Thursday , 28 March 2024
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जिन महिलाओं को गर्भ नहीं ठहरता, बार बार गर्भपात हो जाता है, सिस्ट हो, ल्युकोरिया इत्यादी का रामबाण

महिलाओं में प्रजनन तंत्र सम्बंधित बहुत सी समस्याए होती है। आज के लेख में हम ऐसी ही एक औषधि की चर्चा करने जा रहे है जो महिलाओंं में न केवल प्रजनन तंत्र की समस्याओ का समाधान करती है बल्कि जिन महिलाओं में बार बार गर्भपात होने का डर रहता हैं और जिनमे दूध का सत्राव कम होता है  उनमे भी काफी उपयोगी होती है।

आज Only Ayurved में Balbir Singh Shekhawat जी बता रहें हैं शतावरी नामक एक अति प्रभावशाली औषधि के बारे में. शतावरी का वैज्ञानिक नाम Asparagus Racemosus है और ये Liliaceae परिवार से सम्बंधित है इसे अनेको भाषाओ में अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे

भाषा सामान्य नाम
हिंदी शतावर (satawar) ,नागदौन या शतामूल
बंगाली शतमूली(Shatamuli)
मलयालम शतावाली (Shatawali)
मराठी शतावरी (Shatavari)
संस्कृत शतमूली (Shatmuli),टगर (Tagar)
तमिल शिमैश्दावारी (Shimaishdavari)
तेलुगु चल्लागाद्दा (Challagadda)

 

ये Herb लता रूप में पाया जाता है जो विशेष रूप से श्रीलंका और भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया  में पाया जाता है। इसको वाइल्ड एसपैरागस भी कहते हैं जो आम सब्ज़ियों से अलग होती है और जिसको खाया जाता है। शतावरी के कंद (tuber) के अनेक औषधीय गुण होते हैं।भारत में ये महाराष्ट्र के जंगलो में बहुत पाई जाती है।

Chemical Constitute of Shatavari – शतावरी का रासायनिक संगठन

शतावरी की जड़ों में मुख्य रूप से चार steriod Saponins पाए जाते है जिसमे  शतावारीन (shatavarin) I – IV पाए जाते है। मुख्य रूप से शतावारीन (shatavarin) I इसका बहुत महतवपूर्ण रसायन है इस हर्ब के फूल और फ़ल में फ्लेवनॉयड यौगिक पाए जाते है जैसे रूटीन (rutin) , क्वेरसेटीन (quercetin) और कैम्पफेरॉल (kaempferol) और इसकी पत्तियों में Diasgenin और क्वेरसेटीन (quercetin) पाया जाता है। इस प्रकार रासायनिक संघठन को देखते हुए ये पूरी हर्ब कई लाभदायक सक्रीय रसायनों का भंडार है जो शरीर के लिए काफी लाभदायक  है।

स्त्रियों के लिए शतावरी के उपयोग निम्नलिखित समस्याओ में किये जाते है।

  • Infertility – बाँझपन
  • Threatened miscarriage – गर्भपात का डर
  • Decreased libido (sex desire) – महिलाओं की सेक्स इच्छाओं की कमी
  • Leukorrhea (leucorrhoea) – सफ़ेद प्रदर
  • Low breast milk supply – दूध का कम निकलना
  • Menopause symptoms – रजोनिवर्ती के लक्ष्ण

How Shatavari works – शतावरी कैसे काम करती है.

Shatavari As Uterine Tonic – गर्भाशय को शक्ति प्रदान करने में

शतावरी गर्भाशय को पोषण प्रदान करती है, गर्भाशय में रक्त का संचरण बढाती है जिससे ovulation और पुरे प्रजनन तंत्र को शक्ति देती है। जिससे  Fertility बढ़ती हैऔर leucorrhoea जैसे रोग भी दूर हो जाते है।

बंद माहवारी को चालू करने के घरेलु उपाय Only Ayurved’s स्त्री संजीवनी

Shatavari in menstrual – मासिक धर्म में

शतावरी Diuretic यानि मूत्र को निकालती है जिससे माहवारी के दोरान सुजन कम होती है और जो अत्यधिक जल शरीर में संचित हो रखा है वो बाहर निकल जाता है जिससे माहवारी में आराम मिलता है।

Shatavari In Threatend Abortion – गर्भपात का डर

शतावरी में विशेष Uterine Blocking Activity पाई जाती है जो abortion (गर्भपात )के खतरे को कम करके  सुरक्षित dilevery करवाने में सक्षम है।

Shatavari as Galactogogue / महिलाओं में दूध वृद्धि

कई बार बच्चों को  जन्म देने के बाद महिलाओं में दूध निकलना कम हो जाता है। इसके कई कारण हो सकते है, जैसे हार्मोन्स का imbalance होना, तनाव, थकान या कई नकारात्मक emotions जो नए जन्मे बच्चे के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है शतावरी दूध पिलाने वाली माँ के स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाने में ये अहम् भूमिका अदा करती है। शतावरी महिलाओं के शरीर में prolactin हार्मोन की मात्रा को बढ़ा देती है prolactin हार्मोन की कमी होना ही कम दूध निकलने का मुख्य कारण है।

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Shatavari Relieves Postpartum (after childbirth) symptoms – डिलीवरी के बाद की समस्याओं में.

बच्चे के जन्म के बाद में महिलाओं में होने वाली समस्याओ जैसे अत्यधिक रक्त सत्राव होना, नींद न आना, दर्द होना, तनाव होना, कब्ज की सिकायत होना आदि समस्याओ को Postpartum (after childbirth) symptoms कहते है, इन सभी में शतावरी काफी उपयोगो है।

  • Inovulation सही होने से रक्तस्राव रुक जाता है।
  • बच्चे के जनम के बाद शतावरी गर्भाशय को अच्छी तरह साफ कर देती है।
  • शतावरी में पाया जाने वाला शतावारीन (shatavarin) I एक अच्छा sedative है जो अच्छी नींद लाकर तनाव और थकान को कम कर देता है।
  • शतावरी में पाए जाने वाले फाइबर पाचन को ठीक करके कब्ज को दूर करते है।
  • शतावरी एक अच्छा ब्रेन टॉनिक है जो अनिद्रा, दर्द और संकुचन को कम करता है।

DOSE

शतावरी के जड़ का कंद भाग मुख्य रूप से उपयोग में लिया जाता है। इन जड़ो को कूटकर पाउडर बना ले और 3 से 6 gm पानी या दूध के साथ पुरे दिन में  सेवन करे।

अगर आप को दूध की मात्रा बढ़ानी है तो आप शतावरी आवश्यकता अनुसार 250 ml दूध में डालकर दूध को उबाल कर भी पी सकते है।

Capsule 500 से 1000 mg per day

शतावरी को सामान्यतः सेफ माना जाता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें व्यक्ति को हार्ट और किडनी की कोई समस्या न हो। कुछ लोगों को इस हर्ब का सेवन करने पर वज़न बढ़ने की शिकायत होती है। जिन लोगों को अक्सर एलर्जी की शिकायत रहती है उनको शतावरी के सेवन से एलर्जी होने की संभावना हो सकती है।

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नोट : ये पोस्ट आपके ज्ञानवर्धन के लिए हैं किसी भी दवा को शुरू या बंद करने से पहले उचित वैद्य या डॉक्टर की राय जरुर ले।

refrences

textbook of pharmacognosy by gokhale, kokate, purohit 33rd edition page no 216

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3869575/

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23468043

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/19652422

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