Saturday , 21 December 2024
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अपस्मार (मिर्गी ) रोग के शीघ्र लाभाकरी , अनुभूत व अचूक नुस्खे -जरुर प्रयोग में ले और अनुभव शेयर करे

अपस्मार (मिर्गी ) रोग के शीघ्र लाभाकरी , अनुभूत व अचूक नुस्खे -जरुर प्रयोग में ले और अनुभव शेयर करे

नमस्कार मित्रों हम आज आपके लिए लाये है मिर्गी से पीड़ित रोगी के लिए अचूक नुस्खे –

यह भयंकर रोग दौरे से आता है | दौरे के समय रोगी बेहोश होकर भूमि पर गिर पड़ता है और मुंह से झाग

आने लगता है | बिल्कुल होश नही रहता | हाथ-पांव ऐंठ कर अकड जाते है | कई बार ऐंठन नही होती है |

इस रोग के निमित कुछ अत्यन्त उपयोगी योग (नुस्खे) लिख रहे है ये सभी योग अनुभूत और अचूक है |

1 .- अपस्मार नाशक अपूर्व नस्य –

विधि –

मिट्टी के एक कूजे में चार-पांच लाल मिर्च रखकर उसमें एक  आक का टिड्डा छोड़ दे | वह एक दिन में मर

जायेगा | छाया में सुखाकर बारीक़ पिस ले और सावधानी के साथ शीशी में रख छोड़ें |यथा समय दौरे के

अवसर पर रोगी की दोनों नासिकाओ में एक-एक रती नस्य नलकी इत्यादि से पहुचाये , बहुत शीघ्र होश आ

जायेगा | इसी प्रकार दो तीन बार के प्रयोग से पूर्ण आराम हो जायेगा |

2 .- अपस्मार के लिए सन्यासी योग –

विधि –

पहली बार गाय ने जो बच्चा दिया हो उस नर बछड़े का गोबर लेकर इसको खरल में डालकर खूब खरल करे |

जब खुश्क होने को हो तब आक का दूध डाल कर खरल करे | खुश्क होने पर फिर दूध डाल लिया करे | बीस

बार हो जाने पर अच्छी प्रकार सुखा ले और इसमें आधे भाग के बराबर कालीमिर्च मिला कर खूब बारीक़

पीसकर शीशी में रख ले |आवश्यकता के समय आधा चावल जितनी दवा नाक में डालकर नलकी या ऐसी

अन्य वस्तु से फूंक मारे | उसी समय रोगी को होश आ जायेगा |

3 .- अपस्मारघ्न योग –

विधि –

आवश्कता बिच्छु लेकर मिट्टी के एक ऐसे कूजे में डाले जिसको पानी इत्यादि बिल्कुल न लगा हो | फिर कूजे को

अच्छी तरह कपरोटी करे | पूरी तरह सुख जाने पर दस-पन्द्रह सेर कन्डो के बिच में रखे और आग लगा दे |

सुबह जब आग ठंडी हो जाएगी उस समय कूजे को निकालकर देख ले कुछ कमी हो तो एक आग और दे | जब

बिच्छु बिल्कुल राख हो जाये बारीक़ पीसकर शीशी में रख ले | आवश्यकता के समय थोड़ी सी ओषधि रोगी के नाक

में रखकर फूंक मारे | तुरंत होश आ जायेगा | इसी प्रकार एक दो बार वापिस करने से इस रोग का सर्वनाश हो

जायेगा | यह साथ से आठ साल के बच्चों को भी दिया जा सकता हे |

4 .- अपस्मार का अदभुत इलाज –

विधि –

एक जायफल में छेद करके रोगी के गले में बांध दे और भेंस के खुर जलाकर राख कर ले | नित्य प्रति 3 ग्राम की

मात्रा में बारीक़ पीसकर पानी के साथ निराहार मुख रोगी को दे | इसके साथ गधे के खुर की अंगूठी बनाकर रोगी

के दाहिने हाथ वाली कनिष्टका ऊँगली में पहना दे इसी प्रकिया को एक सप्ताह तक जरी रखे | इससे वर्षो का

रोग कम समय में समूल नष्ट हो जायेगा | यह रोग अनुपम योग है |

 

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