फल हमे हमारे जीवन के दैनिक आहार में प्रयोग करना चाहिए। इससे हमें कई प्रकार की बीमारियों से राहत मिलेगी। फल खाने के साथ-साथ पूजा में भी काम आते हैं। फलों का ज्यूस भी पीने से फायदा होता है।
आईये हम बताते है कुछ प्रकार के फलों के फायदों के बारे में जो निम्न है
पपीता –
फल पपीता सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। जहां इससे पेट संबंधी परेशानियां दूर होती हैं , वहीं स्किन भी काफी अच्छी हो जाती है। यही नहीं,इसके और भी कई बेनिफिट्स हैं। जिन लोगों को किडनी की तकलीफ होती है उन्हें रोज पपीता खाना चाहिए। दांत संबंधी तकलीफें भी पपीता खाने से दूर होती हैं। दांत हिलने,दांतो से खून आने और ऎसी परेशानियों में राहत मिलती है। पपीता खाने से आंखों की रोशनी भी अच्छी बनी रहती है। अगर पेट में की़डे हों , तो कच्चे पपीते का जूस फायदा करता है। इसे दिन में दो बार पीने से की़डे खत्म होने लगेंगे। खाली पेट पपीता खाने से बवासीर की शिकायत दूर होती है।
सेंधा नमक,जीरा पाउडर और नीबू के साथ खाने पर कब्ज दूर होती है। महिलाओं के लिए पपीते का रस बहुत लाभकारी होता है इससे उनका बांझपन दूर होता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान पपीता बहुत हानिकारक होता है क्योंकि इसकी तासीर बहुत गर्म होती है जो गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छी नहीं होती। पपीते की पत्तियां भी रामबाण की तरह काम करता है,यह कैंसर को दूर करने में बहुत सहायक होती हैं। पपीता वजन कम करने में भी काम आता है। पपीते को मैश करके फेस पर लगाने से स्किन ग्लोइंग और मुलायम हो जाती है और रिंकल्स भी खत्म हो जाते हैं।
सावधानिया ;- गर्म प्रकति के लोग, गर्भवती माताए बहने पपीते का सेवन ना करे .
केला-
पूजा -पाठ से लेकर ब्यूटी प्रॉडक्टस तक में केले का इस्तेमाल किया जाता है। इसके भी एक नहीं , अनेक फायदे हैं। खाना खाने के बाद केला खाने से भोजन आसानी से पच जाता है। कॉçन्स्टपेशन के मरीजों के लिए भी यह अच्छा रहता है। रोज सुबह एक केला और एक गिलास दूध पीने से वजन कं ट्रोल में रहता है और बार – बार भूख भी नहीं लगती। केला खाने से हाई ब्लड प्रेशर और यूरीन की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है कच्चे केले को दूध में मिलाकर लगाने से त्वचा निखर जाती है और चेहरे पर भी चमक आ जाती है। गर्भावस्था में महिलाओं के लिए केला बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह विटामिन से भरपूर होता है। केले को मैश करके बालों में लगाने से बाल नर्म , मुलायम और चमकदार हो जाते हैं। केला बच्चों के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह अपने आप में ही पूर्ण आहार होता है।
अंगूर-
अंगूर एक बलवर्घक एवं सौन्दर्यवर्घक फल है। अंगूर फल मां के दूघ के समान पोषक है। फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। यह निर्बल-सबल, स्वस्थ-अस्वस्थ आदि सभी के लिए समान उपयोगी होता है। बहुत से ऎसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर फल दिया जा सकता है। पका हुआ अंगूर तासीर में ठंडा, मीठा और दस्तावर होता है। यह स्पर को शुद्ध बनाता है तथा आँखों के लिए हितकर होता है। अंगूर वीर्यवर्घक, रक्त साफ करने वाला, रक्त बढाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल, शर्करा, सोडियम, पोटेशियम, साइट्रिक एसिड, फलोराइड, पोटेशियम सल्फेट, मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अंगूर ह्वदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है । ह्वदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिएं। अंगूर के सेवन से फेफडों मे जमा कफ निकल जाता है, इससे खाँसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है। श्वास रोग व वायु रोगों में भी अंगूर का प्रयोग हितकर है। नकसीर एवं पेशाब में होने वाली रूकावट में भी हितकर है। अंगूर का शरबत लो “अमृत तुल्य” है। शरीर के किसी भी भाग से रक्त स्त्राव होने पर अंगूर के एक गिलास ज्यूस में दो चम्मच शहद घोलकर पिलाने पर रक्त की कमी को पूरा किया जा सकता है जिसकी कि रक्तस्त्राव के समय क्षति हुई है। अंगूर का गूदा \” ग्लूकोज व शर्करा युक्त \” होता है। विटामिन \”ए\” पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन भूख बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आँखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। हार्ट-अटैक से बचने के लिए बैंगनी (काले) अंगूर का रस \”एसप्रिन\” की गोली के समान कारगर है।
