क्या आप जानते है तोरी खाने के ये चौकाने वाले फ़ायदे ?
तोरी तथा तोरई सब्जी के रूप में तोरी हर जगह खाई जाती है। तुरूई को अंग्रजी में लुफफा एक्युटंगुला कहा जाता है। तोरी हरे रंग की होती है इसकी प्रकृति ठंडी व तर होती है इसमें बहूत से पोषक तत्व पाये जाते है जैसे- ज़िक ,आयरन ,फस्फोरस और फाइबर अदि |
दाद, खाज और खुजली की समस्या
दाद, खाज और खुजली की समस्या से यदि आप परेशान हैं तो तुरई के बीजों और पत्तों को पानी के साथ पीसकर इसका पेस्ट बनाएं और इसका लेप त्वचा पर लगाएं। यह खुजली और दाद से तुरंत राहत देती है। इसके इलावा आप तुरई के इस पेस्ट को कुष्ठ रोग पर भी लगा सकते हो।
पीलिया रोग से राहत पाने के लिए यदि किसी कारणवश पीलिया रोग हो जाए तो आप तोरी के फल के रस की दो बूंदे रोगी के नाक में डालें। इस उपाय से नाक से पीले रंग का पदार्थ बाहर आ जाता है और पीलिया जल्दी ठीक हो जाता है।
घुटनों के दर्द से आराम तोरई के सेवन से घुटनों के दर्द में आराम मिलता है|
बाल काले करने के लिए तोरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें | इसके बाद इन टुकड़ों को नारियल के तेल में चार दिन तक डालकर रखें | फिर इसे उबालें और छानकर बोतल में भर लें | इस तेल से सिर की मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं |
पेट के लिए यह सब्जी अपने स्वस्थ रेचक गुणों के लिए भी जानी जाती है। तोरई को कब्ज की समस्या से राहत के लिए प्रभावीरूप से प्रयुक्त किया जाता है और बवासीर से छूटकारा पाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। यह पेट की कार्यप्रणाली पर बढि़या प्रभाव डालती है।
आंखों के स्वास्थ्य और दृष्टि को बढ़ाने के लिए इसके अतिरिक्त यह शरीर के अंदर अनेक शारीरिक द्रव्यों की वृद्धि और विकास कर स्वास्थ्य के सुखेपन को दूर करती है। तोरई इसके कुलिंग एजेंट की तरह कार्य के लिए जानी जाती है। इस सब्जी में उपस्थित बीटा कैरोटिन के कारण यह आंखों के स्वास्थ्य और दृष्टि को बढ़ाने के लिए जानी जाती है।
रक्त को शुद्ध करने वाला बढि़या पदार्थ बार-बार अपने भोजन में तोरई का सेवन आपके रक्त में मिले हुए प्रदूषक तत्वों को साफ करने का एक प्रभावी तरीका है। इसके अतिरिक्त, यह आपके लिवर के स्वास्थ्य को भी सुधारती है और एल्कोहॉल व नशे के दुष्प्रभाव को भी कम करने में मदद करती है।
लीवर की समस्य में तोरी मददगार तुरई की सब्जी खाने से लीवर की समस्याएं ठीक होती हैं। इसके इलावा तोरी लीवर में खून को साफ करती है। लीवर के लिए यह किसी गुणकारी औषधि से कम नहीं होती है।
Kidney stone ka ilaj – किडनी में पथरी, पेशाब में जलन, और बूँद बूँद पेशाब का इलाज
पथरी : तोरई की बेल गाय के दूध या ठंडे पानी में घिसकर रोज सुबह के समय में 3 दिन तक पीने से पथरी गलकर खत्म होने लगती है।
फोड़े की गांठ : तोरई की जड़ को ठंडे पानी में घिसकर फोड़ें की गांठ पर लगाने से 1 दिन में फोड़ें की गांठ खत्म होने लगता है।
चकत्ते : तोरई की बेल गाय के मक्खन में घिसकर 2 से 3 बार चकत्ते पर लगाने से लाभ मिलता है और चकत्ते ठीक होने लगते हैं।
पेशाब की जलन : तोरई पेशाब की जलन और पेशाब की बीमारी को दूर करने में लाभकारी होती है।
आंखों के रोहे तथा फूले : आंखों में रोहे (पोथकी) हो जाने पर तोरई (झिगनी) के ताजे पत्तों का रस को निकालकर रोजाना 2 से 3 बूंद दिन में 3 से 4 बार आंखों में डालने से लाभ मिलता है।
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