इससे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण इनफ़ेक्शन और मौसम के बदलाव से होने वाले रोग जल्दी अपनी चपेट में ले लेते हैं। ख़ासकर जानलेवा बिमारी स्वाइन फ्लू ….भवन की वायव्य दिशा में वास्तु दोष होने का ही परिणाम है।
डॉ. मोहित बीजाका – खंडेला Research Health Analyst बी-644 मुरलीपुरा स्कीम , जयपुर-302039