Friday , 22 November 2024
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Withania somnifera ( अश्वगंधा ) द्वारा कैंसर का इलाज अब संभव !!!

अश्वगंधा ( Withania somnifera – अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम), आयुर्वेद में बहुत ही व्यापक औषधीय जड़ी बूटी है। पत्तियों, जड़ों, टहनियों के अलावा अश्वगंधा के बीज और फल आदि का इस्तेमाल टॉनिक और अनेकों घरेलू उपायों द्वारा स्वास्थ्य और आयु बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।

हाल ही के कई अध्ययनों में, अश्वगंधा में तनाव रोधी (Antistress), एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant), दर्द दूर करने वाले (Analgesic), अनुत्तेजक (Anti inflammatory), हृदय की सुरक्षा करने वाले तथा प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने वाले गुण पाए गए हैं। यह ब्रेन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, स्किन कैंसर, गुर्दे का कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर के इलाज में प्रभावी साबित हुआ है।

सैम गंभीर, एक भारतीय कैंसर एक्सपर्ट हैं। उनहोंने कैंसर के ऊपर बहुत रिसर्च की हैं। लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन उन्हें इतने करीब से कैंसर जैसी बीमारी का सामना करना पड़ेगा। असल में उनके 14 साल के बेटे मिलन गंभीर को ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor) हो गया। क्योंकि वो खुद एक कैंसर एक्सपर्ट हैं इसलिए उन्हें अच्छी तरह से पता था कि ये बीमारी क्या रूप ले सकती है।

फरवरी 2015 में, सैम ने मिलन को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem cell transplant) के क्लिनिकल परीक्षण के लिए फ्लोरिडा भेजा था। साथ ही सैम ने सैकड़ों वर्षों से भारत में अपने उपचार के गुणों के लिए जाना जाने वाले अश्वगंधा पर रिसर्च करना शुरु किया।

एक साल के अध्ययन के बाद, सैम ने शोध में पाया कि अश्वगंधा में पाया जाने वाला विथाफेरिन ए (Withaferin A) नामक तत्व, मस्तिष्क के ट्यूमर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को नष्ट करने में बहुत महत्वपूर्ण होता है।

लेकिन जब तक ये निष्कर्ष निकल पाया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मिलन इस खोज के कुछ ही हफ्तों बाद मर गया था। हालांकि सैम गंभीर और उनकी प्रयोगशाला में अभी भी कैंसर के ऊपर रिसर्च जारी है।

प्रयोगशाला में ऐसे उपकरणों का परीक्षण करने की भी तैयारी कर रही है जिनके द्वारा कैंसर रोगी अपनी कोशिकाओं का परीक्षण स्वयं कर सकते हैं। जैसे कि ‘स्मार्ट ब्रा’ जिसमें स्तन ऊतकों के चित्र दिखाई दे जाते हैं और ‘स्मार्ट शौचालय’ आदि की तयारी की जा रही है।

कैसे अश्वगंधा कैंसर में मदद करता है – How Ashwagandha helps in cancer in Hindi
विभिन्न प्रकार के कैंसर में अश्वगंधा का योगदान – Ashwagandha’s role in Different Types Of Cancer in Hindi

कैसे अश्वगंधा कैंसर में मदद करता है – How Ashwagandha helps in cancer in Hindi
अश्वगंधा को कैंसर के उपचार में कई तरीकों से प्रभावी पाया गया है:

यह ट्यूमर कोशिकाओं के प्रसार को कम करता है जिससे कैंसर बढ़ता नहीं है।
ये रेडिएशन थेरेपी के प्रभाव को बढ़ाता है और इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स को कम करता है।
यह कीमोथेरेपी में उपयोग की जाने वाली दवाओं के दुष्प्रभावों को भी कम करता है। लेकिन उन दवा से होने वाले कैंसर के उपचार पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
इन प्रभावों का अध्ययन, प्रयोगशाला में मानव कैंसर कोशिकाओं और पशुओं दोनों पर किया गया है, लेकिन मानव कोशिकाओं पर किये जाने वाले परीक्षण सीमित हैं। इन प्रयोगों से ये पाया गया कि विथाफेरिन ए कैंसर के इलाज में सबसे अधिक सक्रिय तब होता है जब वो अशवगंधा की जड़ों या पत्तियों से निकाला जाता है।

