सिर्फ कंघा (Comb) बदलने से ही आप झड़ते गिरते और रूसी से भरे बालों से छुटकारा पा सकते हैं. Lakdi ki kanghi ke fayde.
क्या आप परेशान हैं झड़ते और गिरते बालों से, और क्या आपने तरह तरह के उपयोग और प्रयोग कर के देख लिए तो अब बस अब बारी है एक छोटे से परिवर्तन की. और अपने झड़ते और गिरते बालों को रोक लीजिये. जी हाँ आज हम आपको यही बताने जा रहें हैं.
आज से कोई 30-40 वर्ष पहले लोगों के घरों में प्लास्टिक की कंघी नहीं हुआ करती थी. उस समय लोग लकड़ी की या सींघों से बनी हुयी कंघिया इस्तेमाल किया करते थे. मगर आज जैसे जैसे ज़माना मॉडर्न होता जा रहा है उस में कंघिया भी बदल रही हैं. कोई तो प्लास्टिक की है और अभी तो नायलॉन के कंघे भी आने लगें हैं. ऐसा क्या कारण था के वो लोग लकड़ी की कंघियों का इस्तेमाल करते थे.
अगर आप अपने बालों को झड़ने या गिरने से रोकना चाहते हैं तो ये छोटा सा परिवर्तन ज़रूर करें. अपने घर में रखी हुयी प्लास्टिक की कंघी को घर से निकाल बाहर करें और घर में ले आइये लकड़ी की कंघी. लकड़ी की कंघी अगर बाज़ार में ना मिले तो आप किसी खाती (लकड़ी के काम करने वाले) के पास जा कर उनसे बनवा सकते हो. लकड़ी चाहे कीकर की हो या कोई और उसका इस्तेमाल करने से आपके बालों के अनेक रोग दूर हो जायेंगे. और बाल झड़ने और गिरने भी कम हो जायेंगे.
लकड़ी की कंघी के फायदे. Benefit of Wooden Comb.
दरअसल लकड़ी की कंघी से खोपड़ी में तेल बनने की प्रक्रिया सामान्य हो जाती है। और सर के oil ग्लैंड खुल जाते हैं. इस से कंघा करने से सिरदर्द में आराम मिलता है। यह सिर में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करती है। यह एक प्राकृतिक कंडीशनर की तरह काम करती है। यह तेल को बालों की पूरी लम्बाई पर समान रूप से वितरित करती है, जिससे बाल चमकीले नजर आते हैं। यदि आपके बालों में बहुत अधिक डैंड्रफ है तो इस कंघी के इस्तेमाल से बालों के ऑयल ग्लैंड्स खुल जाते हैं, इससे स्कैल्प ड्राई नहीं होती और बाल स्मूथ रहते हैं। जिन लोगों की स्कैल्प बहुत ज्यादा सेंसटिव होती है, तो उनके लिए लकड़ी की कंघी का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद रहता है। गीले बालों को संवारना है, तो लकड़ी की कंघी इस्तेमाल में लें। यह बालों को सहजता से टूटने नहीं देती।
ये समय है अपने बच्चों को अपनी पुरानी संस्कृति, अपनी पुरानी विरासत देने का, जिस से वो अपने आप स्वस्थ रह सकें. आज हम चाहे जितने भी पढ़ लिख गए हो, जितना भी अपने आप को मॉडर्न कहते हों, मगर जो ज्ञान हमारे पूर्वजों को था वो हमने कहीं खो दिया.
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