एसप्रिन खून के थक्के नहीं बनने देती है। बैंगनी (काले) अंगूर के रस में फलोवोनाइडस नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है। पोटेशियम की कमी से बाल बहुत टूटते हैं। दाँत हिलने लगते हैं, त्वचा ढीली व निस्तेज हो जाती है, जोडों में दर्द व जकडन होने लगती है। इन सभी रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। अंगूर के रस के गरारे करने से मुँह के घावों एवं छालों में राहत मिलती है। एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाने पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
गठिया रोग में अंगूर का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन बहुत लाभप्रद है क्योंकि यह शरीर में से उन तत्वों को बाहर निकालता है जिसके कारण गठिया होता है। अंगूर के सेवन से हçड्डयाँ मजबूत होती हैं। अंगूर के पत्तों का रस पानी में उबालकर काले नमक मिलाकर पीने से गुर्दो के दर्द में भी बहुत लाभ होता है। भोजन के आघा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है। अंगूर के रस की दो-तीन बूंद नाक में डालने से नकसीर बंद हो जाती है।
चीकू-
कच्चे चीकू बिना स्वाद के और पके चीकू बहुत मीठे और स्वादिष्ट होते हैं। गोल चीकू की अपेक्षा लम्बे गोल चीकू श्रेष्ठ माने जाते हैं। पके चीकू का नाश्ते और फलाहार में उपयोग होता है। कुछ लोग पके चीकू का हलुवा बनाकर खाते हैं। इसका हलुवा बहुत ही स्वादिष्ट होता है। चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फूर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढ़ती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू के पे़ड से `चिकल` नामक पदार्थ पैदा होता है। चीकू के पे़ड की छाल से चिकना दूधिया- `रस-चिकल` नामक गोंद निकाला जाता है। उससे चबाने का गोंद च्युंइगम बनता है। यह छोटी-छोटी वस्तुओं को जो़डने के काम आता है। दंत विज्ञान से संबन्धित शल्य çRया में `ट्रांसमीशन बेल्ट्स` बनाने में इसका उपयोग होता है। `गटापची` नामक पदार्थ के बदले भी इसका उपयोग होता है। चीकू की छाल बाधक, शक्तिवर्द्धक और बुखारनाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। दक्षिण लुजोन के मछुए नौकाओं के पाल और मछलियों के पक़डने के साधन रंगने के लिए इसकी छाल का उपयोग करते हैं। चीकू के फल शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। इसमें शर्करा का अंश ज्यादा होता है। यह पचने में भारी होता है। चीकू ज्वर के रोगियों के लिए पथ्यकारक है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है।
लीची
अन्य फलों की तरह लीची भी पौष्टिक तत्वों का भंडार है। इसमें विटामिन सी, पोटैशियम और नैसर्गिक शक्कर की भरमार होती है। साथ ही पानी की मात्रा भी काफी होती है। गरमी में खाने से यह शरीर में पानी के अनुपात को संतुलित रखते हुए ठंडक भी पहुँचाता है। दस लीचियों से हमें लगभग 65 कैलोरी मिलती हैं। Êयादा समय न टिक पाने की वजह से इसे एक बार पकने के बाद जल्दी खा लेना चाहिए। इसका स्वाद थो़डा गुलाब और अंगूर से मिलता जुलता पर अनोखा ज़रूर है। आज कल यह बंद डब्बों में भी मिलने लगी है। रम्बूटान नामक एक और फल लीची की ही सूरत, स्वाद और गुणों वाला होता है। लेकिन इसका आकार थो़डा ब़डा होता है और इसके छिलके पर रेशे होते हैं। इन रेशों के कारण ही इसको मलेशियन भाषा में रम्बूटान कहा गया।रम्बूटान का अर्थ उनकी भाषा में बाल है। यह दक्षिण पूर्व एशिया का फल है और इसे अपेक्षाकृत अधिक गर्मी और नमी की आवश्यकता होती है। लीची को शर्बत, फ्रूटसलाद और आइसRीम के साथ खाने का रिवाज़ लगभग सारी दुनिया में है लेकिन चीन में इसे अनेक मांसाहारी व्यंजनों के साथ सम्मिलित किया जाता है। चीनी संस्कृति में लीची का महत्वपूर्ण स्थान है। नये साल की फल और मेवों की थाली में इसका होना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह घनिष्ठ पारिवारिक संबंधों की प्रतीक समझी जाती है।
mere cahere pe dag h aor Dane bhi h muje koi upaye batye
koi accha sa blood prufier pijiye… baidynath company ka pata kijiyega…