Saturday , 23 November 2024
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जानिये कैसे करता है हमारा हृदय काम.

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जानिये कैसे करता है हमारा हृदय काम. । How Your heart works.

हमारे शरीर का हर एक अंग बेहद बेहद महत्वपूर्ण है, हम जब सोते हैं तब भी ये अंग अपना अपना काम करते रहते हैं. इनमे से हृदय की कार्य प्रणाली बेहद दिलचस्प है. प्रतिदिन 2,000 गैलन तक रक्त पम्प करके यह धमनियों, शिराओं, और कोशिकाओं की विशाल प्रणाली जो 60,000 मील लम्बी है, के द्वारा खून का परिसंचरण करता है. यह इतनी लम्बी होती हैं जिससे पृथ्वी को दो बार लपेटा जा सकता है. आज हम आपको हृदय की सम्पूर्ण कार्यविधि बताने जा रहे हैं.

हृदय हमारे शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए ऑक्सीज़न और पोषक तत्वों की आपूर्ति  रक्त के द्वारा करता है। महज हमारी मुट्ठी के बराबर का यह पावर हाउस प्रत्येक दिन में लगभग 100,000 बार धड़कता है। और यह हर मिनट में लगभग 5 से 6 क्वार्ट और प्रतिदिन 2,000 गैलन तक रक्त पम्प करता है।

कैसे रक्त हृदय में आता और जाता है. How Blood Circulation In Heart.

जब हमारा हृदय धड़कता है, तो यह रक्त वाहिकाओं द्वारा रक्त को पम्प करता है, और इस क्रिया को संचार प्रणाली कहा जाता है। ये रक्त वाहिकाएं लोचदार, पेशीय ट्यूब होतीं हैं, जो हृदय द्वारा फेंके गए रक्त को पूरे शरीर में लेकर जाती हैं।

रक्त हमारे शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण तरल पदार्थ  है, जो अपने बहाव के साथ, फेंफड़ों समेत पूरे शरीर के उत्तकों में ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों को लेकर जाता है। इसके अलावा यह शरीर के उत्तकों से हानिकारक पदार्थों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड को भी निकाल कर बाहर कर देता है। यह हमारे जीवन और पूरे शरीर के अंगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।

रक्त वाहिकाओं के तीन मुख्य प्रकार: Types of Blood Vessels.

  • धमनियां (Arteries) – यह धमनियां हृदय की सबसे बड़ी और हृदय से निकलने वाली धमनी, महा धमनी (Aorta) से शुरू होती है। यह हृदय से पोषक तत्वों से भरपूर रक्त को लेकर शरीर के सभी उत्तकों में पहुंचाती हैं। ये कई ऐसी शाखाओं में बंटी होती हैं जो हृदय से शरीर में जितनी दूर तक जाती रहती हैं उतनी ही छोटी होती चली जाती हैं।
  • केशिकाएं (Capillaries) – यह छोटी और पतली रक्त वाहिकाएं होती हैं जो धमनियों और नसों को आपस में जोड़ती हैं। इन वाहिकाओं की पतली दीवारों से ही शरीर के विभिन्न भागों में पोषक तत्वों, ऑक्सीजन और कार्बनडाइऑक्साइड का आवागमन होता है।
  • नसें (Veins) – यह ऐसी रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो रक्त को वापिस हृदय में लेकर जाती हैं। यह रक्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से रहित होता है, और इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। ये नसें जितनी हृदय के करीब होती हैं उतनी ही मोटी होती हैं। इन नसों में, प्रधान वेना केवा (Superior Vena Cava) सब बड़ी नस होती है, यह मस्तिष्क और भुजाओं से रक्त को हृदय तक लेकर आती है। वहीं इन्फीरियर वेना केवा (Inferior Vena Cava) सबसे छोटी नस होती है जो पेट और टांगों से रक्त को हृदय तक लेकर आती हैं।

इन रक्त वाहिकाओं धमनियों, शिराओं, और कोशिकाओं की विशाल प्रणाली 60,000 मील लम्बी है। यह इतनी ज्यादा होती हैं कि पूरे संसार पर इन्हें दो बार लपेटा जा सकता है।

