अनन्नास के इतने सारे लाभ जानकर आप हो जाएगें हैरान
अनन्नास (अंग्रेज़ी:पाइनऍप्पल, वैज्ञा:Ananas comosus) एक खाद्य उष्णकटिबन्धीय पौधे एवं उसके फल का सामान्य नाम है हालांकि तकनीकी दृष्टि से देखें, तो ये अनेक फलों का समूह विलय हो कर निकलता है। यह मूलतः पैराग्वे एवं दक्षिणी ब्राज़ील का फल है। अनन्नास को ताजा काट कर भी खाया जाता है और शीरे में संरक्षित कर या रस निकाल कर भी सेवन किया जाता है। इसे खाने के उपरांत मीठे के रूप में सलाद के रूप में एवं फ्रूट-कॉकटेल में मांसाहार के विकल्प के रूप में प्रयोग भी किया जाता है। मिष्टान्न रूप में ये उच्च स्तर के अम्लीय स्वभाव (संभवतः मैलिक या साइट्रिक अम्ल) का होता है। अनन्नास कृषि किया गया ब्रोमेल्याकेऐ एकमात्र फल है। अनन्नास मधुर, तृप्तिकारक व स्फूर्तिदायक फल है। इसमें कैल्शियम, फाइबर, मैग्रीनशियम और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
यह पीलिया, उच्च रक्तचाप, यकृत दोष आदि रोगों में लाभकारी होता है।इसमें क्लोरीनकी भरपूर मात्रा होती है इसमें ब्रोमेलिन नामक एंजाइम भी पाया जाता है, जो प्रोटीन को पचाने, ब्रोंकाइटिस, एब्सेस न्यूमोनिया, गुर्दे का संक्रमण आदि में कार्य करता है। इससे शरीर की प्रतिरेाधक क्षमता भी बढती है। इससे गले को ठंडक मिलती है साथ ही गले के रोगों से बचाव होता है
कैंसर में अन्नानास –
आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों के शोधों के अनुसार यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है। ये उच्च एंटीआक्सीडेंट का स्रोत है व इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है अनन्नास में एंटीऑक्सीडेंट विटामिनस सी का बहुत अच्छा स्त्रोत होता है अनन्नास कैंसर के कारण को कम करने मदद करता है।
अस्थमा में अन्नानास –
अस्थमा के रोगियों को सुबह-दोपहर खाली पेट अनन्नास का रस लेने से फायदा होता है।
अनन्नास में रक्त के हर दोष को दूर करने की क्षमता है, इसीलिए इसका सेवन करने व लेप लगाने से त्वचा में निखार आता है।
पेट के रोगों में अन्नानास –
यदि पेट में अजीर्ण हो तो पके अनन्नास के छोटे-छोटे टुकडे करके सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण लगाकर खाने से लाभ मिलता है। इस प्रकार अनन्नास ग्रहण करने से पेट के कृमि हफ्ते भर में निकल जाते हैं। जिन बच्चों को पेट में अक्सर कृमि हो जाते हैं, उन्हें उक्त प्रकार से अनन्नास अवश्य दें।
अनियमित महावारी हो, तो इसके रस का नियमित सेवन करेने से माहवारी सामान्य हो जाती है।
नेत्र-ज्योति में अन्नानास
अनन्नास अपने गुणों के कारण नेत्र-ज्योति के लिए भी उपयोगी होता है। दिन में तीन बार इस फल को खाने से बढ़ती उम्र के साथ आंखों की रोशनी कम हो जाने का खतरा कम हो जाता है।
आंखों की रोशनी – अन्नानास
शोधों के मुताबिक दिन में 3 बार अनन्नास खाने से बढती उम्र के साथ कम होती आंखों की रोशनी का खतरा कम हो जाता है।
साथ ही पित्त विकारों में विशेष रूप से और पीलिया यानि पांडु रोगों में लाभकारी है। ये गले एवं मूत्र के रोगों में लाभदायक है।
इसके अलावा ये हड्डियों को मजबूत बनाता है। अनन्नास में प्रचुर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। यह शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने और शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का काम करता है। एक प्याला अनन्नास के रस-सेवन से दिन भर के लिए आवश्यक मैग्नीशियम के ७५% की पूर्ति होती है।इससे सर्दी समेत कई अन्य संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। साथ ही ये कई रोगों में उपयोगी होता है।