nirgundi ke fayde, nirgundi benefit in hindi
From Sleep disk to Cervical, Arthritis, Migraine,treatment by five leaved chaste
नमस्कार मित्रो ओनली आयुर्वेद में आपका स्वागत हैFrom Sleep disk to Cervical, Arthritis, Migraine,treatment by five leaved chaste मित्रो आजकल स्लिपडिस्क,सर्वाइकल, गठिया, माइग्रेन आदि रोगों ने हमारे समाज को बुरी तरह से प्रभावित किया हुवा है। इन रोगों के मरीज आपको हर एक गली मोहले में मिल जाएँगे।लेकिन अगर आपकी जान पहचान में अगर कोई एसा रोगी है जिनको निम्न में से कोई भी रोग है तो आप को घबराने की जरुरत नही है क्युकी आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जो भयंकर से भयंकर स्लिपडिस्क से लेकर सर्वाइकल, गठिया, माइग्रेन तक रोगों का रामबाण उपाय है। nirgundi ke fayde
दरअसल हम बात कर रहे है निर्गुन्डी की, यह बहुत ही अमृतदाई पौधा है। निर्गुन्डी एक प्रतिजीव (एंटीबायोटिक) जड़ी है। यह समस्त विकारों और दर्द, कई प्रकार की चोट, साधारण बुखार और मलेरिया के उपचार में काम आती है। nirgundi ke fayde, nirgundi benefit in hindi
निर्गुन्डी को लोग अपने घर पर भी लगा सकते है। निर्गुन्डी को हिन्दी में सम्हालू और मेउड़ी, संस्कृत में सिनुआर और निर्गुण्डी, बंगाली में निशिन्दा, मराठी में निगड और निर्गण्ड, तैलगू में तेल्लागाविली, तमिल में नौची, गुजराती में नगड़ और नगोड़, मलयलम में इन्द्राणी, अंग्रेजी में फाईव लीवड चेस्ट (FIVE LEAVED CHASTE) के नामो से जाना जाता है। इसके विभिन्न भाषाओँ में नाम ऊपर फोटो में बताएं हैं.
निर्गुन्डी तासीर गर्म होती है।From Sleep disk to Cervical, Arthritis, Migraine,treatment by five leaved chaste निर्गुण्डी कफवात को शान्त करती है। यह दर्द को दूर करती है और बुद्धि को बढ़ाती है। सूजन , घाव , बालों के रोग और हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करती है। पाचनशक्तिवर्द्धक, आम पाचन, यकृतउत्तेजक, कफ-खांसीनाशक, मूत्रवर्द्धक और गर्म होने के कारण माहवारी साफ लाती है। इसका उपयोग कोढ़, खुजली , बुखार , कान से मवाद आना , सिर में दर्द, लिं*ग की कमजोरी, साइटिका, अजीर्ण, मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना), कमजोरी, आंखों की बीमारी तथा स्त्री के स्तनों में दूध की वृद्धि के लिए किया जाता है। nirgundi ke fayde
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निर्गुण्डी मांसपेशियों को आराम, दर्द से राहत, मच्छर को दूर करने वाली, चिंता और अस्थमा को दूर करने वाली एक बहुत अच्छी आयुर्वेद जड़ी बूटी है। इस पेड़ के विभिन्न हिस्सों को व्यापक रूप से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक प्राकृतिक उपचार के रूप में आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है। nirgundi ke fayde, nirgundi ke upyog
हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले निर्गुण्डी को श्रेष्ठ दर्द निवारक दवाओं में से एक माना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम वाइटेक्स र्निगुण्डी है। इसकी खासियत है कि इसकी पत्तियां पांच पत्तों के समूह (five-leaved chaste tree) में लगी होती है। इसका प्रयोग हम दोनों बाहरी और आंतरिक रूप में कर सकते हैं। इसकी तासीर गर्म होती है। यह पौधा मध्य एशिया और भूमध्य सागर का एक निवासी है।
निर्गुन्डी (FIVE LEAVED CHASTE) के चमत्कारी फायदे : nirgundi ke fayde, nirgundi benefit in hindi
दर्द और सूजन मे निर्गुन्डी का काम.