हृदय की बनावट. Structure Of Heart

हृदय हमारी पसलियों (Rib cage) के नीचे, छाती (उरोस्थि) के थोड़े बाई ओर, और फेंफड़ों के बीच होता है। हृदय मांशपेशियों से बना हुआ होता है। इसकी मजबूत मांसपेशियों की दीवारें सिकुड़न और पम्पिंग के द्वारा रक्त को पूरे शरीर में पहुंचाती हैं। हृदय की सतहों पर कोरोनरी आर्टरी होती हैं, और इनका कार्य ऑक्सीजन से भरपूर रक्त को खुद हृदय की मांशपेशियों तक पहुंचाना होता है। शरीर की सबसे मुख्य रक्त वाहिकाओं में, सुपीरियर वेना केवा Superior Vena Cava, इन्फीरियर वेना केवा Inferior Vena Cava और पल्मोनरी वेन्स Pulmonary Veins होती हैं, जो हृदय में प्रवेश करती हैं। इसके अलावा पल्मोनरी आर्टरी Pulmonary Artery और एओर्टा Aorta जो हृदय से निकलती है, ऑक्सीजन युक्त रक्त को पूरे शरीर में पहुंचाती हैं।

हृदय के भाग. Parts Of Heart.

हृदय चार संभागों (Four-chamber) में बंटा एक खोखला अंग है। यह दांयी और बांयी पेशीय दीवारों में बंटा होता है जिन्हें पट (Septum) कहा जाता है। इसके अलावा, इसके दो दाहिने और दो बाहिने भाग भी आगे और दो-दो भागों में बंटे होते हैं, इनके ऊपरी भागों को आर्टरी (परिकोष्ठ) और निचले भागों को वेन्ट्रिकल्स कहा जाता है। ये आर्टरीयां नसों से रक्त लेती हैं, और नीचे के ये दो चैंबर (ventrical) वेंट्रिकल रक्त को धमनियों में छोड़ देते हैं।

आर्टरी (परिकोष्ठ) और निलय (ventricles) हृदय के संकुचन और खुलने की प्रक्रिया में एक साथ मिलकर कार्य करती हैं। इनका कार्य हृदय में रक्त को लेने और छोड़ने का होता है। जैसे ही रक्त हृदय के हर एक चैंबर से निकलता है यह एक वाल्व के द्वारा होकर निकलता है। हृदय के अंदर चार प्रकार की वाल्व होती हैं।

  • माइट्रल वाल्व (Mitral valve)
  • ट्राइकस्पिड वाल्व (Tricuspid valve)
  • महाधमनी वॉल्व (Aortic valve)
  • पल्मोनिक वाल्व (Pulmonic valve)

कैसे करते है हृदय के वाल्व काम. How Heart Valve Works.

ट्राईकस्पिड और माइट्रल वाल्व आर्टरी और वेंट्रिकल्स के बीच में होती हैं। वहीं एओर्टिक Aortic और पल्मोनिक वाल्व Pulmonic Valve वेंट्रिकल और हृदय से निकलने वाली मुख्य रक्त वाहिकाओं के बीच में होती हैं। हार्ट की वाल्व भी ठीक उस तरह से काम करती है, जैसे पाइपलाइन आपके घरों में काम करती हैं। यह रक्त को गलत दिशा में जाने से रोकती हैं। हर एक वाल्व में फ्लैप का सेट होता है, जिन्हें लिफ्लीट्स या कसप्स कहा जाता है। यह लिफ्लीट्स रेशेदार उत्तकों ( fibrous tissue) जिन्हें वलय (annulus) कहा जाता है, के घेरे से जुड़े होते हैं। यह हृदय को उनके उचित आकार में बने रहने में मदद करते हैं।

माइट्रल और ट्राइकस्पड वाल्व के लिफ्लीट्स कठोर रेशेदार तारों से जुड़े होतें हैं जिन्हें, चोरड़ै टेन्डिनेए (chordae tendineae) कहा जाता है। यह चोरड़ै, पैराशूट में पाए जाने वाले समर्थक तारों के समान होते हैं। ये वाल्व लिफ्लीट्स से छोटी-छोटी मांसपेशियों तक फैले होते हैं। इन मांशपेशियों को (papillary muscles) कहा जाता है। यह मांशपेशियां वेंट्रिकल की भीतरी दीवारों का हिस्सा होती हैं।

हृदय से रक्त का गुज़रना. How Blood Flow From Heart.

