– इन दिनों ताज़े भुट्टे बाज़ार में आ रहे है| नर्म भुट्टों को भूनकर घी या निम्बू-नमक लगाकर खाने का मज़ा ही कुछ और है| इससे दांत और जबड़े मज़बूत होते है|बच्चों को अवश्य देना चाहिए|
– जब भी भुने हुये भुट्टे खायें तो पहले दानो को खाकर बचे हिस्से को फेकें नही बल्कि उसे बीच से दो टुकडो मे तोड़ लें और फिर अंदर वाले भाग को सूंघे। इससे दाने जल्दी से पच जाते हैं। इन्हें गाय को खिला दें|
– कुछ टुकडो को जलाकर राख जमा कर लें और आवश्यकतानुसार श्वांस रोगों मे प्रयोग करें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लीजिए। हर रोज कम से कम चार बार एक चौथाई चम्मच हल्का गरम पानी के साथ फांक लीजिए। खांसी समाप्त हो जाती है। इससे विशेषकर कुक्कुर खाँसी मे बड़ी राहत मिलती है।
– भुट्टे थोड़े कड़े हो तो इसके दानों को कद्दूकस कर उसका उपमा की तरह स्वादिष्ट व्यंजन बनता है या उसमे थोड़ा सा बेसन डाल कर गरमा गर्म पकौड़ियाँ बन जाती है|
– किसी को उबला भुट्टा पसंद है , किसी को उसकी करी. ताज़े भुट्टों को कद्दूकस कर सूप में मिलाएं तो अलग ही स्वाद आता है|
– भुट्टे से मीठा हलवा भी बनता है|
– आयुर्वेद के अनुसार भुट्टा तृप्तिदायक, वातकारक, कफ, पित्तनाशक, मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है| इसकी खासियत यह है कि पकाने के बाद इसकी पौष्टिकता बढ जाती है।
– पके हुए भुट्टे में पाया जाने वाला कैरोटीनायड विटामिन-ए का अच्छा स्रोत होता है।
– भुट्टे को पकाने के बाद उसके 50 प्रतिशत एंटी-ऑक्सीअडेंट्स बढ़ जाते हैं। ये बढती उम्र को रोकता है और कैंसर से लड़ने में मदद करता है|पके हुए भुट्टे में फेरूलिक एसिड होता है जो कि कैंसर जैसी बीमारी में लड़ने में बहुत मददगार होता है।
– इसके अलावा भुट्टे में मिनरल्स और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।
– भुट्टे को एक बेहतरीन कोलेस्ट्रॉल फाइटर माना जाता है, जो दिल के मरीजों के लिए बहुत अच्छा है।
– बच्चों के विकास के लिए भुट्टा बहुत फायदेमंद माना जाता है। ताजे दूधिया (जो कि पूरी तरह से पका न हो) मक्का के दाने पीसकर एक खाली शीशी में भरकर उसे धूप में रखिए। जब उसका दूध सूख कर उड़ जाए और शीशी में केवल तेल रह जाए तो उसे छान लीजिए। इस तेल को बच्चों के पैरों में मालिश कीजिए। इससे बच्चों का पैर ज्यादा मजबूत होगा और बच्चा जल्दी चलने लगेगा।
– इस तेल को पीने से शरीर शक्तिशाली होता है। हर रोज एक चम्मच तेल को चीनी के बने शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
– ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन व गुर्दों की कमजोरी समाप्त हो जाती है।
– टीबी के मरीजों के लिए मक्का बहुत फायदेमंद है। टीबी के मरीजों को या जिन्हें टीबी होने की आशंका हो हर रोज मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे टीबी के इलाज में फायदा होगा।
– मक्के के बाल (सिल्क) का उपयोग पथरी रोगों की चिकित्सा मे होता है। पथरी से बचाव के लिये रात भर सिल्क को पानी मे भिगोकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार मे सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढ़े का प्रयोग होता है।
– यदि गेहूँ के आटे के स्थान पर मक्के के आटे का प्रयोग करें तो यह लीवर के लिये अधिक लाभकारी है।
– यह प्रचूर मात्रा में रेशे से भरा हुआ है इसपलिये इसे खाने से पेट का डायजेशन अच्छा रहता है। इससे कब्ज, बवासीर और पेट के कैंसर के होने की संभावना दूर होती है।
– भुट्टे के पीले दानों में बहुत सारा मैगनीशियम, आयरन, कॉपर और फॉस्फोचरस पाया जाता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।
– स्किैन रैश और खुजली के लिये भी भुट्टे का स्टािर्च प्रयोग किया जाता है जिससे स्किन बहुत कोमल बन जाती है।
– एनीमिया को दूर करने के लिये भुट्टा खाना चाहिये क्यों कि इसमें विटामिन बी और फोलिक एसिड होता है ।
– भुट्टा दिल की बीमारी को भी दूर करने में सहायक है क्योंोकि इसमें विटामिन सी, कैरोटिनॉइड और बायोफ्लेविनॉइड पाया जाता है। यह कोलेस्ट्रॉील लेवल को बढने से बचाता है और शरीर में खून के फ्लो को भी बढाता है।
– इसका सेवन प्रेगनेंसी में भी बहुत लाभदायक होता है इसलिये गर्भवती महिलाओं को इसे अपने आहार में जरुर शामिल करना चाहिये। इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जिसकी कमी से होने वाला बच्चाओ अंडरवेट हो सकता है और कई अन्य बीमारियों से पीडि़त भी।
Agar only ayurved ke tips ki book ho to send me plz
बहुत अच्छी जानकारी देने के लिये धन्यवाद।