गोंद के फायदे, बबूल की गोंद, बबूल की गोंद के फायदे, BABOOL KI GOND, GOND, BABUL KI GOND KE FAYDE
नार्मल भाषा अर्थात बोलचाल की भाषा में गोंद बबूल की गोंद को कहते हैं और पलाश के गोंद को कमरकस भी कहा जाता है, इसी तरह से नीम का गोंद भी इस्तेमाल में आता है. गुग्गुल, लोबान इत्यादि गोंद भी आयुर्वेद का अभिन्न हिस्सा हैं. कमरकस या पलाश के गोंद का इस्तेमाल ज़ख्म ठीक करने, दस्त बंद करने और मर्दाना कमज़ोरी या वीर्य विकार को दूर करने के लिए भी किया जाता है, नीम का गोंद खून की सफ़ाई करता है और ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है, नीम के गोंद के इस्तेमाल से कील मुहांसे और चर्म रोगों में फ़ायदा होता है.
बबूल का गोंद भी बहुत प्रचलित है और इसका कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है, इसे कई नामों से जाना जाता है इसे बबूल गोंद, गोंद कीकर, अंग्रेज़ी में गम अकेशिया( Gum Acacia) कहा जाता है, इसे गम अराबिक भी कहते हैं जबकि नार्मल बोलचाल में सिर्फ़ गोंद कहा जाता है।
बबूल की गोंद का प्रयोग करने से छाती मुलायम होती है। यह मेदा (आमाशय) को शक्तिशाली बनाता है तथा आंतों को भी मजबूत बनाता है। यह सीने के दर्द को समाप्त करता है, तथा गले की आवाज को साफ करता है। इसका प्रयोग फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इससे शरीर में धातु की पुष्टि होती है तथा यह वीर्य बढ़ता है। इसके छोटे-छोटे टुकड़े घी, खोवा और चीनी के साथ भूनकर खाने से शरीर शक्तिशाली हो जाता है। इसके इस्तेमाल से चुस्ती फुर्ती और ताज़गी आती है, गर्मियों में इसके इस्तेमाल से लू लगने से बच सकते हैं
पुरुषों के लिए बबूल गोंद बहुत ही फायदेमंद दवा है, इसके इस्तेमाल से पौरुष बढ़ता है, बबूल का गोंद गर्मी के मौसम में एकत्रित किया जाता है। इसके तने में कहीं पर भी काट देने पर जो सफेद रंग का पदार्थ निकलता है। उसी को गोंद कहा जाता है। यह बाज़ार में भी किसी भी दुकान पर सहजता से मिल जाता है। सामान्यतः गोंद का सेवन 5 से 10 ग्राम तक किया जा सकता है। और अगर कहीं पर इसका कोई हानिकारक प्रभाव दिखे तो इसको शांत करने के लिए पलाश की गोंद का सेवन किया जाता है.
तो आइये आज आपको इसी गोंद के कुछ और चमत्कारी फायदे बताते हैं.
आइये जाने बबूल के गोंद के फ़ायदे :
- कमर दर्द में बबूल की छाल, फली और गोंद बराबर मिलाकर पीस लें, एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
- सिर दर्द में पानी में बबूल का गोंद घिसकर सिर पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
- मधुमेह में ग्राम बबूल के गोंद का चूर्ण पानी के साथ या गाय के दूध के साथ दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ पहुंचता है।
- पुरुष और स्त्री दोनो की कमज़ोरी में बबूल के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों की ताक़त बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।
- खांसी में बबूल का गोंद मुंह में रखकर चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।
- वैवाहिक जीवन में बबूल के गोंद को घी में भूनकर उसका पकवान बनाकर सेवन करने से मनुष्य को वैवाहिक जीवन का परम आनंद मिलता है।
- जल जाने पर बबूल की गोंद को पानी में घोलकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन दूर हो जाती है।
- मासिक-धर्म के विकार होने पर 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। इसमें से 10 ग्राम की मात्रा में गोंद, मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से मासिक धर्म की पीड़ा (दर्द) दूर हो जाती है और मासिक धर्म नियमित रूप से समय से आने लगता है।
- अतिसार या दस्त में बबूल की गोंद को 3 ग्राम से लेकर 6 की मात्रा में दिन में सुबह और शाम पीने से 1 दिन में ही अतिसार में लाभ होने लगता है।
- पेट और आँतो के घाव में बबूल की गोंद पानी में घोलकर पीने से आमाशय (पेट) और आंतों के घाव तथा पीड़ा मिट जाती है।
- शक्ति बढाने के लिए बबूल के गोंद को घी के साथ तलकर उसमें दुगुनी चीनी मिला देते हैं इसे रोजाना 20 ग्राम की मात्रा में लेने से शक्ति में वृद्धि होती है।
- बवासीर में बबूल का गोंद, कहरवा समई और गेरु 10-10 ग्राम लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसके 1 से 2 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध की छाछ (मट्ठा) में मिलाकर 2 से 3 सप्ताह तक पीयें। यह बादी बवासीर और खूनी बवासीर दोनों रोगों में लाभकारी होता है।
वैसे तो ये गोंद बहुत आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाती है, मगर फिर भी अगर आपको ये ना मिले तो आप इसको जितेंदर जी से 7073796173 पर फ़ोन पर मंगवा सकते हैं. ध्यान रहे के जितेंदर जी ये पंसारी की कच्ची औषधियां बेचते हैं वो कोई वैद नहीं हैं. उनके पास आपको बबूल की फली भी मिल जाएगी. जो घुटनों और जिनके धातु गिरती है या शीघ्र पतन की समस्या हो उनके लिए बहुत उपयोगी है.
[ वीर्य गाढ़ा और धातुपुष्ट कर के स्तम्भन शक्ति बढाने वाला बबूल.]
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