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साधारण सा दिखने वाला कुकरोंधा है बवासीर से लेकर लीवर तक के रोगों में कारगार.

साधारण सा दिखने वाला कुकरोंधा बवासीर से लेकर लीवर तक के रोगों में कारगार. Blumea Lacera Uses.

कुकरोंधा समस्त भारत में नमी प्रधान प्रदेशो में मिल जाता है. कुकरौंधा को कुकुरमुत्ता या कुकुंदर भी कहते हैं बंगाल में कुकुरशोंका या कुकसीमा कहते हैं. मराठी में कुकुरबंदा कहते हैं. लैटिन में ब्लूमिया कहते हैं. इसका वानस्पतिक नाम Blumea Lacera है, ये Asteraceae कुल की प्रजाति है. इसके पौधे गलीज स्थानों और पुराने खंडहरों में अधिक होते हैं. इसका पौधा दो तीन हाथ लम्बा होता है. पत्ते तम्बाकू के समान लम्बे और गहरे रंग के होते हैं. शुरू शुरू में पत्ते मूली के पत्तों के समान होते हैं. पत्तों को मलने में बहुत बुरी बदबू निकलती है. पौधे पर लाल रंग की एक चोटी सी होती है. यह कड़वा, तीखा, पचने में मधुर, शीतल, ज्वर नाशक है. पारे के विकार और खून के दोष में दो तोले रस पीने और शरीर पर मलने से बड़ा उपकार होता है. इसके फूल तथा फल नवम्बर से मार्च तक लगते हैं.

कुकरोंधा के आयुर्वेदीय गुण कर्म एवम प्रभाव.

कुकुंदर कटु, तिक्त, उषण, लघु, रूक्ष तथा कफशामक होता है.

कुकुंदर ज्वर, मुख रोग, रक्त दोष, शूल, दाह तथा तृष्णा नाशक होता है.

कुकुंदर की आद्र मूल मुख शोष नाशक होती है.

कुकुंदर का पंचांग तिक्त, स्तंभक, शोथघन, चक्षु क्षय, पाचक, क्रिमिघ्नी, कफ़निसारक, ज्वरअगन, तापशामक, मूत्रल, उत्तेजक तथा शीतादरोधी होता है.

कुकरोंधे के आयुर्वेदिक प्रयोग. Kukrondha ke prayog.

खूनी तथा मस्से वाली बवासीर में कुकरोंधा के प्रयोग.

  1.  कुकरोंधा के पत्तों को पीसकर अर्श के मस्सों में लगाने से अर्श में लाभ होता है.
  2. दो  ग्राम कुकरोंधा के पत्तों में समभाग काली मरीच तथा गेंदा के पत्ते मिलाकर पीसकर पानी में घोलकर पिलाने से अर्श में लाभ होता है.
  3. खूनी बवासीर में कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस 5 मिली में काली मरीच का चूर्ण 500 मि.ग्राम. (आधा ग्राम) मिलाकर सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है.
  4. 5-10 मिली कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस मिश्री में मिलाकर पिलाने से रक्तार्श में लाभ होता है.

त्वचा रोगों में कुकरोंधा के प्रयोग.

  1. त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण होने पर इसके नए पत्तों से प्राप्त स्वरस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर संक्रमित स्थान पर लगाने से फायदा होता है.
  2. ज़ख्म होने पर कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस लगाने से ज़ख्म जल्दी भर जाता है. इसके पत्तों को पीसकर घावों पर लगाने से रक्त आना रुक जाता है और घाव जल्दी भरता है.
  3. नाडी व्रण पर इसके पत्तों का रस लगाने से नाडी व्रण जल्दी ठीक हो जाता है.
  4. फोड़े फुंसी होने पर कुकरोंधा के पत्तों का रस में श्वेत खदिर को पीसकर लगाने से फोड़े तथा फुंसियों का शमन होता है.
  5. कुष्ठ रोगों में कुकरोंधा के पत्तों को बराबर मात्रा में मूली के बीज में मिलाकर पीसकर लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है.

