Thursday , 21 November 2024
Home » gharelu gyaan » आयोडीन का महत्व, नमक में क्यों मिलाया जाता है ? मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम किन्तु ..

आयोडीन का महत्व, नमक में क्यों मिलाया जाता है ? मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम किन्तु ..

आयोडीन, नमक में क्यों मिलाया जाता है ? आयोडीन का महत्व, मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम आयोडिन होती है किन्तु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नही है !

आयोडीन युक्त नमक क्या है ?

आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल आयोडीन की कमी को रोकने के लिए किया जाता है। यह सामान्य नमक ही होता है जिसमें बहुत थोड़ी सी आयोडीन मिला दी जाती है। आयोडीन युक्त नमक ऊपर से सामान्य नमक जैसा ही दिखता है । उसे सामान्य नमक की तरह ही प्रयोग किया जाता है। उसके स्वाद और रूप-रंग में कोई अंतर नहीं होता।

आयोडीन क्या है ?

आयोडीन एक प्राकृतिक तत्व है जो हमारे जीवन के लिए जरूरी है। हमारे शरीर की महत्वतूर्ण क्रियाएँ आयोडीन पर निर्भर हैं।

आयोडीन ज़रूरी क्यों है ?

आयोडीन शरीर व मस्तिष्क दोनों की सही वृद्धि, विकास व संचालन के लिए आवश्यक है। आयोडीन की कमी से घेंघा हो सकता है। घेंघा होने पर शरीर में चुस्ती-स्फूर्ति नहीं रहती। सुस्ती व थकावट महसूस होती है। सामान्य व्यक्ति के मुकाबले उसमें काम करने की ताकत भी कम हो जाती है। और तो और, आयोडीन की कमी से नवजात शिशु के शरीर व दिमाग की वृद्धि व विकास में हमेशा के लिए रूकावट आ सकती है। छोटे बच्चों, नौजवानों व गर्भवती महिलाओं के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। गर्भवती माँ में आयोडीन की कमी हो तो उसका बच्चा असामान्य हो सकता है। अगर तुरन्त बच्चे का इलाज नहीं कराया गया तो उम्र बढ़ने के साथ उसकी मानसिक व शारीरिक हालत और भी ख़राब होती जाती है।

आहारीय आयोडीन मानव शरीर के लिए आवश्यक क्यों है ?

आहारीय आयोडीन मानव शरीर के अत्यावश्यक भौतिक तत्त्व है। ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है। आयोडीन मन को शांति प्रदान करती है, तनाव कम करती है, मस्तिष्क को सतर्क रखती है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति में रखने में मदद करता है। आयोडिन की कमी से गर्दन के नीचे अवटु ग्रंथि की सूजन (गलगंड) हो सकती है और हार्मोन का उत्पादन बन्द हो सकता है जिससे शरीर के सभी संस्थान अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसकी कमी से मन्द मानसिक प्रतिक्रियायें, धमनियों में सख्ती एवं मोटापा हो सकता है।

मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम आयोडिन होती है किन्तु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नही है। आयोडिन कोलेस्ट्रॉल की रासायनिक संशलेषण में सहायता करती है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल चर्बी को भी बढ़ाती है। शरीर में आयोडिन की अधिकता होने से नाक में नमी अधिक हो जाती है। जल में ली गई क्लोरीन शरीर से आयोडिन अधिकता को निकालने का कारण होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार है मूली, शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस), गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, खुंभी, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार, अंडे की जर्दी, दूध, पनीर और कॉड-लिवर तेल।
आयोडिन की कमी से उत्पन्न विकारों पर नियंत्रण के लिये 1 9 86 में न्यूसेफ़ और आस्ट्रेलिया की सरकार के समर्थन से तीसरी दुनिया के देशों को सहायता देने के लिये एक अन्तराष्ट्रीय परिषद स्थापित की गई थी। भारत ने 1 99 2 से पहले व्यापक आयोडिन युक्त नमक की नीति अपनाई थी।