रक्त के बहाव के लिए हृदय का बांया और दांया हिस्सा एक साथ काम करता है। हृदय, फेंफड़ों और पूरे शरीर में रक्त के प्रवाह को नीचे विस्तृत रूप में बताया गया है।

हृदय के दाईं ओर का हिस्सा. Right side of Heart

रक्त दो बड़ी नसों (इन्फीरियर एंड सुपीरियर वेना केवा) के द्वारा हृदय में प्रवेश करता है। वह शरीर से लिए गए ऑक्सीजन रहित रक्त को दायें आट्रियम में खाली कर देता है। जैसे ही यह आट्रियम सिकुड़ता है, रक्त खुले हुए ट्राइकस्पद वाल्व के द्वारा दायीं ओर के आट्रियम से निकल कर दायीं ओर के ही वेंट्रिकल में चला जाता है। जब यह वेंट्रिकल पूरा भर जाता है तो ट्राईकस्पड वाल्व बंद हो जाता है। इससे जब वेंट्रिकल सिकुड़ता है, तो रक्त पीछे नहीं लौट पाता। जैसे ही वेंट्रिकल सिकुड़ता है, रक्त पल्मोनिक वाल्व से बाहर निकल जाता है, और पल्मोनिक आर्टरी और फेंफड़ों में पहुंच जाता है। फेंफड़ों और आर्टरी में पहुंचने के बाद यह रक्त, ऑक्सीजन लेकर पल्मोनरी नसों के द्वारा बाएं आर्टरियम में पहुंचता है।

हृदय का बांया हिस्सा. Left side of Heart.

पल्मोनरी वेन्स इस ऑक्सीजन युक्त रक्त को फेंफड़ों से लेकर हृदय के बाएं आट्रियम में पहुंचा देती हैं। जैसे ही यह आट्रियम सिकुड़ता है, रक्त बाएं आट्रियम से निकल कर माइट्रल वाल्व के द्वारा बाएं वेंट्रिकल में पहुंच जाता है। जब यह वेंट्रिकल रक्त से भर जाता है, तो यह माइट्रल वाल्व बंद हो जाती है। इससे रक्त पीछे आट्रियम में नहीं जा पाता। इसके बाद जब वेंट्रिकल सिकुड़ता है, तो रक्त एओर्टिक वाल्व के द्वारा बाहर निकल कर एओर्टा और फिर पूरे शरीर में पहुंच जाता है।

फेंफड़ों में रक्त का प्रवाह. Blood Flow In lungs

जब रक्त पल्मोनिक वाल्व में प्रवेश करता है, तो यह सीधे फेंफड़ों में पहुंचता है। इस क्रिया को पल्मोनरी सर्क्युलेशन कहा जाता है। पल्मोनिक वाल्व से रक्त पल्मोनरी आर्टरी में होते हुए पतली कैपिलरी के द्वारा फेंफड़ों में पहुंच जाता है। यहाँ ऑक्सीजन कैपिलरी दीवारों से होते हुए, छोटे-छोटे वायु कोषों द्वारा फेंफड़ों में और फिर रक्त में पहुंचती है। इसी समय पर मेटाबोलिज्म का अपशिष्ट उत्पाद कार्बन डाई ऑक्साइड, रक्त से वायुकोषों में पहुंच जाता है। इसके बाद जब हम सांस छोड़ते हैं तो इसके द्वारा कार्बन डाई ऑक्साइड भी बाहर निकल जाती है। जैसी ही रक्त शुद्ध हो जाता है और उसमें ऑक्सीजन मिल जाती है, यह पल्मोनरी नसों के द्वारा वापिस बाएं आट्रियम में पहुंच जाता है।

2 comments

  1. Ajay damkondwar .dharmabad

  2. In my mouth a orasor from last 6 months tell me the ayurvedic treatment

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