यकृत (लीवर) और प्लीहा रोगों में कुकरोंधा.

कुकरोंधा के पंचांग (अर्थात सम्पूर्ण पौधा फल और फूल सहित) को पीसकर 250 मि.ग्राम. की गोलिया बनाकर प्रातः सानी 1-1 गोली को घृत कुमारी (एलो वेरा) के रस के साथ पीने से यकृत और प्लीहा के रोगों में फायदा होता है.

खांसी और कफ़ निकालने में कुकरोंधा के प्रयोग.

खांसी में कुकरोंधे की जड़, मिश्री के साथ, मुंह में रखने से कंठ में जमा हुआ कफ निकलता है और मुंह का सूखना मिट जाता है.

बवासीर में कुकरोंधा के प्रयोग. Bawasir me kukrondha

1 तोले रस में 6 माशे मिश्री मिला कर पीने से खूनी बवासीर जाती रहती है.

सूजाक में कुकरोंधा के प्रयोग. Soojak me kukrondha

दो तोले कुकरोंधे के रस में ज़रा सी मिश्री मिला कर पीने से सूजाक नष्ट हो जाता है.

पलित रोग में कुकरोंधा.

कुकरोंधा के एक भाग पतों का स्वरस में 4 भाग पानी मिलाकर क्वाथ बनाकर सर को धोने से पालित रोग में लाभ होता है.

नेत्र रोगों में कुकरोंधा.

कुकरोंधा के पत्तों के स्वरस में फिटकरी को घिसकर अंजन करने से नेत्र जाला, नेत्र्फूली, आदि रोगों में लाभ होता है.

पेट के कीड़ों में कुकरोंधा.

पेट में कीड़े होने पर इसके पत्तों का रस 5 मिली रोजाना पीने से पेट के कीड़े मरते हैं.

विसूचिका रोग में कुकरोंधा.

1-2 ग्राम कुकरोंधा मूल चूर्ण में काली मरीच चूर्ण मिलाकर सेवन करने से विसूचिका में लाभ होता है.

अतिसार में कुकरोंधा

5-10 मिली कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खाने से अतिसार में लाभ होता है.

गृहणी में कुकरोंधा.

गृहणी होने पर सुबह शाम इसके पत्तों का चूर्ण 2 ग्राम छाछ तक्र के साथ सेवन करने से फायदा होता है.

स्तन शोथ होने पर कुकरोंधा के प्रयोग.

स्तन शोथ होने पर कुकरोंधा के पत्तों को पीसकर उसमे जौ का आटा मिलाकर गुनगुना करके लगाने से स्तन शोथ सही होता है.

संधिवात में कुकरोंधा.

कुकरोंधा के पत्तों को पीसकर लेप करने से संधिवात का शमन होता है.

ज्वर में कुकरोंधा

कुकरोंधा के पत्तों के स्वरस की 2-2 बूंदो को कान में डालने से ठण्ड देकर आने वाला ज्वर सही होता है.

बच्चो के बिस्तर में पेशाब

5 मिली कुकरोंधा के पत्तों का स्वरस में 65 मि.ग्राम. कपूर मिलाकर पिलाने से बिस्तर में पेशाब करने की आदत दूर होती है.

 

पेट और गैस से जुडी सैकड़ो बीमारियों से बचा सकता है – Gastro Sanjeevni

एक स्वस्थ वयस्क इन्सान की सिर्फ आंत में ही करीब 100 खरब बैक्टीरिया पाए जाते हैं. ये अलग-अलग किस्म के होते हैं और उनके हितों के बीच टकराव पैदा होने से बीमारियां उपजती हैं. Gastro Sanjeevni

पिछले दो दशकों में हुई रिसर्च से पता चला है कि पूरी तरह स्वस्थ रहने के लिए आंतों का स्वस्थ रहना कितना जरूरी है. आंतों की सेहत पर लाइफस्टाइल का जबरदस्त असर होता है. ज्यादा कैलोरी वाले जंक फूड और शराब का अधिक सेवन, इसके अलावा रेशेदार भोजन और हरी सब्जियां न खाने से पाचन तंत्र के रोगों का खतरा बढ़ जाता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है. गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स रोग, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम, फंक्शनल डिस्पेप्सिया, मोटापा, कब्ज, फिस्टुला, fissure ,लीवर में फैट जमना, गैस्ट्रिक, अपच, एसिडिटी , और पेप्टिक अल्सर जैसे रोग लाइफस्टाइल से जुड़े गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों में शामिल हैं.