आहारीय आयोडीन मानव शरीर के अत्यावश्यक भौतिक तत्त्व है। ये अवटु ग्रंथि के सम्यक, कार्यविधि के लिए आवश्यक है जो शक्ति का निर्माण करती है, हानिप्रद कीटाणुओं को मारती है और इसके हार्मोन थांयरांक्सीजन की कमी पूरी करती है। आयोडीन मन को शांति प्रदान करती है, तनाव कम करती है, मस्तिष्क को सतर्क रखती है और बाल, नाखून, दांत और त्वचा को उत्तम स्थिति में रखने में मदद करता है। आयोडिन की कमी से गर्दन के नीचे अवटु ग्रंथि की सूजन (गलगंड) हो सकती है और हार्मोन का उत्पादन बन्द हो सकता है जिससे शरीर के सभीसंस्थान अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसकी कमी से मन्द मानसिक प्रतिक्रियायें, धमनियों में सख्ती एवं मोटापा हो सकता है।
मानव शरीर में केवल 10-12 मिलीग्राम आयोडिन होती है किन्तु इसके बिना जीवित रहना सम्भव नही है। आयोडिन कोलेस्ट्रॉल की रासायनिक संशलेषण में सहायता करती है और धमनियों में कोलेस्ट्रॉल चर्बी को भी बढ़ाती है। शरीर में आयोडिन की अधिकता होने से नाक में नमी अधिक हो जाती है। जल में ली गई क्लोरीन शरीर से आयोडिन अधिकता को निकालने का कारण होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार है मूली, शतावर (एस्पेरेगस रेसिमोसस), गाजर, टमाटर, पालक, आलू, मटर, खुंभी, सलाद, प्याज, केला, स्ट्राबेरी, समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार, अंडे की जर्दी, दूध, पनीर और कॉड-लिवर तेल।
आयोडिन की कमी से उत्पन्न विकारों पर नियंत्रण के लिये 1 9 86 में न्यूसेफ़ और आस्ट्रेलिया की सरकार के समर्थन से तीसरी दुनिया के देशों को सहायता देने के लिये एक अन्तराष्ट्रीय परिषद स्थापित की गई थी। भारत ने 1 99 2 से पहले व्यापक आयोडिन युक्त नमक की नीति अपनाई थी।

आमतौर पर व्यक्ति को कितनी आयोडीन चाहिए ?

हर रोज औसतन 150 माइक्रोग्राम यानि कि सुई की नोक के बराबर। इसका मतलब यह हुआ कि आपको जीवनभर के लिए एक छोटे से चम्मच से भी कम आयोडीन चाहिए। शरीर को हर रोज़ नियमित रूप से आयोडीन मिलनी ज़रूरी है । इसलिए यह ज़रूरी है की हर व्यक्ति के लिए आयोडीन नमक रोज़ की खुराक का हिस्सा हो।

हमें आयोडीन कहाँ से मिलता है ?

आयोडीन मूलरूप से मिट्टी और पानी में होती है। इसलिए हमारी यह ज़रूरत आयोडीन युक्त जमीन पर उगे अनाज से पूरी होती है। जिस जमीन में आयोडीन नहीं होती वहाँ उगे अनाज में भी इस ज़रूरी तत्व का अभाव होगा। अत: जो लोग आयोडीन रहित ज़मीन वाले इलाके में रहते हैं और वहाँ उपजे अनाज व साग सब्ज़ियाँ खाते हैं, उनमें आयोडीन की कमी हो जाती है।

पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं मिलने पर क्या होता है ?

आयोडीन की कमी से सिर्फ घेंघा हीं नहीं होता, बल्कि शरीर व दिमाग में और भी कई ख़राबियां पैदा हो सकती है, तो कुछ ख़तरनाक। आयोडीन की कमी का सबसे जाना-माना लक्षण है घेंघा। इसमें गलग्रन्थि (थायरायड ग्लैण्ड) बढ़ जाती है। इसमें मामूली सी सूजन से लेकर बड़ी गिल्टी तक बन जाती है।

Heart Re Booster – हृदय के लिए वरदान – आपके Heart की सम्पूर्ण सुरक्षा

घेंघा वास्तव में है क्या ?

घेंघा गले की वह सूजन है जो गलग्रन्थि बढ़ने से होती है। अगर शरीर को प्रयाप्त मात्रा में आयोडीन नहीं मिलती तो गलग्रन्थि बढ़ जाती है। यह ज़रूरी नहीं कि घेंघा उपर से दिखाई ही दें। कभी-कभी, खासतौर से शुरू में, सिर्फ अनुभवी डॉक्टर द्वारा ही इसका पता चल सकता है। पर बढ़ने पर यह दूर से ही दिख जाता है और किसी के लिए भी यह जान पाना मुश्किल नहीं होता कि घेंघा है। घेंघा पीड़ित व्यक्ति को आयोडीन की कमी की वजह से और भी कई शिकायतें हो सकती हैं जो ऊपर से दिखाई नहीं पड़तीं।

आयोडीन की कमी के कारण कौन-कौन सी शिकायतें हो सकती हैं ?

