छोटे और बड़े बच्चो के लिए शक्तिवर्धक भोजन।
अगर आप बच्चो को हॉर्लिक्स, बूस्ट जैसी चीजे देने के भ्रम में बच्चो के स्वस्थ्य की कामना कर रही हैं तो आप इस नए ज़माने की अनपढ़ और बेवकूफ माँ ही हैं। अगर आप चिंतित हैं के आपके बच्चे की सही ग्रोथ कैसे हो तो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उसको दिए जाने वाले भोजन पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत हैं। यहाँ हम कुछ भोजन बता रहे हैं जो शिशुओ को रोगो से लड़ने में, स्वस्थ रहने में और मोटा ताज़ा होने में मदद करेंगे। चाहे सर्दिया हो या गर्मिया इन भोजन को बच्चो की दिनचर्या में शामिल करे। आइये जाने इनके बारे में।
1. नारंगी (ऑरेंज)
बच्चो को नारंगी का रस पिलाते रहने से वे थोड़े ही समय में मोटे ताज़े हो जाते हैं तथा उनका पोषण द्रुतगति से होता हैं। हड्डियों की कमज़ोरी और टेढ़ापन दूर होता हैं। बच्चे शीघ्र चलने फिरने लगते हैं। डिब्बे या गाय का दूध पीने वाले बच्चो को तो निरंतर नारंगी का रस पिलाना चाहिए। इसके रस से सूखा रोग ग्रस्त बच्चे मोटे ताज़े हो जाते हैं। इसका रस आंतो की गति को तेज़ करता हैं।
नारंगी – मौसम्बी का रस बच्चो को अवश्य पिलाये।
2. लहसुन।
बच्चे को खाना खिलाने के बाद एक काली कच्चे लहसुन की खिलाने से दुर्बलता दूर होती हैं।
3. दूध।
बच्चो को दूध में बादाम मिलाकर पिलाने से बच्चो की दुर्बलता और सूखा रोग दूर होता हैं।
4. दूध पिलाने माँ के लिए सावधानी।
स्त्री को पुरुष संग के तत्काल बाद बच्चे को दूध नहीं पिलाना चाहिए, इस से बच्चे के शरीर में गर्मी चली जाती हैं। इसी प्रकार जब क्रोध आया हो तो बच्चे को दूध ना पिलाये, क्यूंकि उस समय दूध में विटामिन सी नहीं होता।
5. आलू।
आलू बच्चो का पुष्टिक भोजन हैं। आलू का रस दूध पीते बच्चो और बड़े बच्चो को पिलाने से वे मोटे ताज़े हो जाते हैं। आलू के रस में थोड़ा शहद मिला कर पिला सकते हैं।
आलू रस निकलने की विधि।
आलू को धो कर छिलके सहित कद्दू कस कर लीजिये, अब इन आलुओ की लुग्धी को कपडे में दबाकर रस निकाल लीजिये या फिर मिक्सर से रस निकालिये। अब इस रस को एक घंटा ढक कर रख दीजिये। गंदगी नीचे बैठ जाएगी, तो ऊपर का रस काम में लीजये।
6. दही।
दही माँ के दूध के पश्चात बालक का सर्वश्रेष्ठ आहार हैं। बुल्गारिया में हुए एक शोध में पाया गया के जिन बच्चो को माँ का दूध नहीं मिल पाता उनको दही देने से उन बच्चो को ग्रोथ माँ का दूध पीने वाले बच्चो के सामान्य पायी गयी।
7. केला।
दूध पीने वाले बच्चे को नित्य विटामिन सी, नियासिन, राइबोफ्लेविन, और थायोसीन की जितनी मात्रा चाहिए, उसकी चौथाई भाग केले में मिल जाता हैं। दो केले दूध के साथ बच्चो और बूढो सबको प्रात: सबको खाने चाहिए। दक्षिण अफ्रीका में केले का पाउडर शिशु आहार के लिए काम में लिया जाता हैं।
8. टमाटर।
शिशु की माताये टमाटर खाए, और टमाटर का रस शिशुओ को नित्य पिलाये। इससे शिशुओ का शारीरिक विकास अच्छा होता हैं, पाचन शक्ति अच्छी रहती हैं, तथा दांत सरलता से आ जाते हैं।
9. ग्राइप वाटर, नमक और मीठा सोडा।
एक कप गर्म पानी उबालकर ठंडा कर ले। इसमें एक चम्मच ग्राइप वाटर, स्वादानुसार ज़रा सा नमक एवं मीठा सोडा मिला ले। यह बोतल में डालकर शिशुओ को दिन भर में बार बार पिलाये। यह बच्चो का शक्ति वर्धक पेय हैं। सूखा रोग वाले बच्चो के लिए लाभप्रद हैं।
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