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लंबे समय तक जारी रहने पर तनाव की वजह से इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम और पेट में अल्सर जैसी पाचन संबंधी तकलीफें हो सकती हैं. जांच के लिए डॉक्टरों के पास जाने वाले रोगियों की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि गैस्ट्रोइसोफेगल रीफ्लक्स (जीईआरडी) अब पाचन संबंधी सामान्य रोग बन गया है. जीईआरडी में असल में पेट के अंदर मौजूद अम्ल यानी एसिड इसोफेगस (भोजन नली) में वापस चले जाते हैं. इससे सीने में जलन तो होती ही है, उल्टी की शिकायत भी होती है. इसके अलावा फेफड़े, कान, नाक या गले की भी कई तकलीफें आ पड़ती हैं. इसके साथ कई परेशानियां जुड़ी हैं. मसलन, इसोफेगस में छाले और संकुचन जैसी परेशानियां भी हो जाती हैं. जीईआरडी अगर लंबे समय तक रह गया तो एक नई अवस्था आ सकती है, जिसका नाम है बैरेट्स इसोफेगस और इसका अगर समय पर इलाज न किया गया तो इसोफेगस का कैंसर भी हो सकता है.

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों का इलाज Only Ayurved’s  GASTRO SANJEEVNI

पेट में गैस की समस्या के मुख्य कारण एसिडिटी, बदहज़मी, पेट में दर्द और सीने में जलन।

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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के बारे में जरूरी जानकारी

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के कारण:
जीवन शैली इस तरह के रोग बेहिसाब शराब और सिगरेट पीने, फास्ट फूड ज्यादा खाने और काम के वक्त दफ्तर में तनावपूर्ण स्थितियां बनने से होते हैं.
जेनेटिक कारण इस बारे में ताजा अध्ययनों से पता चला है कि जेनेटिक रचना में एकाएक आए किसी तरह के बदलाव के कारण पैंक्रियाइटिस और पित्ताशय की पथरी जैसे रोग अधिक होते हैं.
आसपास का परिवेश और स्वच्छता साफ-सफाई की कमी से हेपेटाइटिस और तपेदिक जैसे संक्रमण होते हैं.

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एहतियाती उपाय:
पोषक खुराक लें, कसरत करें, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें, खुद को साफ रखने के अलावा टीके वगैरह भी जरूरी हैं. पेट, बड़ी आंत, लीवर कैंसर की जांच भी करवाएं.

 

आपके नजदीकी Only Ayurved Dealer list और उनकी Location जहाँ से आप GASTRO SANJEEVNI और त्रिफला  रस ले सकते है 