आयोडीन की कमी के कारण कई शिकायतें हो सकती हैं: घेंघा, मानसिक विकृति, बहरापन, गूंगापन, भेंगापन, ठीक से खड़े हाने या चलने में कठिनाई और शारीरिक विकास में रूकावट। गर्भवती स्त्री के शरीर में आयोडीन की कमी होने पर गर्भपात का ख़तरा रहता है, बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है या फिर वह शारीरिक रूप से विकृत या बौना हो सकता है। आयोडीन की मामूली सी कमी से सब संभव है। घेंघा इसमें सबसे कम खतरनाक है।

बच्चा ‘ क्रेटिन’ क्यों हो जाता है ?

बच्चे को माँ के पेट में मानसिक व शारीरिक वृद्धि व विकास के लिए आयोडीन चाहिए। और यह सिर्फ़ उसे माँ से मिल सकती है। अगर माँ में इसकी कमी होगी तो बच्चे को वह तत्व नहीं मिल पाएगा। माँ के शरीर में आयोडीन की बहुत अधिक कमी होने पर बच्चे का शारीरिक व मानसिक विकास हमेशा-हमेशा के लिए रूक जाता है। वह ‘क्रेटिन’ हो जाता है। उसे ठीक तरह से चलने-फिरने, बोलने या सोचने में भी कठिनाई होती है। मां के शरीर में आयोडीन की मामूली सी कमी का भी बच्चे पर बुरा असर पड़ता है हालांकि हो सकता है कि वह ऊपर से सामान्य दिखाई देता हो। उसके दिमाग पर इसका क्या असर पड़ा है- यह उस समय पता चलता है जब वह स्कूल में सामान्य बच्चों की बराबरी नहीं कर पाता। हमारे देश में ऐसे बच्चों की कमी नहीं है। इसका समूचे क्षेत्र की सामाजिक व आर्थिक प्रगति पर बुरा असर पड़ता है।

भारत में आयोडीन की कमी से प्रभावित क्षेत्र कौन से हैं ?

आयोडीन की सबसे अधिक कमी हिमालय की तराई में बसे नगरों व गाँवों में है। उत्तर में जम्मू और कश्मीर से लेकर उत्तरपूर्व तक 2,500 वर्ग किलोमीटर का समूचा इलाका इस कमी शिकार है। लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश , आँन्घ्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, गोवा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और यहाँ तक कि दिल्ली से भी इस कमी के समाचार मिले हैं। देखा जाए तो भारत का कोई राज्य ऐसा नहीं है जहाँ आयोडीन की कमी नहीं है। हर रोज़ इस कमी से ग्रस्त नए इलाकों का पता चल रहा है।

क्या हर रोज़ आयोडीन युक्त नमक खाने से घेंघा, ‘क्रेटिनिज्म़’ और आयोडीन की कमी से जुड़ी अन्य शिकायतें दूर हो सकती हैं ?

‘क्रेटिनिज्म’ का कोई इलाज नहीं है। आयोडीन की वजह होने वाली अन्य शिकायतों की तरह (कुछ तरह के गॉयटर को छोड़कर) इसका भी इलाज संभव नहीं हैं। हालांकि इसे आसानी से रोका ज़रूर जा सकता है। हर रोज़ इस आयोडीन युक्त नमक के इस्तेमाल से वर्तमान और आगे की पीढ़ियों को इस कमी के दुष्परिणामों से बचाया जा सकता है। ‘क्रेटिनिज्म’ गर्भ/भ्रूण या नवजात शिशु में आयोडीन की कमी का परिणाम है। ‘क्रेटिन्स’ में गम्भीर, अपरिवर्तनीय मानसिक मंदता पाई जाती है। साथ ही, उनमें गूंगा-बहरारन, बौना कद और हड्डियों का ढाँचे का अधूरा विकास जैसे अन्य लक्षण भी पाये जा सकते हैं। कुछ ‘क्रेटिन्स’ में घेंघा और अधिक बढ़ी हुई थायरायड ग्रन्थि भी पाई जाती है। जबकि अन्य ‘क्रेटिन्स’ में ऐसा नहीं होता।

कैंसर रोगियों के लिए बड़ी खबर – हर स्टेज का कैंसर हो सकता है सही – कैंसर का इलाज

Miracle Roots

खाने की ऐसी कौन सी चीज़ें हैं जिसमें सबसे अधिक आयोडीन होता है ?