2008 के एक अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा की पत्तियों से निकाला गया रस, मानव कैंसर कोशिकाओं (हड्डी, स्तन, फेफड़े, बड़ी आंत, त्वचा, गर्दन, फाइब्रोसारकोमा, अग्न्याशय (Pancreas), और मस्तिष्क का ट्यूमर आदि) को नष्ट करने में बहुत प्रभावी है। की एक विशाल विविधता को मार डाला गया। अश्वगंधा के विथानोन (Withanone) तत्व में, कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के गुण पाए जाते हैं।

अश्वगंधा एक रेडियोसेंसिटाइज़र (वह दवा जो ट्यूमर कोशिकाओं को रेडिएशन थेरेपी के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है) और कीमोथेरेप्यूटिक एजेंट (जल्दी जल्दी बढ़ने वाली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने वाली दवाएं) के रूप में कार्य करता है।

विभिन्न प्रकार के कैंसर में अश्वगंधा का योगदान – Ashwagandha’s role in Different Types Of Cancer in Hindi
अश्वगंधा, विभिन्न प्रकार के कैंसर में निम्न तरीकों से योगदान करता है:

मस्तिष्क कैंसर (Brain Cancer)

अश्वगंधा, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों ( Neurodegenerative diseases ) के उपचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके घटक तंत्रिका तंतुओं और सिनैप्स (Synapse- दो तंत्रिका तंत्रों के मिलने का स्थान) तथा एक्सोन (Axons- तंत्रिका कोशिका का वो भाग जिससे तंत्रिका संदेशों को उसी तंत्रिका कोशिका में एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है) और डेन्ड्राइट (Dendrites- तंत्रिका कोशिका का वो भाग जिससे तंत्रिका संदेश दूसरी कोशिका तक जाते हैं) का पुनर्निर्माण करते हैं और याददाश्त सुधारते हैं। (और पढ़ें – याददाश्त बढ़ाने के घरेलू उपाय)

ग्लियोब्लास्टोमा (Glioblastoma), इलाज के हिसाब से सबसे आम और कठिन ब्रेन ट्यूमर है। सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी जैसे विभिन्न उपचार करने के बाद भी इसके अधिकांश रोगी एक वर्ष के भीतर मर जाते हैं।

अश्वगंधा और इसके घटक, मस्तिष्क की ग्लियोमा कोशिकाओं (Glioma cells) में वृद्धि करने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। अश्वगंधा से निकाले गए रस और इसके घटक, कैंसर कोशिकाओं को ग्लियोमा थेरेपी प्रदान (Glioma therapy) करते हैं।

स्तन कैंसर (Breast Cancer)

स्तन कैंसर से पीड़ित 100 रोगियों पर कीमोथेरेपी और विथानिआ सोम्निफ़ेरा या अश्वगंधा ( Withania somnifera ) दोनों का ट्रीटमेंट और केवल कीमोथेरेपी करके तुलनात्मक परीक्षण किया गया तो यह निष्कर्ष निकला कि अश्वगंधा का सेवन करने वाले मरीजों को कम थकान महसूस होती है और जिन्होंने सेवन नहीं किया उनको अधिक थकान महसूस होती है।

प्रोस्टेट कैंसर ( Prostate Cancer )

अश्वगंधा, कई कार्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण जीन और सन्देश भेजने की प्रक्रिया (Signalling mechanisms) को नियंत्रित करता है, जो प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया, तंत्रिकाओं में आने वाली सूजन, सन्देश स्थानांतरण, सेल सिग्नेलिंग (Cell signaling) तथा कोशिका चक्र नियमन (cell cycle regulation) आदि से सम्बंधित होते हैं। इससे अश्वगंधा, प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए प्रभावी रासायनिक एजेंट की तरह काम करता है।

त्वचा कैंसर (Skin Cancer)

स्विस अल्बिनो नामक चूहों की त्वचा में कैंसर उत्पन्न करके एक अध्ययन किया गया और उसका अश्वगंधा की जड़ से निकाले गए रस से उपचार करने पर, उनके त्वचा के घावों की संख्या में काफी कमी हुई। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि अश्वगंधा के रस में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी घटक इसके चिकित्सकीय गुणों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि अश्वगंधा, कैंसर को नियंत्रित करने में सक्षम है और साथ ही साथ कैंसर का उपचार करने वाले अन्य तरीकों जैसे रेडियो और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स को भी कम करने में मदद करता है। आयुर्वेद के अनुसार तो हमेशा अश्वगंधा के गुणों को एक अद्भुत जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जाता रहा है जो शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता में सुधार करते हैं जिस वजह से अश्वगंधा को अब कैंसर का इलाज करने के लिए भी उपयोग किया जाने लगा है।

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