Mirgi ka desi ilaj – मात्र 21 दिन में मिर्गी दोबारा नहीं आएगी – पूरा पढ़ें मिर्गी का आयुर्वेदिक उपचार
Mirgi ka desi ilaj – अपस्मार या मिर्गी का दौरा (वैकल्पिक वर्तनी: मिरगी, अंग्रेजी: Epilepsy) यह यह एक तंत्रिकातंत्रीय विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर ) है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है, जैसे चेहरे, हाथ या पैर पर । Mirgi ka desi ilaj
Mirgi ka desi ilaj – मिर्गी का दौरा में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना। मिर्गी किसी एक बीमारी का नाम नहीं है। अनेक बीमारियों में मिर्गी के दौरे आ सकते हैं। मिर्गी के सभी मरीज एक जैसे भी नहीं होते। किसी की बीमारी मध्यम होती है, किसी की तेज। यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है। इनमें से आधों के दौरे रूके होते हैं और शेष आधों में दौरे आते हैं, उपचार जारी रहता है। अधिकतर लोगों में भ्रम होता है कि ये रोग आनुवांशिक होता है पर सिर्फ एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है। विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं। विश्व की कुल जनसँख्या के ८-१० प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।
अपस्मार या मिर्गी का इलाज – Mirgi ka desi ilaj
यदि आप को या आप के किसी परिचित को अपस्मार या मिर्गी के दौरे आते हो तो यहाँ बताये हुए तरीको से आप ठीक हो सकते है या किसी को भी आप ठीक कर सकते है तो आइये जानते है वह खास और प्राचीन नुस्खे जिस से सैकड़ो – हजारो सालो पहले जब कोई अंग्रजी डाक्टर या दवाइयां नहीं थी तो लोग कैसे ठीक होते थे अपस्मार या मिर्गी से ।
मिर्गी का दौरा ठीक करने के विशेष 3 नुस्खे
- लहसुन 1 तोला , काले तिल 3 तोले इन दोनों को अच्छे से मिला कर हर रोज़ सुबह मात्र 21 दिन खाने से अपस्मार या मिर्गी रोग बिलकुल सही हो सकता है।
- 1 तोला लहसुन को 2 तोले काले तिल के तेल में मिला कर खाने से भी अपस्मार या मिर्गी रोग ठीक हो सकता है।
तैलेन लेशुनं सेव्यं पयसा च शतावरी ।
ब्रामिरश्च मधुना सर्वापस्मारभेषजं ।।
- लहसन को तेल के साथ, शतावर को धुध के साथ और ब्राह्मी के रस को शहद के साथ सेवन करने से सब तरह के अपस्मार या मिर्गी ठीक हो जाते है
यह तीनो नुस्खे प्रमोतम है अनेको लोगो ने इन से लाभ लिया है पर वहमी और जल्दबाजी लोगो को इस से कम लाभ मिला है इस का इस्तेमाल करते समय धर्य रखे और लगातार करते रहे आप बिलकुल ठीक हो सकते है या किसी परिचित व्यक्ति को ठीक कर सकते है. Mirgi ka desi ilaj
अपस्मार या मिर्गी का दौरा तुरंत ठीक कैसे करें – Mirgi ka daura
- अपस्मार या मिर्गी का दौरा तुरंत ठीक करने के लिए कडवी तुरई (तोरयु , तोरई, Ridge gourd) को पानी में पीस कर एक महिन कपडे में रख ले और जिस रोगी को दौरा पड़ा हो उस के नाक में दो – चार बूंद टपका दें इसके नाक में टपकते ही मिर्गी से बेहोश हुआ मिर्गी का दौरा आये रोगी तुरंत होश में आ जायेगा .
- दूसरा नुस्खा आक के जड़ की छाल को बकरी के दूध में पीस कर एक कपडे में रख ले और मिर्गी आने पर रोगी के नाक में 3 – 4 बूंदे टपका देने से मिर्गी नष्ट हो जाती है और मिर्गी का दौरा आये रोगी को होश आने लगता है
- सफ़ेद पयाज का रस निकल कर बेहोश हुए रोगी के नाक में डालने से मिर्गी का दौरा आये रोगी को होश आ जाता है.
- मुलेठी के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से अपस्मार में लाभ होता है. 5 ग्राम मुलेठी को पेठे(कूष्माण्ड) के रस में महीन पीसकर 3 दिन तक खाने से अपस्मार में लाभ होता है.
- 100 ग्राम मुलेठी कल्क तथा 12 किलो आंवला से 750 ग्राम घृत को पकाकर प्रतिदिन 5 से 10 ग्राम मात्रा में सेवन करने से पित्तज अपस्मार में शीघ्र लाभ होता है.
