खुनाक (कंठरोहिणी ) के लिए विशेष अनुभूत और परीक्षित नुस्खे -अनुभव में लेकर लाभ ले
यह वह भयंकर रोग है जिससे साँस लेना या कोई ओषधि या भोजन निगलना कठिन ही नही अपितु
दूभर हो जाता है | यह रोग भोजन की नली के अवयवों में सुजन के कर्ण हुआ करता है |
साँस का रुक -रुक के आना , पानी या भोजन का कठिनाई से निगलना इत्यादि इसके लक्षण है \
इसके लिए कुछ अनुभूत और लाभकारी नुस्खे है जो निचे लिख रहे है |
1 .- अकसीर खुनाक (कंठ दोष )-
निम्नलिखित अति साधारण योग इस भयंकर रोग के लिए अत्यधिक लाभप्रद और प्रभावोत्पादक सिद्ध
हुआ है | इस रोग के लिए अनेक बार का अनुभूत है और अपने गुणों में अनुपम है |
विधि –
रीठे लाकर गुठली निकाल दे | छिलके को बारीक़ पिस कर 300 ग्राम पानी में 5 ग्राम घोलकर रोगी को
गरारे कराएं | उक्त रीठे का 15 ग्राम चूर्ण पानी मिला कर सुजन वाले स्थान पर लेप करे |तत्काल आराम
हो जायेगा बहुत बार अनुभूत है | यदि रोगी बेहोश हो तो कुछ बुँदे पानी की रोगी के मुख में डालकर हिला दे |
ताकि दवा अंदर चली जाये | एक दो बार इसी प्रकार करने से बंद गला खुल जायेगा | ओषधि ,पानी इत्यादि
आसानी से अंदर जा सकेगी |
इसके एक -दो बार के सेवन से खुनाक का अंत हो जाता है गले की सुजन गले का बंद होना इत्यादि दूर होकर
पूरा आराम हो जायेगा |
2 .-सरलोपचार –
विधि –
महुवा की खली आवश्यकतानुसार लेकर इसे बारीक़ पिस ले | आवश्यकता के समय 3 ग्राम की मात्रा लेकर
इसे बारीक़ पिस ले | आवश्यकता के समय 3 ग्राम की मात्रा लेकर रोगी के मुख में डाले और ऊपर से एक
दो घूंट पानी पिला दे | इश्वर क्रपा से केवल एक दो बार के सेवन से पूर्ण आराम हो जायेगा |
3 .-लाभप्रद गरारे –
इन गरारे से भी बहुत शीघ्र आराम हो जाता है ये भी कई बार अनुभव में आ चुके है समय पर ऐसा प्रभाव दिखाते
है की मनुष्य विस्मित रह जाता है |
विधि –
अमलतास का गुदा 15 ग्राम ,250 ग्राम समोष्ण पानी में घोल कर गरारे कराएं | दिन में दो तीन बार गरारे कराने
से पूरा आराम हो जायेगा | इसी को पानी में पीसकर थोडा -थोडा गर्म-गर्म सुजन पर लेप कर दे |
4 .-हितकारी लेप –
विधि –
नोसादर 5 ग्राम ,मुर्ग की विष्टा 5 ग्राम दोनों दोनों को सिरका में पिस कर सुजन पर लेप करे | एक दो बार
से आराम हो जायेगा केवल अमलतास को खाने , लेप और गरारे करने से भी 90 प्रतिशत आराम होता है |