साबुन आपकी त्वचा के लिए हैं बहुत हानिकारक।
ना करे साबुन का अंधाधुन्द प्रयोग।
ये बात कई वैज्ञानिक प्रमाणों और शोधो से सिद्ध हो चुकी हैं के साबुन का इस्तेमाल सिर्फ त्वचा को नुक्सान ही पहुंचाता हैं। साबुन का अंधाधुन्द प्रयोग सेहत के लिए बहुत हानिकारक हैं। यदि हम अपने अतीत में झांके तो पता चलेगा के हमारे पूर्वज बिना साबुन के प्रयोग के ही बहुत सुन्दर और स्वस्थ रहते थे। आज भी बहुत से लोग जो भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए हैं वो साबुन का इस्तेमाल नहीं करते और अपने शरीर के लिए बेसन, मलाई, दूध आदि का इस्तेमाल करते हैं। अगर हमको ये भी नहीं मिल पाता तो भी साबुन का ज़्यादा प्रयोग हमारी त्वचा को निखारने के बजाय इसको नुक्सान ही पहुंचाता हैं। आज हम भारतीयों की ये दुर्दशा हैं के हम टी वी पर दिखाए जाने वाले बिकाऊ भाँडो की वजह से अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करते जा रहे है। इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण हैं के आज आपके चारो और कितने तरह तरह के डॉक्टर आ गए, जबकि आप तो अपने और अपने बच्चो की पहले के लोगो से ज़्यादा देखभाल करते हो, चाहे वो स्किन की बात हो, चाहे वो दाँतो की बात हो, चाहे खाने की बात हो।
पहले तो ध्यान रहे के अगर आप किसी भी चर्म रोग से पीड़ित हैं तो भूलकर भी साबुन का इस्तेमाल ना करे।
साबुन के नियमित प्रयोग से बालो की जड़े कमज़ोर पड़ती हैं, साथ ही बाल तेज़ी से सफ़ेद होते हैं। बालो की अगर कोई भी समस्या हो तो भी भूलकर भी साबुन या शैम्पू इस्तेमाल ना करे। देसी तरीके से जैसे आंवले, रीठे, शिकाकाई से या बेसन मलाई से सर की धुलाई करे।
क्यों हैं साबुन हानिकारक।
आज हम आपको बताएँगे के कैसे साबुन का अधिक इस्तेमाल आपकी त्वचा को नुक्सान पहुंचाता हैं।
नेचुरल मॉइस्चराइजर खत्म करता हैं साबुन।
हमारा शरीर अपने आप हमारी त्वचा के लिए एक एमिनो एसिड्स और क्षारो का निर्माण करता हैं जो मॉइस्चराइजर के रूप में हमारी त्वचा के ऊपर स्थित रह कर हमारी त्वचा की रक्षा करता हैं। साबुन के प्रयोग से ये मॉइस्चराइजर नष्ट होता हैं और हमारी त्वचा रूखी हो जाती हैं, और बाद में हम बनावटी मॉइस्चराइजर के लिए विविध प्रकार की हानिकारक क्रीम लगाते हैं। अनेक उत्पाद अपने साबुन में क्रीम, मॉइस्चराइजर, तेल, बादाम, मलाई होने का दावा करते हैं। मगर ये सब जानते हैं के उनके दावे कितने सच्चे हैं।
शिशु साबुन भी हैं हानिकारक।
शिशुओ की त्वचा बहुत कोमल होती हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती हैं जिस कारण बेबी साबुन उनकी त्वचा में एलर्जी पैदा कर सकते हैं, आज कल पारदर्शी साबुन की ऐड आती हैं, इन साबुनों में रोसीन और ग्लिसरीन मिलायी जाती हैं। यह रोसीन शिशुओ की त्वचा पर एलर्जी पैदा करता हैं।
एंटीसेप्टिक साबुन भी हैं खतरनाक।
आज कल बहुत ऐड आती हैं एंटीसेप्टिक साबुन की, एंटीसेप्टिक साबुन हमारी त्वचा पर लाभप्रद जीवाणुओ को भी नष्ट कर देते हैं जो रोगो और बीमारियो से लड़ने में हमारी त्वचा की मदद करते हैं।
क्या हैं विकल्प।
शरीर पर जमा होने वाले पसीने को साफ़ करने के लिए ही प्राय: साबुन की आवश्यकता होती हैं। आज हम साबुन को अपनी दैनिक जीवन का हिस्सा बना चुके हैं। ऐसे समय में हमको चाहिए के हम यूँही साबुन का इस्तेमाल ना करे। आज कल कुछ लोग भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए गाय के पंचगव्य से बने साबुन बाज़ार में लाये हैं जिनको आप क्वालिटी के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं। मगर सिर्फ विज्ञापन देख कर साबुन खरीदना सिर्फ आपकी मूर्खता दर्शाता हैं।
परम्परागत रूप से हमारे परिवारो में चले आ रहे उबटन, नीम्बू का रस, हरड़, बहेड़ा, आंवला, शिकाकाई, रीठा, मलाई, बेसन, मुल्तानी मिटटी, इत्यादि वस्तुओ का इस्तेमाल शरीर की सफाई करने के लिए करे। समझदार बने और अपने आने वाली पीढ़ी को स्वास्थ्य दे।
Roshni ji muje pathri ke jad sai khatm hone ka koi opchaar bataye
Roshni ji mujhe pathri jad sai khatm hine ka koi opaay bataye
Kya hum facewash ka istemal kar sakte hai ya ye bhi sabun ki tarah useless hai
sabun ya facewash ki jagah aap doodh istemal kijiye… dahi istemal kar lijiye.. besan, mulatani mitti bahut saari option hain.. baaki aap jo istemal karo apki marji..
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aapko abhi kal se copy karne me kabhi problem nahi aayegi.