health benefits of juices and side effects of cold drinks
समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा और टी.वी. पर किए गए कोल्ड ड्रिंक(कोल्ड ड्रिक्स) के आकर्षक, धुंआधार विज्ञापनों के कारण शहरों से गांवों तक गर्मी के मौसम में, इनका उपयोग काफी अधिक बढ़ गया है। बच्चों और युवा पीढ़ी पर तो उसका जादुई असर हुआ है। यही कारण है कि हर वर्ष इनकी बिक्री बढती जा रही है। बच्चों में इनकी पसंद इस कदर है कि नासमझ छोटे बच्चे तक अब पौष्टिक दूध और ताजा फलो के जूस की जगह कोल्ड ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं। ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि इन ड्रिंक्स के पीने से न तो प्यास बुझती है और न ही गर्मी से राहत मिलती है। हां, थोड़े समय के लिए ऐसा अहसास जरूर होता है। इन ड्रिंक्स में मिली हुई कार्बन डाइआक्साइड गैस पेट में पहुंचते ही डकारें आना शुरू हो जाती हैं और यदि इन्हें रोकने की कोशिश की जाए, तो ये गैस नाक से निकल कर जलन पैदा करती है। डकारें आने से लोग यह सोचते हैं कि पाचन संस्थान को राहत मिल रही है, जो एक गलत धारणा है।इसमें कोई शक नहीं कि तपती गर्मी में कोल्ड ड्रिंक्स की ठंडी बोतल पीने से हमें तुरंत राहत मिलती है, लेकिन इनका अधिक मात्रा में या लंबी अवधि तक किया गया सेवन सेहत के लिए हानिकारक सिद्ध होता है। कोल्ड ड्रिंक्स के बजाय ताज़ा फलों और सब्जियों का जूस लें, कोल्ड ड्रिंक के स्थान पर यदि हम उपलब्ध मौसमी फलों का उपयोग करें, तो उससे अधिक पौष्टिक तत्व प्राप्त होंगे।
जूस पीने का सही समय क्या है?
- जूस पीने का सही समय सुबह नाश्ते के साथ होता है, दोपहर में भी जूस पिया जा सकता है |
- जूस में थोडा पानी मिलाकर पीना चाहिए क्योंकि जूस निकालने से फलों के फाइबर निकल जाते हैं और शुगर अधिक रह जाता है जिससे पोषण तो भरपूर मिलता है लेकिन कैलोरी भी तेजी से बढ़ती हैं।
- रात में दही या जूस का सेवन ना किया जाये तो अच्छा रहता है।इससे कफ की समस्या हो सकती है । खाली पेट जूस के सेवन से बचना चाहिए ।
- शूगर या मधुमेह के रोगियों को अपने डाक्टर की सलाह अनुसार ही जूस का सेवन करना चाहिए वैसे मधुमेह में करेले का जूस पीना लाभकारी होता है।
- अगर आप रोजाना एलोविरा जूस का सेवन करते हैं तो आपको बहुत सारी बिमारियों से बिना किसी दवा के ही निजत मिल सकती है ।
नीचे दिए हुए फलों का जूस पीना कोल्ड ड्रिंक की अपेक्षा ज्यादा लाभकारी होगा
- आम का रस (मैंगो जूस) : इसे पीने से गुर्दे की दुर्बलता दूर होती है, नींद अच्छी आती है, त्वचा का सौंदर्य निखरता है, दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है, शरीर में खून बनता है, स्फूर्ति आती है, पेट साफ करता है, हृदय, और लीवर मजबूत होता है। इसमें विटामिन ‘ए’ अधिक होने के कारण रतौंधी रोग में लाभदायक है। आँखों की रोशनी बढाता है |
- अंगूर का रस (ग्रेप जूस) : अंगूर का रस रस पीने से थकावट दूर होती है, शरीर में शक्ति एवं स्फूर्ति का संचार होता है, मन प्रसन्न रहता है। बार-बार जुकाम होना, कैंसर, क्षय, पायोरिया, बच्चों का सूखा रोग, बार-बार पेशाब आना , दुर्बलता, आमाशय के घाव, मिरगी, जुकाम के साथ खांसी, हृदय का दर्द, मासिक धर्म की अनियमितता, नकसीर, मां का दूध बढ़ाने वाला तथा नशीले पदार्थों की आदत छोड़ने में भी सहायता करता है।
- संतरे का रस (ऑरेंज जूस) : इसका रस पीने से पाचन-शक्ति सुधरती है, इसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में होने से सर्दी-खांसी में लाभ मिलता है, फ्लू में गुणकारी है। यह शरीर का वजन बढ़ाता है। बच्चों को रोज संतरे का रस पिलाने से उनकी सेहत में सुधार होता हैं। पायोरिया, मधुमेह, कब्ज़, भूख न लगने, बच्चों के दस्त, गैस की तकलीफ, कमजोरी, पीलिया रोगों में भी इसका रस गुणकारी है।
- अनार का रस (पोमेग्रेनेट जूस) : इसका जूस पीने से पेट ठीक रहता है, कामेंद्रियों को बल मिलता है, अरुचि कम होती है, मन प्रसन्न होता है, शरीर की गर्मी दूर करता है, पेट के कीड़े नष्ट करता है। पेट के रोगों, दस्त, दुबलापन, बुखार में भी इसका रस लाभदायक है।
- तरबूज का रस (वाटरमेलोन जूस) : इसका जूस पीने से तरावट बनी रहती है, गर्मी कम महसूस होती है, लू से बचाव होता है, थकावट दूर होती है, प्यास कम लगती है।
- नीबू का रस (लेमन जूस) : इसका जूस पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, प्यास बुझाता है, भूख बढ़ाता है, तरावट आती है, शरीर में जल की कमी नहीं होती, पेट ठीक रहता है, खून को साफ करता है, दिल की घबराहट दूर करता है।