आपके नजदीकी Only Ayurved Dealer list और उनकी Location

बिहार

पटना – 7677551854, 7480099296

छपरा – 9473221039

गोपालगंज – 9431059379

गया (इमामगंज) – 9771898989

मधेपुरा – 9546552233

छत्तीसगढ़

बिलासपुर – 9584891808, 9926758959, 9300333438

रायपुर – 9644133772

दुर्ग भिलाई – 9691305217

झारखण्ड

मनिका – लातेहार – 9801290105

धनबाद – 7004458228

महाराष्ट्र

मालेगांव (नासिक) – डॉ. फरीद शेख 9860785490

धुले – 8999909029

नासिक – 9270928077

पुणे – 9209211786

अकोला – 7020579564

वर्धा – 9579997503

नागपुर – 8830998853

शोलापुर – 8308604642

कोल्हापुर – 9923280004

अहमद नगर – राओरी – 8605606664

कल्याण – 8454050864

टिटवाला – 9821315415

मलाड – 9967293444

घाटकोपर – 07738350032

बोरीवली – 9004316923

भंडारा – 9422174853

औरंगाबाद – 7020505445

जालना – 7020505445

विरार – 9892967369

अमरावती – 9765332255

कर्नाटक – Karnataka

धारवाड़ (Dharwad) – 9844984103

बैंगलोर (Bangalore) – 7019098485

तामिलनाडू

चेन्नई – 9884164854

तेलंगाना

हैदराबाद – 08374457775

गुजरात

अहमदाबाद – 9974019763, 7874559407

पालनपुर ( डॉ. हिदायत मेमन )  –  9428371583

द्वारिका – 9033790000

चिकली – 9427869061

अमरेली – 9427888387

अंकलेश्वर – भरूच – 8460090090

वड़ोदरा – 7574857452

सूरत –  8866181846, 9879157588

भुज / मुंद्रा  – 9974576143

जामनगर – 9974199748

मध्यप्रदेश

भोपाल – 7987552689

इटारसी – 6260342004

सारणी – 8989831927

इंदौर – 9713500239

विदिशा – 9131055585

जबलपुर – 9039868554

ग्वालियर – 9229239248

कटनी – 9074901083

उत्तर प्रदेश

मेरठ – 8449471767

हापुड़ – 9528777776

हाथरस ( U. P. ) –  9997397043, 7017840020

मथुरा ( वैध रविकांत जी ) – 9259883028

अलीगढ – 9027021056

आगरा – 9027143749

फ़िरोज़ाबाद – 8445222786 वैध रविन्द्र सिंह

मैनपुरी – 8449601801

फ़र्रुख़ाबाद – 9839196374

सुल्तानपुर – 9125131178

रायबरेली – 9236038215

वाराणसी – 9125349199

इलाहाबाद – 9520303303

गोरखपुर – 9792960999

सिद्धार्थ नगर – 9936404080

महाराजगंज – 9455426806

लखनऊ – 9140546350

लखनऊ आयुष चिकित्सालय –  7071332332

इटावा – 9557463131 डॉ. कौशलेन्द्र सिंह

उत्तराखंड

ऋषिकेश – 7456987328

दिल्ली –  NCR

सराय कालें खां –  9015439622, 9871490307

सुभाष नगर – 9911006202

कड़कड़डूमा – 7827444007

गाज़ियाबाद – 9719077555

Greater Noida – 9310299100

गुडगाँव – 9310330050

फ़रीदाबाद – 9315154682

हरियाणा

हिसार – 9518884444

हसनपुर पलवल – 9050272757

पानीपत – 9812126662

रोहतक – 9518103148

बाढ़डा ( चरखी दादरी ) – 9813210584

फ़रीदाबाद – 9315154682

चंडीगढ़ – 9877330702

डबवाली – 9416218182

पंजाब

बठिंडा – 9779566697

डबवाली – 9416218182

कोट कपूरा – 9872320227

मलोट – 9878100518

मलेर कोटला – 9872439723

लुधियाणा – 9803772304

मोगा – 9988009713

जगराओं – 9646683463

रोपड़ – 9478391123, 8528386098

जालंधर – 9814832828

अमृतसर – 8872295800

होशियारपुर उड़मुड टांडा – 9803208718

गुरदासपुर – 9815483791

मोहाली – 09216411342

मुकेरियां – 9815296322

चंडीगढ़ – 9877330702

राजस्थान

जयपुर – 8290706173

जोधपुर – 8005724956

अजमेर – 7976779225

मकराना – 8619299924

सिरोही – 9875238595

उदयपुर – 9875238595

टोंक – 9509392472

फतेहपुर शेखावाटी – 9636648998

चुरू – 7976194800

उदयपुर वाटी (झुंझुनू)  डॉ राकेश कुमार – 9351606755

संगरिया – 7597714736

हिमाचल प्रदेश

नालागढ़ – 9816022153

कुल्लू – 8219500630

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उत्तर प्रदेश 7017840020

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हरियाणा – 9315154682

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