बकरी के दूध के फायदे।
बकरी के दूध में ऐसे गुण विद्यमान हैं के कभी कभी ये हज़ार रुपैये लीटर भी बिकता हैं। और जो काम बड़ी बड़ी दवाये नहीं कर पाती वो बकरी का दूध चुटकी बजाते ही कर देता हैं। बकरी का दूध मन को प्रसन्न रखता है। मुंह में खांसी के साथ आने वाले खून के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। बकरी का दूध फेफडे़ के घावों और गले की पीड़ा को दूर करता है। यह पेट को शीतलता प्रदान करता है। गर्म स्वभाव वालों के लिए यह अत्यंत लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में सहायक बकरी का दूध :
डेंगू रोग में
डेंगू रोग में जब प्लेटलेट्स एक दम से कम होने लगे तो बकरी का दूध बहुत फायदा करता हैं। प्लेटलेट्स बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में बकरी का दूध बहुत फायदेमंद हैं। और इसी एक गुण की वजह से डेंगू रोग के दिनों में ये दूध शहर में लोग हज़ार रुपैये लीटर तक भी लोग खरीदते हैं।
काली खांसी (कुकर खांसी) :
100 से 250 मिलीलीटर काली बकरी का दूध 2 सप्ताह तक रोगी को पिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है।
बुखार के लिए :
बकरी और गाय के ताजे दूध को मिलाने पर आने वाले झागों को इकट्ठा करके इसमें मिश्री का चूर्ण मिलाकर मीठा करें इसको पीने से पुराना बुखार में लाभ मिलता है।
हिचकी का रोग :
बकरी के दूध में 1 चम्मच सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से हिचकी में लाभ होता है।
दस्त के आने पर :
बकरी के दूध को पीने से भी गर्भवती स्त्री को होने वाले अतिसार यानी दस्त समाप्त हो जाते हैं।
250 मिलीलीटर बकरी के दूध में लगभग 8 ग्राम की मात्रा में तिल मिलाकर मिश्री के साथ पीने से दस्त में आराम मिलता है।
गर्भवती स्त्री का अतिसार :
बकरी के ताजे दूध में नींबू को मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से अतिसार बंद हो जाता है।
गर्भवती स्त्री का विषम ज्वर :
बकरी के दूध के साथ सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से गर्भवती स्त्री का विषम ज्वर दूर हो जाता है।
बच्चो के लिए।
अगर नवजात शिशु को माँ का दूध या गाय का दूध भी नहीं पांच रहा हो तो उसको बकरी का दूध पिलाना चाहिए। ये पचने में बहुत ही आसान हैं। और इस से बच्चे की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती हैं।
प्रदर रोग :
6 ग्राम मोचरस (सेमर की गोंद) को बकरी के दूध के साथ मिलाकर रोजाना सेवन करने से प्रदर रोग मिट जाता है।
नाक के रोग :
बकरी के धारोष्ण (ताजा) दूध के अंदर मिश्री डालकर पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
उपदंश :
10 मिलीलीटर काली बकरी का पेशाब सात दिनों तक पीते रहने से उपदंश के कारण फटने वाला बदन (शरीर) ठीक हो जाता है।
योनि को छोटा करना :
बकरी तथा गाय के दूध को मिलाकर बनाए हुए मट्ठे की योनि में छीटें देनी चाहिए तथा इसी से योनि को धोना चाहिए। इससे योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है।
टी.बी. :
बकरी का दूध, पेशाब, मांस तथा मेंगनी का सेवन करने से टी.बी. रोग में लाभ होता है।
250 मिलीलीटर बकरी का दूध, 10 ग्राम नारियल का बुरादा और 6 ग्राम लहसुन को एक साथ मिलाकर पका लें। एक बार में इतनी ही औषधि सुबह-शाम खाने से टी.बी. का रोग मिट जाता है।
पीलिया का रोग :
बकरी के दूध के साथ समुद्रफेन घिसकर पीने से पीलिया के रोग में लाभ होता है।
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कम्पवात के लिए कोई उपाय हो तो जर्रूर बताये sirji
sir kya aap mjhe bta sakte hai k agr naak (nose) tedhi ho jaye to kya krna chahyee plz plz koi upayee btayee.
naak tedhi hain to phir ye shalykriya yaani ke operation se hi sahi ho sakti hain…
sir naak puri tedhi ni hai bss ek taraf bht chote matra me bhitr se ubhar gya hai jiski wajh se wo halka tedha nazar ata hai….sir koi to ilaz hoga apke pas
Pls muje bataiye lehsan or gud kab tak khana chaiye
sir plz uttar djyeegaa bht badi meharbani hogi
मेरे 7 दिन के बच्चे में प्लेटलेट्स 90000 है उसको बढाने के लिए क्या करना चाहिये
पपीता का पत्ता पिस कर पिलाओ और बकरी का दूध पिलाओ
Sir ,
Mere do saal ke bachche ko celiac disease hai.gehun & jau se jeevan bhar parhez karne ko kaha gaya hai.
Kya ayurved me is bimari ka koe upchaar hai .
Please batayen.
ये मट्ठा किसे कहते है कोई हमें भी बता दो 😀
बहुत ही अच्छा उपाय है