Friday , 26 April 2024
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अनेक रोगों में सेमल के प्रयोग.

अनेक रोगों में सेमल के प्रयोग.   सेमल (वैज्ञानिक नाम:बॉम्बैक्स सेइबा), इस जीनस के अन्य पादपों की तरह सामान्यतया ‘कॉटन ट्री’ कहा जाता है। इस उष्णकटिबंधीय वृक्ष का सीधा उर्ध्वाधर तना होता है। इसकी पत्तियां डेशिडुअस होतीं हैं। इसके लाल पुष्प की पाँच पंखुड़ियाँ होतीं हैं। ये वसंत ऋतु के पहले ही आ जातीं हैं। इसका फल एक कैपसूल जैसा …

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मेनफल परिचय और आयुर्वेदिक उपयोग.

यह वनस्पति समस्त भारतवर्ष के पहाड़ी प्रांतो में पैदा होती है, जैसे- हिमाचल प्रदेश, सिंधु नदी के तट के निकट स्थानों में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। ये पश्चिमी बंगाल, शिवपुर, विंध्यांचल, महाबलेश्वर में भी पाये जाते है। इसके अलावा यह राजस्थान के अरावली पर्वत श्रेणियों के पर्वतो में, झरनो और तलेठी गहरे जंगलो के छाया वाले स्थानो …

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रामफल रक्त और वीर्य शोधन से कैंसर तक लाभकारी.

रामफल रक्त और वीर्य शोधन से कैंसर तक लाभकारी. रामफल के फायदे. रामफल एक मध्य म श्रेणी का वृक्ष होता है। इसका तना अधिक मोटा नहीं होता। यह पर्याप्त काष्ठीय एवं भूरे वर्ण का होता है। इसकी शाखायें भी पतली एवं भूरे वर्ण की होती है। शाखाओ पर सीताफल की पतियों की भांति पते लगे होते है। रामफल का बाहरी …

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सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार

Benefits of Drumstick tree, Sahjan ke fayde *दुनीया का सबसे ताकतवर पोषण पुरक आहार है सहजन (मुनगा) 300 से अधि्क रोगो मे बहोत फायदेमंद इसकी जड़ से लेकर फुल, पत्ती, फल्ली, तना, गोन्द हर चीज़ उपयोगी होती है आयुर्वेद में सहजन से तीन सौ रोगों का उपचार संभव है सहजन के पौष्टिक गुणों की तुलना ?-विटामिन सी- संतरे से सात …

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शीशम परिचय और फायदे

शीशम परिचय और फायदे Sheesham ke fayde. सभी जगह पर आसानी से मिलने वाला शीशम त्वचा रोगों, कुष्ठ रोगों, धातु रोगों, पीरियड्स के रोगों, प्रमेह, जोड़ों के दर्द, उल्टी के रोगों में अत्यंत प्रभावकारी है. शीशम क्षत्रिय जाती का वृक्ष है, यह वनस्पति जगत के फेबसी कुल का सदस्य है. शीशम सर्वत्र पाया जाने वाला एक मध्यम श्रेणी का सदा हरित …

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ढाक पलाश के औषधीय प्रयोग।

ढाक पलाश के औषधीय प्रयोग। पलाश को शास्त्रों में ब्रह्मा के पूजन अर्चन हेतु पवित्र माना है। पलाश के तीन पत्ते भारतीय दर्शनशास्त्र के त्रित्व के प्रतीक है। इसके त्रिपर्नकों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास माना जाता है। पलाश का वृक्ष समस्त भारत में मैदानी इलाकों से लेकर 1200 मीटर कि ऊंचाई तक पाए जाते हैं। इसका तना प्राय: …

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जाने अब नीम की पत्तियों का रस (juice) ठीक कर देता है अनेकों बिम्मारियो को

NEEM KE FYADE नीम को आयुर्वेद में नीम नारायण कहा जाता है। यह शुद्ध हवा से ले कर कैंसर जैसे असाध्य रोगों में अत्यंत लाभकारी है। अनेक विद्वान लोगों के अनुभव हैं के जो रोग किसी भी अन्य आयुर्वेद दवा से सही नहीं हुए ऐसे रोग नीम की शरण में जाने से सही होते पाये गए। आइये जाने इसी सन्दर्भ …

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भूमि आंवला लिवर के रोगियों के लिए वरदान।

भूमि आंवला लिवर के रोगियों के लिए वरदान। भूमि आंवला लीवर की सूजन, सिरोसिस, फैटी लिवर, बिलीरुबिन बढ़ने पर, पीलिया में, हेपेटायटिस B और C में, किडनी क्रिएटिनिन बढ़ने पर, मधुमेह आदि में चमत्कारिक रूप से उपयोगी हैं। यह  पौधा लीवर व किडनी के रोगो मे चमत्कारी लाभ करता है। यह बरसात मे अपने आप उग जाता है और छायादार नमी वाले …

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बरगद का आयुर्वेदिक महत्त्व

बरगद का आयुर्वेदिक महत्त्व  बरगद भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। बरगद को अक्षय वट भी कहा जाता है, बरगद का वृक्ष घना एवं फैला हुआ होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए जमीन के अंदर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं। बरगद के वृक्ष की शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्से …

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बेल का आयुर्वेदिक महत्व।

बेल का आयुर्वेदिक महत्व। बेल का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्त्व हैं, ये एक धार्मिक पेड़ भी है और इसका आयुर्वेदिक महत्व भी बहुत ज़्यादा हैं। ये अनेक रोगो में गुणकारी हैं। आइये जाने इसके फायदे। बिल्व के वृक्ष माध्यम आकार के होते हैं तथा सम्पूर्ण भारत में पाये जाते हैं। ये कंटीले होते हैं। इनका तन काष्ठीय होता हैं। इनके …

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