मिश्री या रॉक शुगर क्रिस्टलों का एक रूप है और इसकी उत्पत्ति भारत में हुई है। भारत में इसे हिन्दुओं द्वारा देवताओं को भोग लगाने व प्रसाद के रूप में बांटने में भी प्रयोग किया जाता है। विशेष रूप से भगवान कृष्ण को मक्खन व मिश्री बहुत ही पसंद थी। क्या आप जानते हैं कि बड़े पैमाने पर कई प्रकार की मिठाईयों में प्रयोग होने वाली यह स्वीट कैंडी कई स्वास्थ्य लाभों से भरपूर भी है। आइए जाने मिश्री आपके स्वास्थ्य के लिए क्यों अच्छी है, इससे जुड़े अद्भुत कारणों के बारे में जानते हैं।
मिश्री के फ़ायदे-
आंखों के रोग –
- आंख आना: 6 ग्राम से 10 ग्राम महात्रिफला घृत में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से पित्तज चक्षु प्रदाह (गर्मी के कारण आंखों में जलन), आंखें ज्यादा लाल सुर्ख हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना, रोशनी के ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।
- आंख का फड़कना: 1 भाग गोघृत (गाय का घी) और 4 भाग दूध लेकर अच्छी तरह उबाल लें। फिर शुष्म-शुष्म (गर्म-गर्म) दूध के साथ मिश्री और 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन किया जाए तो पूरी तरह से पलकों का फड़कना बंद हो जाता है।
आंखों के रोहे फूले:
- तूतिया (नीला थोथा, कॉपर सल्फेट) और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर गुलाब जल में घोल बनाकर रखें। इसकी 2-3 बूंदे रोजाना 3 से 4 बार आंखों मे डालने से फूले, रोहे, कुकरे आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
- 6 से 10 ग्राम महात्रिफलादि घृत इतनी ही मिश्री के साथ मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों का लाल होना, आंखों की सूजन, दर्द और रोहे आदि दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफले के पानी से आंखों को बीच-बीच में धोना चाहिए।
संग्रहणी (दस्त, पेचिश)-
- 80 ग्राम मिश्री, 80 ग्राम कैथ, 30 ग्राम पीपल, 30 ग्राम अजमोद, 30 ग्राम बेल की गिरी, 30 ग्राम धाय के फूल, 30 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम कालानमक, 10 ग्राम नागकेसर, 10 ग्राम पीपलामूल, 10 ग्राम नेत्रवाला, 10 ग्राम इलायची इन सभी को एक साथ लेकर बारीक पीस लें। इसमें से 2 चुटकी चूर्ण मट्ठा (लस्सी) के साथ खाने से संग्रहणी अतिसार (दस्त) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
बहरापन-
- मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बंदे रोजाना सुबह-शाम कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
नकसीर–
- 50 ग्राम सूखे हुए कमल के फूल और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच गर्म दूध के साथ फंकी लेने से सिर्फ 1 ही हफ्ते में ही नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग दूर हो जाता है।
सिर का दर्द-
- लगभग 10 ग्राम मिश्री को 10 ग्राम सांप की केंचुली में अच्छी तरह से घोंटें और इसे घोंटकर शीशी में भर लें। लगभग 1 ग्राम के चौथे भाग की मात्रा में इस मिश्रण को बताशे में भरकर रोगी को खिला दें और ऊपर से 3-4 घूंट पानी पिला दें। ऐसा करने से पुराने से पुराना सिर का दर्द भी ठीक हो जाता है।
माउथ फ्रेशनर
- सौंफ के साथ मिश्री का प्रयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में बहुत प्रचलित है। इस शुगर कैंडी का मीठा स्वाद आपको फ्रेश फील देने के साथ ही आपके मुह में बैक्टीरिया को बनने से भी रोकती है। यही कारण है कि कई भारतीयों को खाने के बाद सौंफ के साथ मिश्री खाने की आदत है।
खांसी में आराम
- मौसम बदलने पर बच्चों को खांसी जुखाम हो जाना एक आम बीमारी है। हालांकि खांसी से बचने के लिए कफ़ सीरप का इस्तेमाल ज्यादा प्रचलित है लेकिन तुरंत आराम के लिए मिश्री का प्रयोग भी एक अच्छा घरेलु उपचार है। इसमें ऐसे ज़रूरी पोषक तत्व होतें है जो कफ़ को साफ़ करके गले की खराश को दूर करते हैं।
रिफ्रेशिंग ड्रिंक
- दक्षिण भारत में, गर्मियों के दिन में मिश्री डालकर रिफ्रेशिंग ड्रिंक बनाने का प्रचलन है। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्री का पाउडर मिलाकर इसे बनाया जाता है। यह दिमाग को बहुत आराम पहुंचाता है और आपके तनाव को कम करता है क्योंकि यह ग्लूकोज़ के रूप में हमेएनर्जी प्रदान करता है जिससे हमारी इन्द्रियों को आराम मिलता है।
गले की खराश में असरदार
- अगर आप गले की खराश से परेशान है तो इसके लिए आप मिश्री का पानी बनाकर पी लीजिये, यह घरेलु उपचार सर्दी जुखाम में तुरंत असरदार है।और मीठा होने के कारण आप गले कि खराश से बचने के लिए अपने बच्चे को भी मिश्री का एक टुकड़ा चूसने के लिए दे सकती हैं,यह बहुत जल्दी आराम पहुंचाती है।
चीनी का सेहतमंद विकल्प
- चीनी का अपरिष्कृत रूप होने के कारण मिश्री को टेबल शुगर की तुलना में स्वस्थ विकल्प माना जाता है। यही कारण है कि मिश्री का प्रयोग कन्फेक्शनेरी जैसे लालीपॉप और चॉकलेट से लेकर स्वीट ड्रिंक जैसे पन्ने जैसे स्वीट की तैयारी में किया जाता है।
गले की सूजन-
- सफेद चिरमिटी के पत्ते, शीतलचीनी और मिश्री को मिलाकर मुंह में रखकर इनका रस चूसने से कंठ (गला) के घाव और बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
- तिल, नील कमल, घी, मिश्री, दूध और शहद को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। फिर इनको मुंह में रखकर चूसने से गले की सूजन दूर हो जाती है।
गुण: मिश्री धातु को बढ़ाने वाली (वीर्यवर्द्धक), खून पित्तनाशक, दस्तावर, वात तथा पित्तनाशक है।
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