Sunday , 22 December 2024
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सात प्रकार के काढ़े अर्थात क्वाथ और इनके फायदे.

काढ़े अर्थात क्वाथ और इनके फायदे.

काढ़े को क्वाथ भी कहा जाता है. अक्सर आयुर्वेद में अनेक बिमारियों को सही करने के लिए काढ़े का विवरण दिया जाता है. मगर अज्ञान वश हमको उन काढों से मिलने वाले फायदे से नुकसान हो जाता हैं क्यूंकि हमको पता नहीं होता के ये काढ़ा किस प्रकार से बनाना है. क्यूंकि आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार एक ही चीज से बना हुआ काढ़ा अलग अलग तरीकों से बनाया जाता है और इनके गुण बदल जाते हैं, जैसे किसी काढ़े को एक चौथाई तक पकाएंगे  तो यह क्लेदन काढ़ा बन जाता है और अगर इसको आधा रहने तक पकाएंगे तो यह पाचन हो जाता है. ऐसे ही कुछ काढों के प्रकार आज हम आपको बताने जा रहें हैं. तांकि अगर आप कोई काढ़ा बना रहे हो तो आप उसका सम्पूर्ण फायदा ले सकें. आइये जाने.

सात प्रकार के काढ़े

पाचन, दीपन, शोधन, शमन, तर्पण, क्लेदन और शोषण यह सात तरह के काढ़े होते हैं।

काढों के चार नाम.

श्रुत, क्वाथ, कषाय और निर्यूह ये क्वाथ के चार नाम हैं.

पाचन – जिसमे औटाते औटाते आधा जल रहे उसे पाचन कहते हैं. पाचन काढ़ा दोषों को पकाता है. इसलिए ज्वर में पहले दोष पकाने के लिए पाचन क्वाथ देते हैं. पाचन काढ़ा रात को देना चाहिए.

दीपन – जिसमे औटाते औटाते दसवां भाग पानी रहे, उसे “दीपन” कहते हैं. दीपन क्वाथ जठराग्नि को तेज़ करता है. दीपन काढ़ा दोपहर के बाद देना चाहिए.

शोधन – जिसमे औटाते औटाते बारहवां भाग पानी रहे, उसे “शोधन” कहते हैं. शोधन क्वाथ मल को साफ़ करता है. शोधन काढ़ा सुबह देना चाहिए.

शमन – जिसमे औटाते औटाते आठवां भाग जल रहे वह “शमन” कहलाता है. शमन रोगों को शांत करता है. प्रायः पाचन क्वाथ से दोष पकने पर शमन क्वाथ देते हैं. पके हुए दोषों को शमन क्वाथ झट शांत कर देता है. कच्चे दोषों में शमन क्वाथ देना उचित नहीं. शमन काढ़ा दोपहर से पहले देना चाहिए.

तर्पण या संतर्पण – जिसमे जरा जोश दिया जाता है. उसे “तर्पण” कहते है. तर्पण धातुओं को तृप्त करता है. यह काढ़ा सवेरे देना चाहिए.

क्लेदन – जिसमे औटाते औटाते चौथा भाग पानी रहे उसे “क्लेदन” कहते हैं.

शोषण – जिसमे औटाते औटाते सोलहवां भाग पानी रहे, उसे “शोषण” कहते हैं. यह दोषों को सुखाता है.

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