सर्दी में उतपन्न रोगो के लिए तुलसी है अमृत
जो व्यक्ति नित्य प्रात: निचे दी गयी विधि अनुसार तुलसी का प्रयोग करता है, वह अनेक रोगों से सुरक्षित रहता है तथा सामान्य रोग स्वत: ही दूर हो जाते है। सर्दी के कारण होने वाली बिमारियों में विशेष रूप से जुकाम, खांसी, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, इन्फ्लुएंजा, गले, स्वसंलि और फेफड़ों के रोगों में तुलसी का सेवन उपयोगी है।
विधि
नित्य प्रात: खाली पेट चार-पांच तुलसी की पत्तियों का सेवन करें। इन पत्तियों को दो चम्मच पानी के साथ घोंट कर पीसकर लें अथवा वैसे ही चबाकर दो घूंट पानी से निगल लें।
विशेष
1. तुलसी के प्रयोग से सर्दी छाती में नही उतरने पाती और छाती में उतरी हुई सर्दी कफ के रूप में बाहर निकल जाती है। छाती का दर्द भी कम हो जाता है। स्वास प्रणाली की झिल्ली पर स्वास्थ्यपद प्रभाव डालने में तुलसी में अदभुत क्षमता है।
2. तुलसी के सेवन से ज्वर का भय भी जाता रहता है। निमोनिया और मलेरिया बुखार में तुलसी की पत्तियां तीन और काली मिर्च तीन दानों को एक चम्मच पानी में घोंटकर कुछ दिन प्रात: खाली पेट लेते रहने से अवश्य लाभ होगा।
तुलसी की चाय
अदरक, काली मिर्च युक्त तुलसी की चाय के सेवन से साधारण बुखार, मलेरिया दूर होता है। तुलसी की चाय बनाने के लिए ताजा तुलसी की पत्तियां सात ( अथवा छाया में सूखे तुलसी की पत्तियों का चौथाई चम्मच चूर्ण ) काली मिर्च सात ( थोड़ी कुटी हुई ) सुखी सोंठ का चूर्ण चौथाई चम्मच ( अथवा ताजा अदरक दो ग्राम ) लें। इन तीनो वस्तुओं को एक कप उबलते हुए पानी में डालकर चार-पांच उबाल आने दें। ततपश्चात निचे उतारकर दो मिनट ढक कर रख दें। दो मिनट बाद छान कर इसमें उबला हुआ दूध 100 ग्राम और एक-दो चम्मच शककर या चीनी डालकर गर्म-गर्म पी लें और ओढ़कर पांच-दस मिनट सो जाएँ। इससे सर्दी का सिरदर्द, नाक में सर्दी, जुकाम, पीनस, स्वास नली में सूजन एवं दर्द, साधारण बुखार, मलेरिया, बदहजमी आदि रोग दूर होते है। इससे छाती में जमा हुआ कफ ढीला होकर निकल जाता है। सर्दी से हुई छाती की अकड़न और पसलियों का दर्द दूर हो जाता है। जड़ों के दिनों में इसको लेते रहने से मनुष्य सर्दी में होने वाले जुकाम, खांसी, बुखार और गले के रोगों से सुरक्षित रहता है।