मूत्र रोग के कारण –
मूत्र रोग का सबसे बड़ा कारण बेक्टीरिया ,कवक हे .इसके कारण मूत्र के रस्ते और अन्य अंगो जेसे किडनी,युरेटर और पोस्टेट ग्रथी और योनी में भी इसका संक्रमन का असर होता हे .
मूत्र रोग के लक्षण –
- अधिक गंध वाला पेशाब होना
- पेशाब करने पर दर्द और जलन का होना
- कमजोरी मह्सूस होना
- बार -बार पेशाब की इच्छा होना
- मूत्र मार्ग में जलन रहना
- मूत्राशय में सुजन
यह रोग स्त्रियों में अधिक होता हे
मूत्र रोग में आयुर्वेदिक उपचार –
- आधा से 2 ग्राम शुद्ध शिलाजीत, कपूर और 1 से 5 ग्राम मिश्री मिलाकर लेने से अथवा 3 ग्राम कलमी शोरा उतनी ही मिश्री के साथ लेने से लाभ होता हे .
- एक भाग चावल को 14 भाग पानी में पकाकर उन चावलों का मांड पिने से मूत्ररोग में लाभ होता हे
- मूत्ररोग में शहद व् त्रिफला लेने से अत्यंत लाभ होता हे ,यह प्रयोग बुखार में न करे `
मूत्र रोगों में अन्य घरेलू प्रयोग-
- खीरा ककड़ी – मूत्र रोगों में खीरा बहुत लाभकारी हे अगर रोगी को 200 ML ककड़ी के रस में एक बड़ा चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर हर तिन घंटे से दिया जाये तो रोगी को बहुत आराम होता हे
- तरल पदार्थ – पानी या अन्य तरल का अधिक मात्रा में सेवन 15-15 मिनट के अंतर पर करने से रोगी को आराम होता हे
- मुली के पत्तो का रस -मूत्र रोगों में मुली के पत्तो का 100 मिली रस दिन में 3 बार सेवन करवाए यह एक रामबाण ओषधि के रूप में काम करती हे .
- नीबूं- नींबू एक गुणकारी ओषधि हे इसका रस मूत्राशय में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता हे तथा मूत्र में रक्त आने की स्थति में लाभ पहुचाता हे
- पालक- पालक का रस 125 मिली इसमें नारियल का पानी मिलाकर रोगी को पिलाने से बहुत फायदा होता हे
- गाजर- मूत्र की जलन में राहत प्राप्त करने के लिए दिन में दो बार आधा गिलास गाजर का रस में पानी मिलाकर पिने से फायदा होता हे
- मट्ठा – आधा गिलास मट्ठा में आधा गिलास जो का मांड मिलाये और इसमें नींबू का रस 5 मिली मिलाकर सेवन करे मूत्र रोग नष्ट हो जायंगे
- सोंफ – सोंफ के पानी को उबालकर ठंडा कर ले और दिन में 3 बार इसे थोडा-थोडा पिने से राहत मिलती हे