आधुनिक प्रयोगशालों को मात देते संस्कार – भोजन को अग्नि समर्पित करने का गूढ़ रहस्य
आपने अपने जीवन काल में किसी यज्ञ इत्यादि में ज़रूर देखा होगा के भोजन बनने के बाद खाने से पहले इसे एक बार कुछ अंश अग्नि पर चढ़ाया जाता है, ऐसा क्यों?
भारतीय वैदिक संस्कारों में बहुत गहन विज्ञान छिपा हुआ है, आज विज्ञान भी इसके आगे नतमस्तक है, मगर कुछ समय पहले तक इसी ज्ञान को बाहर के लोग और कुछ ज्यादा पढ़े लिखे हुए लोग तिरस्कृत दृष्टि और पिछड़ेपन के नज़रिए से देखते थे. मगर आज वही लोग इसके गुहय ज्ञान को समझने के लिए, भारतीय पौराणिक ग्रंथों का नियमित अध्ययन कर रहे हैं.
हमारे पूर्वजों ने जो भी हमको बताया, चाहे वो किसी कर्म काण्ड की भाँती ही बताया हो उसमे कुछ ना कुछ राज़ छिपा हुआ था, आज वो राज़ हमको मालूम ना होने के कारण हम उनको पोंगा पंडित बताते हैं, जबकि ये सभी कर्मकांड कहीं ना कहीं हमारे फायदे के लिए ही बने हैं, भले ही वो सावन मास में भोलेनाथ पर दूध चढाने की बात हो या गाय की सेवा करने की बात हो, हर बात में गहन विज्ञान छिपा हुआ है.
उपरोक्त बातों से आपको समझ में आया होगा के भारतीय ज्ञान बहुत गहन है, इसको अच्छे से समझने की ज़रूरत है. आज इसी कड़ी में हम आपको बता रहें हैं के भारतीय संस्कृति में भोजन को ग्रहण करने से पहेल अग्नि पर चढाने की परंपरा कैसे बनी.
क्या हो अगर आप जो भोजन कर रहे हो उसमे ज़हर मिला हो, तो आप कैसे जांचेंगे के ये विषाक्त हो गया है, और इसको खाने से स्वास्थय की हानि हो सकती है, या जान तक जा सकती है. अगर किसी व्यक्ति को रख भी लेंगे खाना चेक करने के लिए तो वो भी बेचारा एक ना एक दिन दुनिया से प्रस्थान कर जायेगा. ऐसे में क्या ऐसी कोई तरकीब हो सकती है जिस से बिना किसी नुक्सान के खाने को जांचा जाए के इसमें ज़हर है या नहीं. बस यही एक छोटी सी तरकीब थी भोजन को अग्नि को समर्पित करने की, खैर आज कल ये सिर्फ यज्ञ हवन या धार्मिक अनुष्ठानो में ही देखने को मिलती है, मगर मैं सोचता हूँ कि शायद उनको भी नहीं पता होगा के ये किस लिए कर रहे हैं या इस से कैसे पता करें के जो भोजन हज़ारों लोग करेंगे, वो खाने योग्य है या नहीं ऐसी जांच करने की विधि जो उनको जाने अनजाने कर्मकांड के रूप में मिली है वो कितनी फायदे मंद है.
जब साफ़ अंगारों पर थोडा सा भोजन रखा जाए और उसमे अगर किसी प्रकार का विष होगा तो आग चट चट करने लगेगी और अधिक विष होगा तो उस अंगारे से मोर की गर्दन के जैसा नीला नीला प्रकाश निकलेगा, और यह प्रकाश छिन्न भिन्न होगा और धुआं बड़े ज़ोर से उठेगा और जल्दी शांत नहीं होगा. और इसका धुआं सूंघने भर से हृदय सर और आँखों में दर्द होने लगेगा. ऐसे में ऐसे भोजन को छोड़ देना उचित होगा, और इसके विपरीत शुद्ध भोजन को अग्नि में डालने से ऐसा कोई विकार नज़र नहीं आएगा.
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नमस्कार.