निर्गुन्डी में Prostaglandin के बनने की प्रक्रिया को रोक देता है, यही वो केमिकल हैं जो दर्द के लिए जिम्मेवार है.
साइटिका स्लिपडिस्क में निर्गुन्डी का उपयोग.
साइटिका स्लिपडिस्क और मांसपेशियों को झटका लगने के कारण सूजन हो तो निर्गुण्डी की छाल का 5 ग्राम चूर्ण या पत्तों के काढ़े को धीमी आग में पकाकर 20 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 3 बार देने से लाभ मिलता है। सबसे बड़ी बात क़ि स्लीपडिस्क की ये एकलौती दवा है। निर्गुन्डी अनेक बीमारियों में काम आती है। सर्वाइकल,स्लिपडिस्क, मांसपेशियों की सूजन में यह प्रयोग बेहद असरदार साबित हुवा है । nirgundi ke fayde, nirgundi ke upyog
माईग्रेन में निर्गुन्डी का उपयोग.
निर्गुण्डी के पत्ते लें और पानी के साथ पीस कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को माथे पर लगाएँ। इससे माइग्रेन में आराम मिलेगा. निर्गुण्डी के सूखे पत्तों का धूआं करें और उसको सूँघे, इससे आपको तत्काल राहत मिलेगी। इसके अलावा, इसके ताजे पत्तों के रस को हल्का सा गर्म करके 2-2 बूंद कान में डालने से माइग्रेन का दर्द खत्म हो जाता है। निर्गुण्डी का प्रयोग सारस्वतारिष्ट (Saraswatarishta) और मानसमित्रा वातकम (Manasamitra vatakam) जैसी आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है जो चिंता और अवसाद से लड़ने में मदद करती है। nirgundi ke fayde, nirgundi ke upyog
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बांझपन में निर्गुन्डी का उपयोग.
अध्ययनों से पता चलता है कि इस जड़ी बूटी के 200 मिलीग्राम विभिन्न बांझपन की समस्याओं से पीड़ित महिलाओं के द्वारा इस बाधा को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। बांझपन की समस्या से पीड़ित महिलाओं के द्वारा छह महीने के लिए इसके उपयोग से उनको सकारात्मक प्रभावों का अनुभव हुआ। 10 ग्राम निर्गुण्डी लेकर लगभग 100 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख दें। सुबह उसे उबालें जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे उतारकर छान लें। इसके बाद इसमें 10 ग्राम पिसा हुआ गोखरू मिलाकर मासिक-धर्म खत्म होने के बाद पहले दिन से लगभग एक सप्ताह तक सेवन करते रहें। इससे स्त्री गर्भधारण के योग्य हो जाती है।
घाव भरने के लिए निर्गुन्डी
अपने एंटीबैक्टीरियल और सूजन को कम करने वाले गुणों की वजह से निर्गुण्डी हर प्रकार की सूजन और घाव के लिए उपयोग की जाती है। निर्गुण्डी के पत्तों से बनाये हुए तेल को लगाने से पुराने से पुराना घाव भरने लगता है। निर्गुण्डी के पत्तों को पीसकर लेप बना लें। इस लेप को चोट या सूजन पर लेप करने से या चोट, सूजन वाले अंग पर इसकी पट्टी बांधने से दर्द में आराम मिलता है और घाव जल्दी ठीक हो जाता है। इसके अलावा, निर्गुण्डी के पत्तों को काढ़े बनाने के लिए उबाल लें। और अब इस काढ़े से प्रभावित क्षेत्र को धो लें। इसकी तीखी गन्ध के कारण निर्गुण्डी का तेल शरीर पर लगाने से मच्छर आपके पास नहीं आएँगे।
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निर्गुन्डी में सावधानी.
- निर्गुण्डी को अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द, जलन व किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- पित्त (गर्म) प्रकृति वाले को इसके सेवन से बचना चाहिए।
- बाहरी रूप से लंबे समय के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन नस्य (Nasya) चिकित्सा के लिए यह एक महीने से अधिक समय के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
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