गेंहू से कीजिये अनेक रोगों का उपचार – Uses of Wheat in various disease.
गेंहू का उपयोग अक्सर हम सिर्फ घर में रोटी बनाने के लिए ही करते हैं. मगर आज हम आपको बता रहें है के घर में पड़ी गेंहू आपको अनेक बीमारियों से बचा सकती है. आइये जानते हैं के गेंहू के क्या क्या फायदे हैं.
1. पेशाब के साथ वीर्य आना (मूत्राघात):
100 ग्राम गेहूं को रात के समय में पानी में भिगों दें तथा सुबह के समय इसे पीसकर इसी पानी में मिलाकर लस्सी बना लें तथा इसमें स्वाद के लिए चीनी मिला दें। इसके बाद इसका सेवन करें और इस प्रकार के 7 दिन तक उपचार करने से पेशाब के साथ वीर्य रुक जाता है।
2. चोट के दर्द:
• गेहूं की राख, घी और गुड़ इन तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह-शाम दिन में 2 बार खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है।
• हड्डी टूटना, चोट, मोच लगने पर गुड़ में बनाया हुआ गेहूं के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है।
• 2 चम्मच गेहूं की राख में गु़ड़ और घी मिलाकर रोज़ सुबह-शाम चाटें।
3. दस्त तथा पेचिश:
सौंफ को पानी में पीसकर, पानी में मिलाकर छान लें तथा फिर इस पानी में गेहूं का आटा गूंथकर रोटी बना लें। इस रोटी को खाने से दस्त और पेचिश ठीक हो जाता है।
4. सूजन तथा दर्द:
• गेहूं को पानी में उबालकर इसे छान लें फिर इस पानी से सूजन वाली जगह को धोएं इससे सूजन कम हो जाती है।
• गेंहू की रोटी एक ओर सेंक लें तथा एक ओर कच्ची रहने दें फिर रोटी की कच्ची भाग की तरफ तिल का तेल लगाकर सूजन वाले भाग पर बांध दें। इससे सूजन तथा दर्द दूर हो जाएगा।
5. हड्डी टूटना (फ्रैक्चर):
• गुड़ से बने गेहूं का हलुवा खाएं। इससे हड्डी के टूटने का दर्द, चोट और मोच में लाभ मिलता है तथा हडि्डयां जल्दी जुड़ती है।
• 10 ग्राम गेहूं की राख 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाटने से टूटी हुई हडि्डयों की अवस्था में लाभ मिलता है। यह प्रयोग कमर और जोड़ों के दर्द में भी लाभकारी है।
6. पागल कुत्ते के काटने पर पहचान:
गेहूं के आटे को पानी में गूंथकर उसकी कच्ची रोटी बनाकर कुत्ते के काटे स्थान पर रख लगा दें। थोड़ी देर बाद उसे छुड़ाकर किसी अन्य स्वस्थ कुत्ते के पास खाने के लिए डाल दें। यदि वह स्वस्थ कुत्ता उस आटे को नहीं खाए तो समझ लेना चाहिए कि किसी पागल कुत्ते ने काटा हैं। यदि खा ले तो समझना चाहिए कि जिस कुत्ते ने काटा है, वह पागल नहीं है।
7. पेशाब में जलन होना:
10 ग्राम गेहूं को 250 मिलीलीटर पानी में रात के समय में भिगोने के लिए रख दें। सुबह के समय में इस पानी को छानकर उस पानी में 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।
8. गेंहू से खुजली का इलाज.
गेहूं के आटे में पानी मिलाकर इसका लेप बना लें फिर इस लेप को खुजली के स्थान पर तथा अन्य चर्म रोग पर लगाने से लाभ मिलता है।
9. गेंहू से खांसी का इलाज.
20 ग्राम गेहूं, 10 ग्राम सेंधानमक को 250 मिलीलीटर पानी में घोलकर गर्म करें जब पानी तिहाई शेष रह जाए तो इसे छानकर पी लें। इस प्रकार से 7 दिनों तक उपचार करने से खांसी ठीक हो जाती है।
10. चर्मरोग (त्वचा की बीमारी):
विशेषकर- खर्रा, दुष्ट अकौता (छाजन) तथा दाद की तरह कठिन एवं गुप्त और सूखे रोगों में गेहूं को गर्म तवे पर खूब अच्छी तरह से गर्म कर लें और जब वह बिल्कुल राख की तरह हो जाए तो इसे खूब अच्छी तरह पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर पीड़ित स्थान पर लगाएं इससे लाभ मिलेगा। कई वर्षों के असाध्य एवं पुराने चर्म रोग इससे ठीक हो जाते हैं।
गेंहू के अधिक से अधिक और पूरे फायदे लेने के लिए ये सुनिश्चित कर लें के गेंहू रासायनिक कीटनाशकों के प्रभाव से मुक्त हो. ऐसे में आजकल अनेक किसान आर्गेनिक खेती की और अग्रसर हैं. आप उनसे संपर्क करें.
11. गेंहू की घास अनेक कष्टसाध्य रोगों में उपयोगी.
गेंहू की घास जिसको गेंहू के जवारे भी कहा जाता है, ये अनेक ऐसे कष्टसाध्य रोगों में लाभदायक हैं जिनको लोग लाइलाज कहते हैं. इसको वैज्ञानिक ग्रीन ब्लड भी कहते हैं. इसकी सम्पूर्ण और विस्तृत जानकारी के लिए आप हमारी ये पोस्ट यहाँ क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.