Saturday , 21 December 2024
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आज है निर्जला एकादशी जानिए इसका महत्त्व क्या है ।

आज है निर्जला एकादशी जानिए इसका महत्त्व क्या है

आयुर्वेदानुसार पूरे दिन की भोजन की आवश्यकता को हमे एक बार में इक्कट्ठे न खाकर सूर्यास्त से पहले अधिक से अधिक तीन बार खाना चाहिये। फ़िर आज तो हमने एक बार में ही सब कुछ खा लिया। शरीर की चयापचय क्रिया और ध्वस्त हो गयी। मेरा हाथ जोडकर निवेदन कि निर्जला एकादशी पर गौ माता का मट्ठा(छाछ-लस्सी),शहद,नींबू पानी,जौं सत्तू से बने शर्बत का सेवन करें और मानसिक व शारीरिक रूप से निर्विकार हों, खाने में बस कुछ नही या फ़िर नारियल गिरी।

भगवान विष्णु
भगवान विष्णु

निर्जला एकादशी का व्यावहारिक मत खुद निर्जल रहने से नही है बल्कि आज के दिन निर्जल हुए लोगों को जल पिलाकर पुण्य अर्जित करने से है। पुरातन काल में जल स्त्रोत द्वारा पेयजल संचित कर रखने की व्यवस्था कठिन थी व कई बार जल स्त्रोत आदि न मिलने के कारण प्यास से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती थी। आज भी हम सब छबील लगाकर पुण्य तो अर्जित कर सकते हैं लेकिन निर्धन,जरूरतमन्दो को चप्पल,कपडे,पंखा आदि बाँटकर अनेक चेहरों पर खुशी ला सकते हैं। मंदिर के साहूकार पंडितजी तो इन सब की ओर देखना भी पसंद नही करते। तो आईये हम सब निर्जला एकादशी के दिन सही रूप से उपवासित होकर मन-मस्तिष्क के विकार दूर करें व मानवता को प्रसन्न करने की कोशिश करें,धन्यवाद।

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