छोटी सी ( राई ) के बड़े-बड़े फायदे –
आयुर्वेदिक किताबों के अनुसार आप राई का प्रयोग कर कफ-पित्त दोष, रक्त विकार को ठीक कर सकते हैं। राई खुजली, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़े को खत्म करता है। राई के पत्तों की सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होती है। इससे भी कई रोग ठीक होते हैं। राई का तेल सिर दर्द, कान के रोग, खुजली, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी में फायदेमंद होता है। यह अपच, भूख की कमी, बवासीर और गठिया में भी लाभदायक होता है। राई मूत्र रोग में भी उपयोग होता है। इतना ही नहीं, काली राई त्रिदोष को ठीक करने वाला और बवासीर में फायदेमंद होता है। यह सांसों की बीमारी, अपच, दर्द, गठिया आदि में भी लाभदायक होता है। आइए आपको राई के उपयोग से होने वाले एक-एक फायदे के बारे में बताते हैं।
राई के फायदे
========
1. जोड़ों पर दर्द और सूजन : आमवात या सुजाक (गोनोरिया) के कारण जोड़ों पर दर्द और सूजन हो तथा नये अर्धांगवात से सुन्न हुए अंग पर राई के लेप में कपूर मिलाकर मालिश करने से बहुत लाभ होता है।
2. गांठ : शरीर के किसी भी अंग में यदि गांठ हो तो राई और थोड़ी सी कालीमिर्च के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से गांठ को बढ़ने से रोका जा सकता है। गांठ को पकाने के लिए, गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीसकर, पानी में मिलाकर, कपड़े की पट्टी पर लेप कर चिपका दें। इससे गांठ पककर बिखर जायेगी।
3. कर्णमूलशोथ (कान की सूजन) : सन्निपात बुखार में या कान में पस होने पर कान की जड़ में सूजन आ जाती है, इसमें राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड तेल में मिलाकर लेपकर देने से खून बिखर जाता है।
4. आंखों की पलकों पर फुंसी : आंख की पलकों पर फुन्सी होने पर राई के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करने से जल्द राहत मिलती है।
5. नाक में फोड़ा होना (पीनस रोग) : 10 ग्राम राई का आटा, कपूर डेढ़ ग्राम और घी 100 ग्राम का मलहम बनाकर लगाने से, छींके आकर पीप, कफ (बलगम) आदि निकलकर जख्म ठीक हो जाते हैं। कपूर और कत्थे को घी में मिलाकर मलहम बनाकर जख्म पर लगाने से जख्म भर जाता है।
6. सिर का दर्द : माथे पर राई का लेप लगाने से सिर के दर्द में राहत मिलती है।
7. बाल गिरना : राई के हिम या फांट से सिर धोने से बाल गिरना बंद हो जाते हैं। सिर में फोड़े-फुन्सी, जुएं और खुजली आदि रोग खत्म हो जाते हैं।
8. हृदयरोग : हृदय (दिल) की शिथिलता में हृदय (दिल) में कम्पन या वेदना हो, बेचैनी हो, कमजोरी महसूस होती है, तब हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है।
9. सायटिका दर्द : वेदना (दर्द) के स्थान पर राई का लेप लगाने से सायटिका के दर्द में लाभ होता है।
10. अर्श (बवासीर) : बवासीर के मस्सों में खुजली लगती है। देखने में मोटे और छूने में दर्द न होता हो, छूने पर अच्छा लगता हो, राई का तेल लगाने से ऐसे बवासीर के मस्से मुरझा जाते हैं।
11. पेट दर्द और अपच : राई का 1 से 2 ग्राम चूर्ण चीनी में मिलाकर फांक लें, ऊपर से आधा कप पानी पी लें।
12. अफारा : 2 ग्राम राई में चीनी मिलाकर फांक लें तथा ऊपर से लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम चूने को आधा कप पानी में मिलाकर पिलाने से अफारा (पेट की गैस) को दूर किया जा सकता है।
13. मासिक धर्म की रुकावट : मासिक-धर्म की रुकावट में, मासिक-धर्म में दर्द होता हैं या स्राव कम होता हो, तब गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर, स्त्री को कमर तक डूबे पानी में बिठाने से मासिक-धर्म की रुकावट में लाभ होता है।
14. कफ प्रकोप : खांसी में कफ (बलगम) गाढ़ा हो जाने पर बलगम आसानी से न निकलता हो तो, लगभग आधा ग्राम राई, लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देने से कफ (बलगम) पतला होकर बलगम आसानी से बाहर निकलने लगता है।
15. कांटा : त्वचा के अन्दर कांटे या धातु के कण घुस जाये तो राई के आटे में घी और शहद मिलाकर लेप करने से कांटा ऊपर आ जाता है, और दिखाई देने लगता है।