Mirgi ka ilaj – यह इलाज करेंगे तो दोबारा मिर्गी का दौरा नहीं आएगा – मिर्गी का इलाज
मिर्गी का इलाज – यह इलाज करेंगे तो दोबारा मिर्गी का दौरा नहीं आएगा – Mirgi ka ilaj
मिर्गी का इलाज – Mirgi ka ilaj
Mirgi ka ilaj – दोस्तों आज हम आपको मिर्गी के दौरे के लिए अत्यंत विशेष प्रयोग बताने जा रहे हैं। आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों में इन प्रयोगों का उल्लेख मिलता है। यह प्रयोग अपनाने से मिर्गी के रोगियों को बहुत लाभ होता है। इसमें अनेकों रोग लेखक द्वारा स्वयं परीक्षित हैं. मिर्गी का दौरा आते ही रोगी को अंजन, धूनी या नस्य देकर होश में लाना चाहिए. जब होश आ जाए तो असल रोग नाशक दवा देनी चाहिए. इस रोग में दौरे के समय और दवाएं दी जाती हैं और मिर्गी चले जाने के बाद दूसरी दवाएं दी जाती हैं. तो आइए जाने मिर्गी का इलाज – Mirgi ka ilaj
मिर्गी का इलाज – सावधानी
जिस रोगी को मिर्गी का दौरा आये वो अधिकतर अपनी जीभ दांतों में काट लेता है, इसलिए मिर्गी का दौरा आते ही रोगी के मुंह में एक कपडा गोल करके डाल देना चाहए, वैसे आजकल रबर या लकड़ी के टुकड़े भी आते हैं, उनको डाल सकते हैं.
मिर्गी का इलाज – Mirgi ka ayurvedic ilaj
फस्द खोलना – Fasad Kholna – Mirgi ka ilaj
बहुत करके खून की मिर्गी में फस्द खोलते हैं, बसंत ऋतू में मिर्गी वाले के फस्द खोलना अच्छा है. रोगी की शक्ति देखकर खून निकलना चाहिए. फस्द खोलने के बाद सात दिन तक रोगी को आराम देना चाहिए.फस्द खोलने का काम वही करे, जिसे इस काम का अनुभव हो.
मिर्गी में तुरंत आराम – Mirgi me turant aaram
मिर्गी का नस्य – Mirgi ka ilaj
- सहजना, कूट, सुगंधबाला, जीरा, लहसुन, त्रिकुटा और हींग इनको बराबर पांच पांच माशे लेकर, पानी के साथ सिल पर महीन पीस लो. फिर इस लुगदी से चौगना तेल (सरसों, तिल, नारियल इत्यादि खाद्य तेलों में से कोई भी) और तेल से चौगुना बकरे का पेशाब लेकर एक बर्तन में डाल कर पका लो. जब मूत्र जल कर तेल बच जाए, उतर कर कपडे से छान कर तेल रख लो. इस तेल की नस्य लेने से मिर्गी या अपस्मार चला जाता है. mirgi ka ilaj
- अरीठे को पीस छान कर रख लो. नित्य इसकी नास अर्थात सूंघने से मिर्गी रोग नष्ट हो जाता है.
- सौंठ, कालीमिर्च, और पीपर सब बराबर बराबर लेकर सेंहुड के दूध में 20 दिन तक भिगो कर रख दो. फिर निकाल कर पानी के साथ सिल पर पीस लो, इसकी नस्य लेने से मिर्गी चली जाती है.(Mirgi ka ilaj लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- निर्गुन्डी के बन्दे के रस की नस्य लेने से बलवान मिर्गी भी चली जाती है.
- आक की जड़ की छाल बकरी के दूध में पीसकर एक कपडे में रख लो और मिर्गी आने पर 3 – 4 बूँद नाक में टपका दो. इस से मिर्गी नष्ट हो जाएगी. (मिर्गी का इलाज लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- कडवी तोरई पानी में पीसकर एक महीन कपडे में रख लो और बेहोश मिर्गी वाले की नाक में दो चार बूँद टपका दो . इसके टपकाते ही मिर्गी वाला होश में आ जायेगा. इस काम के लिए यह दवा जादू है. (यह Mirgi ka ilaj लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- मिर्गी के दौरे के समय ‘राई’ पीस कर सुंघाई जाने से मिर्गी वाले को होश हो जाता है.
- कटेरी की जड़ 3 माशे और भांग के बीज 3 माशे लेकर बालक के मूत्र में पीस लो, इसकी कई बूंदे नाक में टपकाने से मिर्गी जाती रहती है.
- छोटी कटेरी का दूध थोडा सा मिर्गी के दौरे के समय, नाक में टपकाओ. इससे मिर्गी चली जाती है.
