क्या आप जानते हैं मंत्र शक्ति और चमत्कारी बीजमंत्रों के बारे में ….
जब हम किसी समस्या से परेशान होते है तो हमें लगता है की काश कोई ऐसा चमत्कार हो जाए की हमारी समस्या का हल निकल आये. कभी-कभी ज़िंदगी में कुछ नहीं होता सिवाय एक आशा के. समस्या से उबारने के लिए एक छोटी सी आशा की किरण ही बहुत होती है. कहते है जब ज़िंदगी में सब दरवाज़े बंद हो जाते है तो भगवान कुछ ऐसा करते है की एक नया दरवाज़ा खुल जाता हैं.
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मंत्र शक्ति एक ऐसी शक्ति है जिसके उच्चारण से बुरी से बुरी समस्या का हल निकाला जा सकता हैं. आइये हम आपको कुछ ऐसे चमत्कारी मंत्रो से अवगत कराते है जो आपकी हर समस्या का समाधान करेंगे.
चमत्कारी मंत्र
चमत्कारी मंत्र सिर्फ एकपदीय जप नहीं होते बल्कि वो आपके आस-पास एक प्रभावशाली वातावरण बनाए रखते हैं जिससे आपकी ज़िंदगी की समस्याएं खत्म होती हैं. अगर आप एकाग्र होकर मंत्रों को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना ले और उन पर विश्वास करें तो आप हर समस्या से उबर सकते हैं. चमत्कारी मंत्रों के उच्चारण से असंभव काम को भी संभव किया जा सकता हैं.
बीज मंत्र
बीज मंत्र पूरे मंत्र का एक छोटा रूप होता है जैसे की एक बीज बोने से पेड़ निकलता है उसी प्रकार बीज मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता हैं. अलग- अलग भगवान का बीज मंत्र जपने से इंसान में ऊर्जा का प्रवाह होता हैं और आप भगवान की छत्र-छाया में रहते हैं. चमत्कारी और प्रभावशाली बीज मंत्रों का जाप करने से दसों-दिशाओं एवं आकाश-पाताल में जल, अग्नि व हर प्रकार की समस्या से निजात पाया जा सकता हैं.
मूल बीज मंत्र
मूल बीज मंत्र “ॐ” होता है जिसे आगे कई अलग बीज में बांटा जाता है- योग बीज, तेजो बीज, शांति बीज, रक्षा बीज.
ये सब बीज इस प्रकार जापे जाते हैं- ॐ, क्रीं, श्रीं, ह्रौं, ह्रीं, ऐं, गं, फ्रौं, दं, भ्रं, धूं,हलीं, त्रीं,क्ष्रौं, धं,हं,रां, यं, क्षं, तं.
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बीज मंत्र और उनके लाभ
बीज मंत्र हमें हर प्रकार की बीमारी, किसी भी प्रकार के भय, किसी भी प्रकार की चिंता और हर तरह की मोह-माया से मुक्त करता हैं. अगर हम किसी प्रकार की बाधा हेतु, बाधा शांति हेतु, विपत्ति विनाश हेतु, भय या पाप से मुक्त होना चाहते है तो बीज मंत्र का जाप करना चाहिए.
1. ह्रीं (मायाबीज) इस मायाबीज में ह् = शिव, र् = प्रकृति, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस मायाबीज का अर्थ है ‘शिवयुक्त जननी आद्याशक्ति, मेरे दुखों को दूर करे।’
2. श्रीं (श्रीबीज या लक्ष्मीबीज) इस लक्ष्मीबीज में श् = महालक्ष्मी, र् = धन संपŸिा, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस श्रीबीज का अर्थ है ‘धनसंपŸिा की अधिष्ठात्री जगज्जननी मां लक्ष्मी मेरे दुख दूर करें।’
3. ऐं (वागभवबीज या सारस्वत बीज) इस वाग्भवबीज में- ऐ = सरस्वती, नाद = जगन्माता और बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- ‘जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें।’
4. क्लीं (कामबीज या कृष्णबीज) इस कामबीज में क = योगस्त या श्रीकृष्ण, ल = दिव्यतेज, ई = योगीश्वरी या योगेश्वर एवं बिंदु = दुखहरण। इस प्रकार इस कामबीज का अर्थ है- ‘राजराजेश्वरी योगमाया मेरे दुख दूर करें।’ और इसी कृष्णबीज का अर्थ है योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें।
5. क्रीं (कालीबीज या कर्पूरबीज) इस बीज में- क् = काली, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘जग. न्माता महाकाली मेरे दुख दूर करें।’
6. दूं (दुर्गाबीज) इस दुर्गाबीज में द् = दुर्गतिनाशिनी दुर्गा, ¬ = सुरक्षा एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इसका अर्थ 1. है ‘दुर्गतिनाशिनी दुर्गा मेरी रक्षा करें और मेरे दुख दूर करें।’
7. स्त्रीं (वधूबीज या ताराबीज) इस वधूबीज में स् = दुर्गा, त् = तारा, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘जगन्माता महामाया तारा मेरे दुख दूर करें।’
8. हौं (प्रासादबीज या शिवबीज) इस प्रासादबीज में ह् = शिव, औ = सदाशिव एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘भगवान् शिव एवं सदाशिव मेरे दुखों को दूर करें।’
9. हूं (वर्मबीज या कूर्चबीज) इस बीज में ह् = शिव, ¬ = भ. ैरव, नाद = सर्वोत्कृष्ट एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘असुर भयंकर एवं सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव मेरे दुख दूर करें।’
10. हं (हनुमद्बीज) इस बीज में ह् = अनुमान, अ् = संकटमोचन एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘संक. टमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें।’
11. गं (गणपति बीज) इस बीज में ग् = गणेश, अ् = विघ्ननाशक एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘‘विघ्ननाशक श्रीगणेश मेरे दुख दूर करें।’’
12. क्ष्रौं (नृसिंहबीज) इस बीज में क्ष् = नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दिव्यतेजस्वी, एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ‘दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें।’
बीजार्थ मीमांसा: वस्तुतः बीजमंत्रों के अक्षर उनकी गूढ़ शक्तियों के संकेत होते हैं। इनमें से प्रत्येक की स्वतंत्र एवं दिव्य शक्ति होती है। और यह समग्र शक्ति मिलकर समवेत रूप में किसी एक देवता के स्वरूप का संकेत देती है। जैसे बरगद के बीज को बोने और सींचने के बाद वह वट वृक्ष के रूप में प्रकट हो जाता है, उसी प्रकार बीजमंत्र भी जप एवं अनुष्ठान के बाद अपने देवता का साक्षात्कार करा देता है।
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चमत्कारी मंत्रों के लाभ
चमत्कारी मंत्रों का जाप करने के कई तरह के लाभ होते हैं जैसे- (1 दीर्घायु : व्यक्ति को लम्बी आयु की प्राप्ति होती हैं. (2) धन : व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है.(3) परिवार का सुख : व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है. (4) शत्रु का नाश : व्यक्ति की शत्रु पर जीत होती है. (5) जीवन शांति : व्यक्ति जीवन में शांति का अनुभव करता हैं |
Durga ji ka bij mantra kitna Kab kaise karna chahiye
Is mantra Ka jap kis time kare …
Aur kitni bar
बहुत अच्छा लगा पढ़कर आप सभी लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे है
Achhi jankari ke liye thanks