कभी नही होंगे फोड़े-फुंसियां( Skin Problems) एक सरल उपाए
क्या आप भी हैं फोड़ों और फुंसियां जैसी चमड़ी के रोगों से परेशान तो कजिये अपनी परेशानी को दूर और जानिए इसके उपाए और बनाये अपनी त्वचा को निरोग और सुन्दर।
फोड़े-फुंसियों या दाद-खाज खुजली जैसी चमड़ी की बीमारियों के पीछे प्रमुख रूप से रक्त का दूषित होना होता है। जब शरीर का खून दूषित यानी गंदा हो जाता है तो कुछ समय के बाद उसका प्रभाव बाहर त्वचा पर भी नजर आने लगता है। प्रदूषण चाहे बाहर का हो या अंदर का वो हर हाल में अपना दुष्प्रभाव दिखाता ही है। जिसके वजे से फोड़े और फुंसियों का सामना करना पड़ता है। निम्नलिखित तरीके से आप बच सकते है हर उस बीमारी से जो रक्त के दूषित होने के कारण होती है।
नीम का प्रयोग
नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’
विधि
चैत्र मास( अर्थात मर्च अप्रैल में ) जब नीम की नई-नई कोंपलें खिलती है तब इक्कीस दिन ताजी पंद्रह कोपलें ( बच्चो के लिए सात ) प्रतिदिन दातुन-कुल्ली करने के बाद चबाकर खाने या गोली बनाकर पानी के साथ निगलने या घोंटकर पीने से साल भर फोड़े-फुंसियां नही निकलती।
विशेष
1. इसे खली पेट सेवन करें और उसके बाद कम से कम दो घंटे तक कुछ न खाएं।
2. इससे खून की बहुत सारी खराबियां, खुजली आदि चर्म रोग तथा वात, पित्त और कफ के रोग जड़ सी नष्ट होते है।
3. इससे मधुमेह( डायबिटीज ) की बीमारी भी ठीक हो जाती है।
4. ध्यान रहे, इक्कीस कोपलें और सात पत्तियों से ज्यादा और लगातार बहुत लम्बे समय तक नही खाएं वरना मर्दाना शक्ति कमजोर होती है।
परहेज
तेल, मिर्च, खटाई एव तली चीजों का सेवन न करें।