- शरीफा अर्थात सीताफल के बीजों की गिरी को पीस लीजिये, इसको एक कपडे की बत्ती में रख लीजिये, इस बत्ती को आग दीजिये, धुआं निकलने पर इसका धुआं रोगी को सुंघाने से मिर्गी चली जाती है.
- ढाक (पलाश) की जड़ पानी में घिस कर नाक में टपकाओ, इससे मिर्गी चली जाती है.
- महुए की आधी गुठली और अढाई दाने कालीमिर्च पानी में पीसकर नाक में टपकाओ. इससे मिर्गी चली जाती है. यह दवा मिर्गी के समय खूब काम आती है.(लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- मुलेठी, हींग, बच, तगरपादुका, सिरस के बीज, लहसन, और कड़वा कूट इनको गौमूत्र में पीसकर आँखों में या नाक में नस्य देने से मिर्गी और उन्माद दोनों में लाभ होता है.
- जटामासी महीन पीसकर नाक में उसकी नास या धूनी देने से पुरानी मिर्गी भी चली जाती है.
- केवड़े के बाल का चूरा तम्बाकू की तरह सूंघने से मिर्गी आराम हो जाती है. (लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- सफ़ेद प्याज का रस नाक में डालने से मिर्गी में आराम आ जाता है.(लेखक द्वारा परीक्षित है.)
- कपिला गाय के मूत्र की नस्य मिर्गी रोग में परम हितकारी है.
- कालीमिर्च आदि तीक्षण पदार्थों की धूनी देने से अपस्मार चला जाता है.
मिर्गी के अंजन और लेप – Mirgi ka ilaj
- मुलेठी, हींग, बच, तगर, सिरस के बीज, लहसन और कड़वा कूट इन सबको बराबर बराबर लेकर बकरी के मूत्र में महीन पीस लो. इसको आँखों में अंजने से से मिर्गी रोग जाता रहता है. Mirgi ka ilaj
- शुद्ध मैनसिल, रसौत, गोबर और कबूतर की बीट इनको काजल के समान महीन पीस कर अंजन बना लो. इसके आंजने से मिर्गी और उन्माद दोनों नष्ट हो जाते हैं. (लेखक द्वारा परीक्षित है.) नोट – बेहोश रोगी के ऊपर पहले पानी का छींटा मारो, अगर होश ना आये तो ये अंजन लगाने से अवश्य ही रोगी को होश आ जायेगा. mirgi ka ilaj
- सफेद प्याज का रस नाक में टपकाने से और आँखों में आंजने से मिर्गी चली जाती है. (लेखक द्वारा परीक्षित है)
- सुश्रुत में लिखा है के पुराना घी पिलाने से और मालिश करने से मिर्गी में विशेष उपकार होता है.
- कैथ, शरद ऋतू की मूंग, नागरमोथा, खस, जौ, और त्रिकुटा इनको बराबर बराबर लेकर बकरी के मूत्र में घिसकर, बत्ती बना लो, बेहोशी की हालत में, इस बत्ती को घिस कर आँखों में आंजने से होश आ जाता है. यह बत्ती अपस्मार, उन्माद, सांप के काटे आदमी, आर्दित रोगी, विष खाने वाले और जल में डूब कर मुर्दे के जैसे हो जाने वाले को अमृत के समान है.
- नागरमोथा, बहेड़ा, त्रिफला, छोटी इलायची, हींग, नयी दूब, त्रिकुटा, उरद और जौ, इनको समान मात्रा में लेकर बकरी, भेड और बैल के मूत्र में पीसकर बत्ती बना लो. इस बत्ती का आँखों में अंजन करने से अपस्मार, उन्माद और विषम ज्वर नष्ट होते हैं. तथा लेप करने से किलास कोढ़ आराम हो जाता है. mirgi ka ilaj
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मिर्गी रोगी के खाने पीने की दवाएं – Mirgi rog me kya khaye
- लहसुन 10 ग्राम, और काले तिल ३० ग्राम इन दोनों को मिलाकर थोडा सा कूट लो, और सवेरे सवेरे शौच जाने के बाद 21 दिन तक खिलाने से मिर्गी चली जाती है. [लेखक द्वारा परीक्षित है] यहां मात्रा रोगी की आयु और बल के अनुसार कम ज्यादा की जा सकती है. और अगर तिल ना मिले तो काले तिलों का तेल चल जायेगा.
- लहसुन के तेल के साथ, शतावर को दूध के साथ और ब्राह्मी के रस को शहद के साथ सेवन से सब प्रकार के अपस्मार नष्ट हो जाते हैं. रोगी की आयु और बल देखकर मात्रा निर्धारित करें.
- उपरोक्त दोनों नुस्खे लेखक द्वारा अनेकों बार परीक्षित है. और इनकी अनेकों बार सफलता के साथ उपयोग किया जा चूका है. इनको धैर्य के साथ निरंतर सेवन करते रहने से आराम होता है.
