3 तरीके:अपने भोजन और जीवन शैली को बदलें ( lifestyle, food ) दवा और सप्लीमेंट का प्रयोग करेंट्राईग्लिसराइड को समझें
बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड ( triglyceride ) और हृदय रोग (cardiovascular disease ) के बीच एक जाना माना सम्बंध है। हालाँकि, ट्राईग्लिसराइड, हृदय रोग (CVD cardiovascular disease) के होने के ख़तरे का जैविक चिन्हक ( biomarker ) है; यह दशकों से बड़ी बहस का मुद्दा है। भारत में भी अन्य देशों की तरह पिछले 50 सालों से औसतन ट्राईग्लिसराइड की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। मधुमेह ( type II diabetes ), मोटापा कम न होने में बाधा और इंसुलिन प्रतिरोध ( insulin resistance ) की अत्यधिक बढ़ोत्तरी का सीधा और पारस्परिक सम्बंध ट्राईग्लिसराइड से है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ( American Heart Association ) के निर्देशों में बताया गया है कि जीवन शैली का व्यापक रूप से, ट्राईग्लिसराइड की मात्रा पर असर पड़ता है। इसका मतलब है कि दवा लेने से और जीवन शैली में बदलाव लाने से, ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम किया जा सकता है।
कैसे ट्राईग्लीसराइड लेवल कम करें,Triglyceride Levels, Dil Ki Bimari,
विधि 1
अपने भोजन और जीवन शैली को बदलें (lifestyle, food)
1 रिफाइंड शुगर और साधारण कार्बोहाईड्रेट का सेवन कम करें: ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम करने के लिए यह अत्यंत ज़रूरी है कि आप साफ़ की हुई शक्कर और साधारण कार्बोहाइड्रेट का कम से कम मात्रा में सेवन करें। कई उत्पादों में तो ये एक साथ पाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर आटा, सफ़ेद शक्कर, मीठा कार्बोनेटेड सोडा, केक, टौफी, पास्ता, ब्रेड इत्यादि।
इसके बजाए, आप स्वास्थवर्धक जटिल कार्बोहाइड्रेट ( healthy complex carbohydrates ) अपने आहार में लें, जैसे ब्राउन राइस, क्विनोवा, जौ, ज्वार, बाजरा, गेंहू का ब्रेड और गेंहू का पास्ता। इसमें पाए जाने वाली कोशिकाएँ भी ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को शरीर की प्रणाली से कम करने में सहायक होती हैं।
ऐसे उत्पादों को लेने से बचे जिसमें अधिक मात्रा में फ़्रुक्टोस कॉर्न सिरप होता है, क्योंकि इसमें भारी मात्रा में शक्कर होती है।
सामान्यतः यह धारणा है की कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्र सिर्फ ब्लड शुगर को प्रभावित करती है, जबकि यह ट्राईग्लिसराइड लेवल को भी प्रभावित करती है।
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2 ताज़ा भोजन खाएँ: फ़ास्ट फ़ूड और अधपके खाने में ट्रान्स फैट ( trans fat ) और अधिक मात्रा में कैलोरी होती है, इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा, घर में बना हुआ खाना ही खाएँ। ताज़े फल और सब्ज़ियाँ, डिब्बाबंद फल और सब्ज़ियों से कई गुना बेहतर होती हैं, इनमे प्रचुर मात्रा में छुपा हुआ सेचूरेटेड फैट, प्रिजरवेटिव और केलोरी होती हैं। ताज़े रेशेदार उत्पादों में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो आपके ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम करने में मदद तो करते ही हैं, साथ में आपके वज़न को भी नियंत्रित करता हैं।
सब्ज़ियाँ जितनी हो सके ताज़ी ही ख़रीदें। ये आपके भोजन का 2/3 हिस्सा होना चाहिए।
अगर आप ताज़ी सब्ज़ियाँ नही ख़रीद सकते हैं, तो बाज़ार जा कर किसानों की मंडी से, नहीं तो सहकारी किसान समिती से सस्ती ताज़ी सब्ज़ियाँ ला सकते हैं।
फल और सब्जियों में फाइबर की बहुत उच्च मात्रा होती है। फाइबर ट्राईग्लिसराइड के स्तर को कम करने में बहुत सहायक हैं।
3 प्रोटीन अधिक मात्रा में खाएँ: प्रोटीन खाने से आपका ट्राईग्लिसराइड कम हो सकता है। आप चर्बी रहित स्वस्थ मीट जैसे की चिकन, चर्बी रहित रेड मीट खाएँ। प्रोटीन को आप नेचुरल प्लांट सोर्स से भी पा सकते है जैसे दाल, बीन, और सोया बीन के विभिन्न उत्पादों में भी प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है।
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4 मछली का सेवन करें: अगर आप माँसाहारी है तो मछली में ओमेगा-3 फ़ैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में होता है जो ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम करने में मदद करता है। मछली हफ़्ते में दो या तीन बार भोजन में अवश्य लें, जैसे टूना, सैलमन और छोटी समुद्री मछली।
मछली खाने से आप रेड मीट और अन्य चर्बीयुक्त माँस खाने से बच जाएँगे।
आपको ओमेगा-3 गाढ़ी हरी पत्तियों वाली सब्ज़ियों, अलसी, अखरोट, सोया के उत्पादों और लेग्यूम्स में भी मिलता है।
5 हैल्दी फैट का चयन करें: आप किस प्रकार का फैट खाते हैं इसका सीधा सम्बंध आपके खाने वाले तेल से है। वनस्पति के तेल के बजाय आप ऑलिव आयल, मूँगफली, कनोला, अखरोट, अलसी का तेल या नारियल तेल का प्रयोग कर सकते हैं। इनमें मोनोसेचुरेटड फैट होता है, जो शरीर के लिए पौष्टिक और स्वास्थय के लिए हितकर होता है।
हाईड्रोजेनेटेड तेल से बनी चीज़ों का सेवन करने से बचें। आप किसी उत्पाद को दुकान से ख़रीदने से पहले उसका लेबल देखें कि कहीं इसमें ख़राब और हानिकारक तेल तो नहीं है, अगर है तो इसे न ख़रीदें।
हैल्दी फैट ट्राईग्लिसराइड के स्तर को कम करने में भी सहायक है।
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6 शराब का सेवन न करें: अलकोहोल आपके ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को बढ़ाता है। यह शक्कर और व्यर्थ की कैलोरी से परीपूर्ण होता है, यह ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को भी बढ़ाता है। इसका सेवन बिलकुल बंद कर दें, अन्यथा कम मात्रा में लें।
यह सब तरह के अलकोहोलयुक्त पेय पर लागू होता है, जैसे कि बियर, वाइन और ठोस अल्कोहल द्रव्य तथा इसी तरह के अन्य पेय।
7 कसरत करें: ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम करने में व्यायाम की अहम भूमिका होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार एरोबिक व्यायाम 30 मिनट हफ़्ते में 5 दिन करें और माँसपेशियों के लिए 20 से 30 मिनट तक व्यायाम सप्ताह में दो बार अवश्य करना चाहिए।
बारी बारी से बदल कर विभिन्न प्रकार के व्यायाम करें जिससे आप ऊब न जाऐं l टहलने जाएँ, लम्बी पैदल यात्रा करें, तैरने जाएँ, साईकल चलाएँ, योग करें, भार उठाएँ, मशीनों के द्वारा व्यायाम करें, और स्पिनिंग भी कर सकते हैं। इन सब को बारी बारी से करेंगे तो ऊबेंगे नहीं।
आप इन का अभ्यास कर के वज़न भी घटा सकते हैं। 10 किलो वज़न घटाने से ट्राईग्लिसराइड की मात्रा भी कम हो जाती है। इस परिस्थिति में शरीर का सही वज़न जानने के लिए आप अपने चिकित्सक से पूछें।
विधि 2
दवा और सप्लीमेंट का प्रयोग करें
1 फ़ाइब्रेट्स ( fibrates) लें: इन दवाओं को लेने से ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को कम करने में मदद मिलती है। ये उन परिस्थिति में अच्छा काम करता है जहाँ ट्राईग्लिसराइड की मात्रा 500mg/dL से ऊपर हो। फ़ाईब्रेट्स खाने के पहले अपने चिकित्सक से पूछें कि किसी अन्य दवा के साथ खाने से कोई दुष्प्रभाव तो नहीं होगा।