- दही की लस्सी : इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत गुणकारी है। इसका 81 प्रतिशत अंश एक घंटे के अंदर शरीर द्वारा सोख लिया जाता है, जिससे तुरंत शक्ति मिलती है, शरीर मजबूत होता है, त्वचा में कांति, और तेज की वृद्धि होती है। शरीर की फालतू चबी कम होती है। हृदय रोगों में भी गुणकारी है।
- गन्ने का जूस : इसका सेवन करने से शरीर में बल बढ़ता है, भोजन पचता एवं कब्ज दूर होता है, शीतलता देता है। हृदय की जलन दूर करता है। खून साफ करता है। एक दिन में दो गिलास से ज्यादा गन्ने का रस नहीं पीना चाहिए. गन्ने का रस निकालने के लिए ज्यादातर दुकानें मशीन का इस्तेमाल करती हैं इन मशीनों को चलाने के लिए एक खास किस्म के तेल का उपयोग होता है | ये तेल यदि पेट में चला जाए तो इसका बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. इसलिए बाहर से जूस पीते समय देख समझकर ही इसका सेवन करें |
- संतरे का जूस : दांतों की बीमारी, मसल्स की बीमारी, और बार-बार खांसी-जुकाम होता है, वह कहीं न कहीं विटामिन सी की कमी से होता है, इसमें संतरे का जूस फायदेमंद है। पालक, आंवले ,अनार, और चुकंदर का जूस खून की कमी को पूरा करते हैं।
अब जानिए कोल्ड ड्रिंक पीने के नुकसान Fruit Juice Vs Cold Drinks and Health Risk
- अकसर लोगों को यह मालूम नहीं होता है कि कोल्ड ड्रिंक में मुख्य रूप से सैक्रीन, चीनी, साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड, कैफ़ीन, कार्बन डाइआक्साइड, रंग-सोडियम ओएंजाइड आदि पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। वास्तव में यदि देखा जाए, तो शीतल पेय में पौष्टिक सब्जियों और फलों के वास्तविक रसों का नाममात्र अंश भी नहीं होता।
- अमेरिका में किए गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि सैक्रीन और कैफ़ीन युक्त पदार्थों के सेवन करने से बच्चे पढ़ाई से जी चुराने लगते हैं।
- शरीर में कैफीन जब पूरी तरह से घुल जाता है, तो आंखों की पुतलियां फैलने लगती हैं। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और लिवर, शरीर में मौजूद अधिक शर्करा को रक्तधमनियों में भेजने लगता है।
- इस अनुसंधान के अनुसार बच्चों को खाली पेट कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं करने देना चाहिए तथा बारह वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कोका युक्त शीतल पेय सेवन नहीं करना चाहिए।
- सैक्रीन युक्त पेयों के सेवन से ब्लड शुगर की बीमारी हो सकती है। बच्चे मोटापे के शिकार हो सकते हैं, मधुमेह से लेकर दिल की बीमारियां तक हो सकती हैं।
- कोल्ड ड्रिंक की आदती बनाने में कैफीन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ज्यादातर कोल्ड ड्रिंक में साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड मिलाया जाता है, जो पेट में जाकर अम्लीयता बढ़ा देता है। इससे भूख नहीं लगती।
- एसिड की अधिकता के परिणामस्वरूप पेप्टिक अल्सर (पेट के छाले) भी हो सकता है। शरीर में फास्फोरिक अम्ल लौह तत्व सोखने की शक्ति घटा देता है, जिससे लौह तत्व की शरीर में कमी की संभावना बढ़ जाती है।
- सामान्यतया कोल्ड ड्रिंक को रंगीन बनाने के लिए कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। जब शीतल पेय अधिक और नियमित रूप से सेवन किए जाते हैं, तो इन कृत्रिम रंगों से एलर्जी भी हो सकती है।
- आमतौर से कोल्ड ड्रिंक में एक और दो श्रेणी के प्रिजरवेटिव रसायन मिलाए जाते हैं। नमक, सिरका, ग्लूकोज, शहद आदि श्रेणी- एक के अंतर्गत आते हैं, जबकि श्रेणी-दो में आने वाले पदार्थ नशीले होते हैं, जिन्हें अधिकतम सीमा से ज्यादा मिलाना अवैध माना गया है। जबकि श्रेणी- एक के पदार्थों के कम या ज्यादा मिलाने से दुष्प्रभाव नहीं होते।
- रुचिकर, स्वादिष्ठ बनाने के लिए कोल्ड ड्रिंक में अकसर ज्यादा मात्रा में चीनी मिलाई जाती है। एक बोतल पेय में 2 से 3 बड़े चम्मच शक्कर मिले होने का अनुमान है।
- खाना खाते समय बीच में ऐसे ड्रिंक पीने से दांतों में खोल होने की संभावना बढ़ जाती है। इनमें मौजूद साइट्रिक या फास्फोरिक एसिड, दांतों की उपरी परत को नष्ट करता है।
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मित्रो एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि जहाँ तक हो सके ताजा जूस का ही सेवन करें क्युकी पैक डिबाबंध जूस में प्रेजेतिव्स मिलें होते हैं जो आपकी सेहत के लिए सही नहीं हैं।