- सरसों, संह्जना, सोनापाठा, अरलु और चिरचिरा समान मात्रा में लेकर पीस छान लो. इस चूर्ण की मात्रा 10 से 30 ग्राम है. इसका सेवन करने से मिर्गी चली जाती है. नोट – इसी चूर्ण को गौ मूत्र में पीसकर लेप करने से भी मिर्गी चली जाती है. इसी चूर्ण में चूर्ण से चौगुना गौ मूत्र और उतना ही तेल मिला कर पका लेने से उत्तम मिर्गी नाशक तेल तैयार हो जाता है. इस तेल की मालिश से भी मिर्गी चली जाती है. Mirgi ka ilaj
- छ माशे मुलेठी का पिसा छाना चूर्ण पेठे के 1 तोले रस में मिलाकर तीन दिन पीने से मिर्गी आराम हो जाती है. उत्तम नुस्खा है.
- ब्राह्मी के पत्तों का रस 1 तोला, कुलिंजन या अकरकरा का चूर्ण 3 माशे और शहद 3 माशे इनको मिलाकर नित्य सवेरे शाम सेवन करने से मिर्गी चली जाती है. मिर्गी, उन्माद और चितभ्रम जैसे रोगों पर यह रामबाण नुस्खा है. लेखक द्वारा खूब अजमाया हुआ है.
- शहद के साथ घोडा बच का चूर्ण चाटने से और दूध चावल खाने से पुराणी मिर्गी निश्चित ही आराम हो जाती है. लेखक द्वारा परीक्षित है. शाश्त्रों में कहा गया है के इसके तीन दिन के प्रयोग से ही मिर्गी चली जाती है.
- पोहकरमूल, पीपरामूल, ब्राह्मी, सौंठ, हरद, कचूर, चिरायता, कुटकी, सिरस की छाल, लाल रोहेडा, बच, दारुहल्दी, नागरमोथा, देवदारु, और कूट इनको कुल मिला कर 2 तोले ले लो. और आधा सेर पानी में औटा लो. जब आध पाव पानी रह जाए, रोगी को पिला दो. इस काढ़े से अपस्मार, उन्माद, ज्वर, विशुचिका, और कफ का नाश होता है.
- जिस मिर्गी के रोगी की छाती कांपती हो, हाथ पैर आदि अंग शीतल हो, नेत्रों में पीडा हो और शरीर में पसीने आते हों, उसे दशमूल का काढ़ा पिलाना चाहिए. ये बाज़ार में दशमूलारिष्ट के नाम से भी आता है.
गौमूत्र में सरसों पीसकर मिर्गी वाले के शरीर पर लेप करने और 6 माशे सरसों पीसकर खाने से भी लाभ होता है. इसके बारे में कहा गया है के “गोमूत्रयुक्त सिद्धार्थे प्रलेपयोद्वत्रने हिते| धूम्रतीक्ष्णानि नास्यानि दाह: सूच्या कपोलयो:||” गोमूत्र में सरसों पीसकर शरीर पर लगाना, मिर्च आदि तीक्ष्ण चीजों की नस्य या धूनी देना मिर्गी वाले को ये सब हितकारी है. Mirgi ka ilaj
मिर्गी में गले में पहनने के धागे – Mirgi ki mala.
- 21 जायफल लेकर उनमे छेद करो और उन्हें डोरे में पिरो कर माला बना लो, इस माला के पहनने वाले के पास मिर्गी नहीं आती.
- एक तोला असली हींग कपडे में बाँध कर गले में डाले रहने से मिर्गी चली जाती है.
- ‘हरी उदेसलीब’ को भुजा पर बाँधने से मिर्गी रोग चला जाता है. हरी उदेसलीब परमोत्तम है यदि हरी ना मिले तो सूखी ही बांधो.
मिर्गी का इलाज होने की परीक्षा.
मिर्गी वाले की नाक में अकरकरा महीन पीसकर फूंकना चाहिए. अगर फूंकने पर रोगी को छींक आ जाए तो रोग के आराम होने की आशा समझनी चाहिए.यह सबसे उत्तम परीक्षा है. और इलाज करते समय अगर रोगी के सर और मस्तक में सफ़ेद सफ़ेद दाग हो जाएँ तो समझ लेना चाहिए के मिर्गी आने का कारण नष्ट हो गया है. Mirgi ka ilaj
दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा ये लेख, इस लेख में मिर्गी का इलाज सम्बंधित आयुर्वेद के सभी नुस्खे आपसे शेयर किये हैं, आशा करते हैं के आपको ये सब बहुत अच्छे लगे होंगे, अगर आपका कोई सवाल हो तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं.