Friday , 15 November 2024
Home » आयुर्वेद » गोंद » नीम का गोंद, बबूल का गोंद, गूगल का गोंद, पलाश का गोंद के औषधीय गुण !!

नीम का गोंद, बबूल का गोंद, गूगल का गोंद, पलाश का गोंद के औषधीय गुण !!

गोंद के औषधीय गुण – gond ke fayde, babool ka gond, palash ka gond, guggul ka gond, guggul, neem ki gond,

किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है। यह शीतल और पौष्टिक होता है। उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है। आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है।

कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है।

नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है। इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है। इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है।

पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है। पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने से बल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है। यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।

[ ये भी पढ़िए सफ़ेद दाग का इलाज Safed daag ka ilaj ]

आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है। आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।

सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमन करता है। अतिसार में मोचरस चूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसका चूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है।

बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।

हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है – एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमा जड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभग एक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता है कत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती

[ ये भी पढ़िए bawasir ka ilaj बवासीर का इलाज ]

गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसके तने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है। यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है।

प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है, इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।

15 दिन में रुका किसी का डायलिसिस तो किसी का हुआ क्रिएटिनिन नार्मल किसी का टला ट्रांसप्लांट

ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है। ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।

शल्लकी से निकला गोंद राल भारतीय फ्रैंकिनस (indian frankincense) या लोबान, कुंदर, मकुंद कहलाता है जिसे औषधि के रूप में सदियों से आयुर्वेद चिकित्सा में जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।

[ ये भी पढ़िए कैंसर का इलाज Cancer ka ilaj ]

इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है।

babool ka gond, palash ka gond, guggul ka gond, guggul, neem ki gond,

2 comments

  1. Sir mainu balgm be bohat problam ha ji maine davae bohat kha ke dakh layi par koi fida ne hoea koe desi nuska daso jis nal meri yeh problam thik ho jave balgm andar girda h.gale vich balgam bahut rehndi h.

  2. इन सब अलग अलग पेडो़ के गोंद कहां मिलेंगे ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status