Friday , 15 November 2024
Home » dysentery tritament » आंव की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी आयुर्वेदिक सरल उपचार .

आंव की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी आयुर्वेदिक सरल उपचार .

आंव की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी आयुर्वेदिक सरल उपचार .

परिचय –

यह रोग बरसात में होने वाला एक आम रोग है ,यह रोग  लिवर की खराबी के कारण होता है ,इसे पेचिश या खुनी दस्त भी कहते है ,तालाब या पोखर का दूषित जल पिने या नहाने से ,समय-असम भोजन करने से ,शीत युक्त स्थान पर काम करने से लोगो की पाचन-शक्ति कमजोर हो जाती है इसके परिणामस्वरूप अन्न न पचने के कारण बड़ी आंत में बहुत मल जमा हो जाता है और आंव युक्त दस्त पैदा कर देता है

लक्षण –

पेट में दर्द और शोच के समय मरोड़ इस बीमारी के प्रधान लक्षण हे जब रोग मामूली होता है ,तब तो ज्यादा तकलीफ नही होती ,सिर्फ मरोड़ के साथ बार-बार दस्त होता है ,और कई बार अधिक इच्छा के बावजूद भी दस्त नही होता है ,केवल जरा-सी सफेद आंव दस्त में होती है ,दिन रात में 5-10 से लेकर पचास-साथ बार तक दस्त होते है ,रोगी पेट में मरोड़ के कारण छटपटाने लगता है ,शरीर दुबर्ल ,नाडी तेज व क्षीण ,वमन आदि लक्षण होते है

आव के लिए उपयोगी उपचार –

बेल –

पके हुए बेल का शर्बत पुराने आंव के लिए बहुत मुफीद है ,इसके सेवन से बहुत शीघ्र लाभ होता है ,आंव में उपयोगी और पेट को साफ करने वाली बेल के समान कोई दूसरी दवा नही है .पके हुए बेल का गुदा वेसे ही खाया जा सकता है या बेल के गुदे को पानी में मसलकर शर्बत बनाकर ,उसे छानकर थोड़ी शक्कर व सोंफ मिलाकर सेवन करने से आंव में अत्यधिक लाभ होता है मात्रा -एक गिलास दिन में तीन या चार बार .

गाँवो में अक्सर लोग घरो में बेल के फल को सुखाकर रखते है ,जरूरत पड़ने पर सूखे बेल का चूर्ण ,सोंफ व सोंठ चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से आंव ठीक हो जाती है .

काली मकोय –

यह गाँव में बाड़ो पर अथवा अन्य पानी वाले स्थानों पर अधिकता से पायी जाती है .इसका फल मटर जितना बड़ा और जामुन के रंग का होता है ,बच्चे इसे तोडकर खाते है .यह आंव में रामबाण ओषधि है .इसका फल ,पता ,जड फुल जो भी उपलब्ध हो , उसमे जल डालकर बनाया गया जूस अत्याधिक उपयोगी है ,आधा चम्मच की मात्रा में इस जुस का दिन में तीन -चार बार उपयोग करना चाहिए .

इमली के बीज –

इमली के बीज आग में जलाकर उसकी राख बना ले ,इसे 3 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ लेने से आंव ठीक हो जाता है ,इसके अलावा गाँवो में कुछ लोग इसबगोल का बीज अथवा भूसी को दही में सेवन करते है ,इससे भी आंव लाभ होता है ,कहने में मुंग के दाल की खिचड़ी अथवा अच्छी तरह पकाए हुए आंवले दही के साथ खा सकते है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status