विजयसार (वानस्पतिक नाम: Pterocarpus marsupium) मध्य ऊँचाई से लेकर अधिक ऊँचाई वाला वृक्ष है। यह एक पर्णपाती वृक्ष है जिसकी ऊँचाई 30 मीटर तक हो सकती है। यह भारत, नेपाल और श्रीलंका में पाया जाता है। भारत में यह पश्चिमी घाट और मध्य भारत के वनों में पैदा होता है। विजयसार की लकड़ी आपको किसी भी आयुर्वेदिक औषधि की दूकान में मिल जाएगी। इस लकड़ी का रंग हल्का या फिर गहरा लाल रंग का होता है। विजयसार, vijaysar ki lakdi, arthritis treatment, jodo ka dard
आयुर्वेद विशेषज्ञों की मानें तो विजयसार की लकड़ी औषधीय गुणों का खजाना है। यह मधुमेह, धातुरोग और गठिया जैसे रोगों के लिए रामबाण है। जिन पहाड़ी क्षेत्रों में ये लकड़ी पाई जाती है वहां इस लकड़ी का ग्लास मिलता है, जिसमें पानी पीने से ही कर्इ तरह के रोग दूर हो जाते हैं। विजयसार, vijaysar ki lakdi, arthritis treatment, jodo ka dard .
इन रोगों में है लाभदायक
- जोडों के दर्द में लाभ देता है।
- अम्ल-पित्त में भी लाभ देता है।
- प्रमेह (धातु रोग) में भी अचूक है।
- हाथ-पैरों के कंपन्न में भी बहुत लाभदायक है।
- मधुमेह को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
- उच्च रक्त-चाप को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
- इसके नियमित सेवन से जोड़ों की कड़-कड़ बंद होती है अस्थियाँ मजबूत होती है।
- शरीर में बधी हुई चर्बी को कम करके, वजन और मोटापे को भी कम करने में सहायक है।
- त्वचा के कई रोगों, जैसे खाज-खुजली, बार-2 फोडे-फिंसी होते हों, उनमें भी लाभ देता है।
विजयसार के सेवन का तरीका
विजयसार की सूखी लकड़ी लेकर उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर दें। फिर आप एक मिट्टी का बर्तन ले और इस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े लगभग पच्चीस ग्राम रात को एक गिलास पानी में डाल दे। सुबह तक पानी का रंग लाल गहरा हो जाएगा ये पानी आप खाली पेट छानकर पी लें और दुबारा आप उसी लकड़ी को उतने ही पानी में डाल दे शाम को इस पानी को उबाल कर छान ले।विजयसार, vijaysar ki lakdi, arthritis treatment, jodo ka dard
अगर आप इसका सेवन करना चाहते हैं तो किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। अगर आप इसके साथ कोई एलोपैथी दवा ले रहे हैं तो सलाह लेना बहुत जरूरी है। मार्केट में मिलने वाले विजसार की लकड़ी के ग्लास में भी पानी रखकर पी सकते हैं।
Vijaysar
Common Name: Indian Kino Tree, Malabar kino tree
Sanskrit Name :Asana,Beejaka, Peetshal, Vijaysar
Latin Name: Pterocarpus marsupium – Leguminosae
Botanical Description- The tree grows to 10-15 mtrs. In height, smoky skin of the trunk bears vertical slits. Gum is red in colour. Leaves and foliage bear wavy margin. Flowers- yellowish. Legumes- contain two seeds. Water turns yellow at the beginning and then trunk is dipped in it
मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान है एंटी डायबिटिक रस
Pterocaprus marsupium chemical composition:
Pterocarpol, Marsupol, Maesupin, Carpusin(Marsupsin), (-) epicatechin, Propterol, Pterosupin, Marsupinol, Lupeol.
Resin contains Kino tannic acid, Pyro catechin, epicatechin.
Water Soluble Extractive: Not less than 5.00%
Vijaysar Medicinal Properties
Guna (qualities) – Laghu – light to digest, Ruksha – dry
Rasa (taste) – Kashaya – astringent, Tikta – bitter
Vipaka- Katu – Undergoes pungent taste conversion after digestion
Veerya – Sheeta – Coolant
Effect on Tridosha – Balances Kapha and Pitta Dosha.
Part used- Heart-wood, exudate resin
Dosage-Decoction 50-100ml; powder 3-6 g
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