दवाओं का इस्तेमाल करें जैसे जेमफ़ैब्रोज़िल (gemfibrozil ), रोज़ाना 1200mg खाएँ। आप फ़ेनोफ़ाईब्रैट दवा भी लें सकते हैं, 145mg रोज़ाना खाएँ।
2 नियासिन (niacin) सप्लीमेंट लें: नियासिन को निकोटीन ऐसिड भी कहते है। 500mg/dl से अधिक मात्रा की ट्राईग्लिसराइड को नियंत्रित करता है। यह आपके बैड कोलेस्ट्रोल को भी नियमित करता है। यह सप्लीमेंट आप मेडिकल शॉप से ख़रीद सकते हैं। चिकित्सकीय सलाह लेने के बाद ही दवा खाएँ। दवा की 1500 से 2000 mg की खुराक प्रतिदिन खाने की सलाह दी जाती है।
कुछ मरीजों में इसको लेने के बाद ख़ून का दौरा बढ़ जाता है और शरीर लाल हो जाता है (flushing)।
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3 फिश आयल (fish oils) का इस्तेमाल करें: फिश आयल को ओमेगा-3 फ़ैटी ऐसिड भी कहते है, नैचुरल फैट का बहुत उम्दा स्त्रोत है जो स्वस्थ मछली में पाए जाते है। अधित मात्रा में इस सप्लीमेंट की खुराक ट्राईग्लिसराइड को कम करने में असरदार है। सप्लीमेंट का वे ही इस्तेमाल करें जिनकी ट्राईग्लिसराइड 500mg/dL से अधिक है।
हालाँकि ज़्यादातर फिश आयल सप्लीमेंट FDA द्वारा अप्रूव नहीं हैं, आप वास्सेपा (Vascepa), 1gm अल्ट्रा प्योर, FDA एप्रूव्ड, ओमेगा-3 फ़ैटी ऐसिड सप्लीमेंट ले सकते हैं। अगर आपके चिकित्सक ने सलाह दी है और आपका ट्राईग्लिसराइड 500 mg/dL से ऊपर है तो आप एपानोवा (Epanova) ले सकते है। फिश आयल सप्लीमेंट को 4 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से लें सकते है ।
4 स्टाटिन (statins) लें: अक्सर कोलेस्ट्रोल को कम करने के लिए स्टाटिन का इस्तेमाल किया जाता है, हालाँकि इन्हे ट्राईग्लिसराइड को भी कम करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ख़राब कोलेस्ट्रोल के अधिक होने के कारण, कम हुए अच्छे कोलेस्ट्रोल या धमनि अवरूद्ध होने पर भी यह दवा लेने की सलाह दी जाती है।
चिकित्सक से अटोरवस्टाटिंस (atorvastatins) जैसे कि लिपिटोर (lipitor) या सीमावास्टाटिंस (simavastatins) जैसे कि ज़ोकॉर (zocor) के इस्तेमाल के बारे में बात करें।
विधि 2
ट्राईग्लिसराइड को समझें
1 ट्राईग्लिसराइड और अस्वस्थ खाने के सम्बंध को पहचानें: ट्राईग्लिसराइड भोजन के द्वारा शरीर में जाता है, और इसमें से कुछ ख़राब खाद्य पदार्थों में अधिक ट्राईग्लिसराइड होता है। ट्राईग्लिसराइड में कम पोषक तत्व होते हैं परंतु अधिक मात्रा में बेकार की कैलोरीज होती हैं। हाइपरट्राईग़लिसरिडीमिया ( hypertriglyceridemia ) या अधिक ट्राईग्लिसराइड की मात्रा से ग्रसित होने में और मोटापे का सीधा सम्बंध है। शोधकर्ता मोटे तौर पर यह मानते हैं कि जो आप खाते हैं उससे ही यह बीमारी होती है।
एक अध्ययन में स्तन कैंसर के निदान होने के बाद बायोप्सी की रिपोर्ट के लिए इंतजार करते समय ट्राईग्लिसराइड के ऊपर अध्ययन किया गया। क़रीब 84 मरीज़ों को स्तन कैंसर के साथ बढ़ा हुआ ट्राईग्लिसराइड भी निकला। इन महिलाओं में कम मात्रा में बीटा-कैरोटीन पाई गई, जो ताजी गाजर में भी मिलती है। इन आँकड़ों से पता चलता है कि मरीज़ स्वास्थ वर्धक खाना नहीं खाते थे।
2 : अन्य कारणों को समझें: स्वस्थ भोजन के साथ कुछ अन्य कारण भी ट्राईग्लिसराइड की मात्रा को बढ़ाते हैं। आप चिकित्सक को अपनी चिकित्सा के इतिहास और दवा के बारे में ठीक से बताएँ, जिससे बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड का कारण और निदान बता सकें। बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड इन कारणों से होता है:
- लिवर ख़राब ( liver damage) होने और सिरोसिस (cirrhosis)।
- अनियंत्रित मधुमेह (diabetes)।
- गुर्दे का विकार।
