शौच जाना हमारा नियमित कर्म है. ये शरीर के स्वस्थ रहने के लिए बेहद महत्वपूर्ण कार्य है. सही ढंग से शौच जाने से शरीर अनेक रोगों से बचा रहता है जिनमे कब्ज, बवासीर, हर्निया और पेट के रोग प्रमुख हैं. तो आइये जाने इन बेजोड़ साधारण नियमो को जिनका अनुसरण करके हम अपने पेट और आँतों को स्वस्थ रख सकते हैं.
1. जल्दबाजी ना करें.
कभी कभी शौच जाने में हम बहुत जल्दी करते हैं. अर्थात हम आराम से बैठते भी नहीं और जल्दबाजी में शौच भी सही से नहीं हो पाता. शौच क्रिया में आंतें शरीर की गंदगी को बाहर निकालती हैं. इसमें जल्दबाजी करने से मल शरीर में ही रह जाता है जो बाद में सड कर शरीर को विषाक्त करता है.
2. कभी मल त्याग के वेग को रोके नहीं.
मल त्याग का वेग बनते ही मल त्याग कर लेना चाहिए, वेग अगर रोके रखें तो ये अन्दर ही आँतों को दूषित करता रहता है, जिस से आंतो को अनेक रोग हो जाते हैं. ऐसे में कब्ज रोग होना स्वाभाविक है.
3. जोर या दबाव से बचें.
शौच अगर उतरता नहीं तो अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए. अगर मल उतर नहीं रहा तो कब्ज की समस्या या भोजन में फाइबर की कमी हो सकती है. जोर लगाने से आंत नीचे उतर आती है और हर्निया की शिकायत हो जाती है. आँतों पर दबाव डालने से मल की खुश्की में रक्त निकल आता है जो धीरे धीरे बवासीर बन जाता है.
4. तन मन रखें ढीला.
शौच करते समय शरीर को ढीला रखना चाहिए. मन में भी फालतू व्यर्थ संकल्प नहीं चलने चाहिए. किसी प्रकार का तनाव नहीं रखना चाहिए, चाहे वो शरीरीक हो या मानसिक.
5. नशीले पदार्थों का सेवन ना करें.
कई बार लोगों के मन में धारणा बन जाती है के बिना बीडी या सिगरेट पिए शौच नहीं उतरेगा, ऐसा मानना सर्वदा गलत है. इनके उपयोग से कब्ज की शिकायत बढती है.
6. रखें दांतों को दबाकर.
शौच जाते समय अगर व्यक्ति अपने ऊपर नीचे के दांतों को दबाकर रखता है तो उसके दांत आजीवन स्वस्थ बने रहते है.
7. शौच का स्थान साफ़ सुथरा.
शौच जाने का स्थान हवादार होना चाहिए, साफ़ हवा ज़रूर होनी चाहिए, शौच जाने में साफ़ हवा का बहुत बड़ा योगदान है. जो लोग खुले में शौच करते हैं उनको शौच एक दम बिना किसी रुकावट के आ जाता है. हम ऐसा नहीं कह रहे के अभी सब लोग खुले में जाएँ. मगर जहाँ भी जाए वो स्थान साफ़ सुथरा और हवादार हो, जिस से साफ़ हवा फेफड़ों में जाए और मल त्याग आसानी से हो जाए. गंदे बदबूदार स्थान पर मल त्याग आसानी से नहीं होता.
I believe in ayurveda health care