कुछेक सुमद्री वनस्पतियों को छोड़कर ऐसी कोई खाने की चीज़ नहीं है जो स्वयं आयोडीन से भरपूर हो। अन्न या साग-सब्ज़यों में आयोडीन मिट्टी से आती है। अगर मिट्टी में आयोडीन की कमी है तो वहाँ उगी साग-सब्ज़ियों या अनाज में भी उसकी कमी होगी। इसलिए उन क्षेत्रों में इस कमी को सिर्फ़ आयोडीन युक्त नमक से पूरा किया जा सकता है।

 

आयोडीन, नमक में क्यों मिलाया जाता है? क्या उसे दवाई की तरह अलग से नहीं खाया जा सकता ?

आयोडीन के बारे में एक महत्वपूर्ण बात है कि हालांकि यह बहुत कम मात्रा में ज़रूरी है, लेकिन इसे हर रोज़ लेना आवश्यक है। दवाई या विटामिन की गोली की तरह यह हर रोज़ ली जा सकती है, पर फिर एक गोली ज़िन्दगी भर लेनी होगी। नमक एक ऐसी चीज़ है जो हर कोई हर रोज़ खाता है। हम सब तकरीबन 10-15 ग्राम नमक प्रतिदिन खाते हैं। अगर इसमें आयोडीन मिला दी जाती है तो सही मात्रा में आयोडीन हमारे शरीर में पहुँच जाती है।

अगर हम आयोडीन की कमी वाले क्षेत्र में नहीं रहते हैं, तो क्या नमक में अतिरिक्त आयोडीन खाना नुकसानदेह नहीं होगा ?

नहीं, यह नुकसानदेह नहीं होगा। हमारे शरीर को आयोडीन की एक निश्चित मात्रा की ज़रूरत होती है। अगर उतनी आयोडीन हमें मिल रही है तो शरीर अतिरिक्त मात्रा को ग्रहण नहीं करेगा। और वह पेशाब के साथ बाहार निकल जाएगी। दूसरी ओर अगर आप में आयोडीन की कमी है तो आपकी गलग्रन्थि ज़रूरत के मुताबिक आयोडीन को इस्तेमाल कर शेष को अस्वीकार कर देगी। इसलिए आयोडीन नमक किसी के लिए भी नुकसानदेह नहीं। याद रखिए, आयोडीन एक आवश्यक पोषक तत्व है कोई दवा नहीं।

क्या गर्भवती स्त्रियाँ, छोटे बच्चे या बीमार आयोडीन मिला नमक खा सकते हैं ? क्या यह सामान्य नमक जैसा ही होता है ?

हाँ, आयोडीन सभी को हर रोज़ चाहिए, चाहे वह छोटा हो, बड़ा हो, बीमार हो या भला-चंगा हो। गर्भवती औरतों और छोटे बच्चों को तो इसकी और भी अधिक ज़रूरत है इसलिए हर रोज़ आयोडीन युक्त नमक खाना सिर्फ ठीक ही नहीं बल्कि ज़रूरी भी है।

मुझे कैसे पता चलेगा कि नमक में आयोडीन है ?

अधिकतर राज्यों में आयोडीन-रहित नमक की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है – असम, अरुणाचल प्रदेश, उतर प्रदेश, दादरा व नगर हवेली, दिल्ली, पंजाब, बिहार, चंडीगढ़, नागालैण्ड, मेघालय, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, दमन व दीव और लक्षद्वीप। कुछ राज्यों के कुछ भागों में आयोडीन-रहित नमक की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है जैसे- आँन्घ्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र। एक कम दाम वाला टेस्टिंग किट(परीक्षण किट) भी उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप आसानी से नमक में आयोडीन की मात्रा का पता लगा सकते हैं।

क्या आयोडीन युक्त नमक जानवरों को दिया जा सकता है ?

जी हाँ ! आयोडीन युक्त नमक जानवरों के लिए अच्छा है। इसका असर उनकी सेहत और उत्पादकता पर पड़ता है। अगर हम जानवरों को आयोडीन युक्त नमक खिलाते हैं तो मरे हुए बच्चे पैदा होने और गर्भस्राव की संभावना कम हो जाती है। इसके अलवा जिन पशुओं को आयोडीन युक्त नमक दिया जाता है, उनका दूध भी आयोडीन से भरपूर होता है।

क्या आयोडीन युक्त नमक को सामान्य नमक कि तरह स्टोर किया जा सकता है ?