- भोजन में अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और कम प्रोटीन की मात्रा होना।
- अनुवांशिक विकार।
- थाइरोईड ग्रंथि का कम क्रियाशील होना।
- दवा और चिकित्सिकिय सलाह के साथ फ़ीमेल हॉर्मोन (female hormone)।
3 : इसके दुष्प्रभाव को जाने: अधिक ट्राईग्लिसराइड की मात्रा से हृदय रोग होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड से अक्यूट पैनक्रीयटाइटिस (acute pancreatitis) होता है जिस से ज़िंदगी को ख़तरा होता है।[२४] इनके अतिरिक्त, बढ़ा हुआ ट्राईग्लिसराइड, लोगों में समस्या पैदा कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार क़रीब 1200 पुरुषों पर शोध कर के पता चला कि 50 साल या उससे कम उम्र के मरीज़ों में सब-क्लिनिकल हाइपोथायरोइडिसम (subclinical hypothyroidism) और हृदय रोग में सम्बंध पाया गया, और कुल जनसंख्या में से 20% लोगों में हाइपोथायरोइडिसम का भी निदान किया गया। अंत में यह निष्कर्ष निकला कि अधिकतर कम उम्र के पुरुषों में हृदय रोग और बढ़ा हुआ ट्राईग्लिसराइड पाया जाता है।
4 : ट्राईग्लिसराइड की मात्रा और कैंसर में सम्बंध जाने: अभी भी ट्राईग्लिसराइड पर शोध हो रहा है, लेकिन अलग अलग बीमारियों के कई कारण होने की वजह से, उनके होने में ट्राईग्लिसराइड की भूमिका तय करना बहुत कठिन हो जाता है। हालाँकि यह तय है कि, ट्राईग्लिसराइड अन-हेल्दी फ़ूड में पाया जाता है, और इस से मोटापा बढ़ता है। मोटापे से फैट सेल्स बढ़ जाती हैं और पुरुषों और स्त्रियों में एस्ट्रोजन (estrogen) हार्मोन स्त्रावित करती है, जो विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण होती है।
बहुत बड़ा शोध और अध्ययन ट्राईग्लिसराइड और कैंसर पर किया गया है, औस्ट्रिया में 10 साल तक 156,000 मरीजों को ले कर अध्ययन किया गया जिनका ट्राईग्लिसराइड (ETG) बढ़ा हुआ था। इन सालों में 5079 पुरुषों और 4738 स्त्रियों में कैंसर पाया गया। अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट बताती है, कि फ़ेफड़े, थाईरोईड, रेक्टल, प्रोस्टेट, स्तन और सभी स्त्रीसंबंधित कैंसर, बढ़े हुए ट्राईग्लिसराइड के कारण होते है।
यूनाइटेड किंगडम में हुए एक और अध्ययन में 52.4 लाख लोगों में से 1,66,955 लोगों को कैंसर हो गया। अतः इस अध्ययन से पता चला कि बॉडी मास इंडेक्स (body mass index or BMI) में हर 5 किलोग्राम प्रति घन मीटर बढ़ोत्तरी पर यूटरस, गुर्दे, सर्विक्स (cervix), थायरॉइड (thyroid), लिवर (liver), मलाशय (colon), ओवरी (ovaries) और स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
5 ट्राईग्लीसराइड लेवल की नियमित जाँच करवायें: डॉक्टर आपका रक्त लेकर ट्राईग्लीसराइड की मात्रा की जाँच कर लेते हैं। ब्लड सैंपल देने के पहले 8 से 12 घंटे तक भूखे रहें और कुछ खाएँ पीएँ नहीं। जाँच के परिणाम, अत्यधिक बड़े पैमाने में भिन्न हो सकते हैं, जैसे सामान्य से लेकर बहुत ज़्यादा। इनकी मात्रा के विभिन्न पैमाने नीचे दिए गए हैं:
नॉर्मल <150mg/dL
बॉर्डरलाइन 150-199mg/dL
हाई (High) 200-499mg/dL
अत्यधिक गंभीर >500mg/dL
1000mg/dL से ज़्यादा मात्रा, अग्नाशयकोप (pancreatitis) से सम्बंधित होती है, जो बहुत ही ख़तरनाक होता है।
सिर्फ 1 से 3 महीने में 90 % Heart Blockage भी हो जाएगी छु मंतर – आयुर्वेद का वरदान
स्रोत और उद्धरण
↑ Miller, Michael, Stone, Neil, and Ballantyne, Christie. Triglycerides and Cardiovascular Disease: A Scientific Statement from the American Heart Association, Circulation 2011 123 2292-2333
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