मिटटी के बर्तन में पकाये खाने के अदभुत गुण।
हम लोग खाना इसलिए खाते है ताकि हमारे शरीर को जरुरी प्रमाण में पोषक तत्त्व मिले। जो भोजन हम खाते हैं उसमे अपने आप में तो मिनरल्स विटामिन्स प्रोटीन तो होते ही हैं, इनके ये गुण बढ़ाने या घटाने में इनको पकाने वाले बर्तन भी विशेष स्थान रखते हैं। आइये जानते हैं मिटटी और दूसरे बर्तन में बनाया हुआ भोजन किस प्रकार प्रभावी और दुष्प्रभावी होता हैं।
एलुमिनियम और स्टील
अगर आप लोग एलुमिनियम के प्रेसर कूकर में खाना बनाते हो तो 87% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, सिर्फ 13% ही बचते है। ये पोषक तत्व तो कम करता ही हैं साथ में एल्युमीनियम खाने के माध्यम से हमारे शरीर में धीरे धीरे पहुँचता रहता हैं और फिर ये शरीर से निकल भी नहीं पाता, और धीरे धीरे हम शारीरिक और मानसिक अपंगता की और बढ़ते हैं। मतलब एल्युमीनियम के बर्तन में खाना बनाना ज़हर हैं। और यही हाल स्टील के बर्तन के साथ होता हैं। इसलिए स्टील और एल्युमीनियम दोनों ज़हर हैं।
बर्तनो में पाये जाने वाले पोषक तत्व।
अगर पीतल के बरतन में बनाये तो 7% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 93% बचते है।
“अगर कासे के बरतन में बनाये तो 3% पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते है, 97% बचते है।”
अगर आप मिटटी के बरतन में खाना बनाये तो 100% पोषक तत्त्व बचते है। और इसके साथ मिटटी के अपने गुण और पोषक तत्व भी इसमें समा जाते हैं। जिस से भोजन में मौजूद गुण कई गुना बढ़ जाते हैं।
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और अगर आपने एक बार मिटटी के बरतन का खाना खा लिया तो उसका जो स्वाद है वो आप जिन्दगी भर नहीं भुलेंगे।
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