थकान और कमजोरी दूर करने के लिए अपनाएं ये देशी नुस्ख़े –
लगातार कंप्यूटर पर बैठे रहना, खानपान के समय में अनियमितता और तनाव भरा जीवन मानसिक और शारीरिक तौर से थका देता है। इस सप्ताह आपको कुछ ऐसे नुस्खे बताने जा रहा हूं जिनका इस्तेमाल कर आप भी शरीर की थकान और तनाव को दूर तो कर ही सकते हैं साथ ही नियमित जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं।
- पीपल पीपल के पेड़ से निकलने वाली गोंद को शारीरिक ऊर्जा के लिए उत्तम माना जाता है। मिश्री या शक्कर के साथ पीपल की करीब एक ग्राम गोंद मात्रा लेने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और यह थकान मिटाने के लिए एक कारगर नुस्खा माना जाता है। प्रतिदिन इसका सेवन करते रहने से बुजुर्गों की सेहत भी बनी रहती है
- लटजीरा लटजीरा के संपूर्ण पौधे के रस (4 मिली प्रतिदिन) का सेवन तनाव, थकान और चिड़चिड़ापन दूर करता है। शरीर में अक्सर होने वाली थकान, ज्यादा पसीना आना और कमजोरी दूर करने के लिए आदिवासी टमाटर के साथ फराशबीन को उबालकर सूप तैयार करते हैं और दिन में दो बार चार दिनों तक देते हैं, माना जाता है कि यह सूप शक्तिवर्धक होता है।
- कद्दू के बीज ग्रामीण इलाकों में जी मचलना, थकान होना या चिंतित और तनावग्रस्त व्यक्ति को कद्दू के बीजों को शक्कर के साथ मिलाकर खिलाया जाता है। कद्दू के करीब 5 ग्राम बीज और इतनी ही मात्रा में मिश्री या शक्कर की फांकी मारी जाए तो बेहद फायदा होता है। ये मानसिक तनाव भी दूर करते हैं।
- आलू बुखारे के सेवन से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं, कब्जियत दूर होती है और पेट की बेहतर सफाई होती है। इन फलों में पाए जाने वाले फ़ाइबर्स और एंटी ऑक्सिडेंट्स की वजह से पाचन क्रिया ठीक तरह से होती है और शरीर की कोशिकाओं में मेटाबोलिज्म की क्रिया सुचारू क्रम में होती है। इन फलों में सिट्रिक एसिड पाया जाता है जो कि थकान दूर करने में सहायक होता है और इसके सेवन से लीवर यानि यकृत तथा आंतो की क्रियाविधियां सुचारू रहती हैं अत: आलू-बुखारा खाने से शरीर में जमा अतिरिक्त वसा या ज्यादा वजन कम करने में मदद होती है और व्यक्ति शारीरिक तौर पर बेहद स्वस्थ महसूस करता है।
- दूब घास आदिवासियों के अनुसार दूब घास/ दूर्वा का प्रतिदिन सेवन शारीरिक स्फूर्ति प्रदान करता है और शरीर को थकान महसूस नहीं होती है। करीब 10 ग्राम ताजी दूर्वा को एकत्र कर साफ धो लिया जाए और इसे एक गिलास पानी के साथ मिलाकर ग्राईंड कर लिया जाए और पी लिया जाए, यह शरीर में ताजगी का संचार लाने में मददगार होती है। वैसे आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी दूबघास एक शक्तिवर्द्धक औषधि है क्योंकि इसमें ग्लाइकोसाइड, अल्केलाइड, विटामिन ए तथा विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है।
- तुलसी पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।
- शहद और दूध शहद को दूध के साथ मिलाकर लिया जाए तो हृदय, दिमाग और पेट के लिये फ़ायदेमंद होता है। नींबू पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से ये शरीर को ऊर्जा और ठंडक प्रदान करता है। यदि शहद का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो ये शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने में काफ़ी मदद करता है साथ ही शारीरिक ताकत को बनाए रखकर थकान दूर करता है।
- कच्चे आलू को कुचलकर एक चम्मच रस तैयार किया जाए और इसे दिन में कम से कम चार बार लिया जाए। आलू का रस रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।
- तरबूज के छिलके गुजरात के आदिवासी तरबूज के छिलकों की आंतरिक सतह को काटकर आदिवासी इनका मुरब्बा तैयार करते हैं, माना जाता है कि यह बेहद शक्तिवर्धक होता है। कुछ इलाकों में लोग इसके छिलकों को बारीक काटकर सुखा लेते हैं और चूर्ण तैयार कर लिया जाता है। इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेने से शरीर में ताकत का संचार होता है और कई तरह की व्याधियों में राहत भी मिलती है, शतावरी की जड़ों मे सेपोनिन्स और डायोसजेनिन जैसे महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते है। इसके पत्तों का सत्व कैंसर में उपयोगी है।