आयोडीन युक्त नमक को स्टोर करने के लिए कुछ सावधानियाँ बरतनी होंगी। अगर आप आयोडीन युक्त नमक को काफ़ी देर तक धूप या सीलन में पड़ा रहने देते हैं तो इसमें मिली आयोडीन ख़त्म हो सकती है। इसलिए आप इसे प्लास्टिक, लकड़ी, मिट्टी या शीशे के ढक्कनदार बर्तन में ठीक से बन्द करके रखें। ध्यान रहे, उतना ही नमक ख़रीदें जितना आप जल्द से खा सकते हैं। अधिक समय के लिए उसे स्टोर न करें। नमक को खुला छोड़ने पर उसकी आयोडीन नष्ट हो जाती है।

यदि हमें अपने स्थानीय बाज़ार में आयोडीन युक्त नमक न मिले तो हमें क्या करना चाहिए ?

भारत सरकार का निश्चय है कि समूचे देश में आयोडीन युक्त नमक प्राप्त हो। अगर आपके निकट बाजार में यह नमक नहीं है तो आप अपने राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश के नगर आपूर्ति विभाग या पास के ‘नमक आयुक्त कार्यालय’ को लिखें, या आई.डी.डी.सेल, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज, भारत सरकार को लिखें।

हमें आयोडीन युक्त नमक कब तक खाते रहना होगा ?

पर्यावरण प्रदूषण से स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। बड़े पैमाने पर जंगल काट देने से वर्षा जल से जमीन के उपरी मिट्टी का क्षरण होता जा रहा है। जिसके कारण आयोडीन का अभाव बढ़ता जा रहा है। आयोडीन पानी में घुलनशील तत्व है और यह मिट्टी के उपरी सतह पर ही पाया जाता है। पर्यावरण के विभिन्न प्रभावों में आयोडीन की कमी हो जाती है। जिसके फलस्वरूप वहाँ उगने के कारण भूमि में आयोडीन की कमी हो जाती है। जिसके फलस्वरूप वहाँ उगने वाले सभी पौधों, कृषि और वनस्पति में आयोडीन का अभाव हो रहा है। उन पदार्थों को प्रयोग में लाने वाले सभी व्यक्ति आयोडीन की कमी से होने वाले अन्य प्रकार की दुष्प्रभावों से प्रभावित हो सकते हैं इन परिस्थितियों को देखते हुए यह स्पष्ट हो जाता है कि इनकी रोकथाम के लिए (सबसे सस्ता व आसान तरीका) आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो जाता है। हर रोज़ आयोडीन युक्त नमक खाकर आप अपने व अपने बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं और आयोडीन की कमी से उत्पन्न होने वाले दुष्परिणामों से बच सकते हैं। इससे आपके बच्चों और बच्चों के बच्चों को स्वास्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क के साथ बढ़ सकने का सर्वोतम अवसर मिलता है और यह इसके लिए एक बहुत छोटी लागत है।

अनेक लोगों का डायलिसिस रुकवा चूका है ये प्रयोग-The Best For Dialysis Patients

नमक निर्माता क्या करें

  • आयोडाइज़ करने के संयंत्र में कड़े क्वालिटी नियंत्रण उपाय सुनिश्चित करें
  • आयोडीन नमक को सदा नमी-रोधक थैलियों में पैक करें और इन थैलियों को सीलबंद कर दें
  • आयोडीन नमक का भंडार करते समय सदा नमी, सूर्य की रोशनी तथा ऊँचे तापमान से बचाइए
  • यह सुनिश्चित करें कि जो नमक पहले आयोडाइज़ किया गया है वही पहले बाज़ारों में भेजा भी जाए
  • नमक के पैकेटों पर निर्माण तिथि, निर्माता का नाम और आयोडाइज़ेशन स्तर की मुहर लगाएं, ऐसा अवश्य करना चाहिए क्योंकि आयोडीन नमक का इस्तेमाल, उत्पादन के भीतर हो जाना चाहिए
  • जब भी नमक खरीदें, आयोडीन नमक पर ही ज़ोर दें

क्या न करें

  • साधारण बिना अस्तर वाले जूट की थैलियों का प्रयोग कभी न करें
  • नमक को खुले या नमी वाले ऐसे गोदाम में कभी न रखें जहाँ हवा का आना-जाना कम हो
  • खुले ट्रकों या खुले रेल वैगनों में भेजने से बचें
  • आयोडाइज़ किये गये नमक को कभी भी छ: महीने से अधिक स्टोर न करें।

सूचना प्रदाता– स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

source:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status