गला बेठना – रोग के लिए अपनाये ये उपचार और आसानी से बात करे |
परिचय –
गला बेठने पर रोगी आसानी से बात नही कर पाता एंव बोलने में गले में दर्द का आभास होता है
इस रोग में रोगी को खांसी एंव ज्वर भी सम्भावित है ,आयुर्वेद में इसे स्वरभंग कहते है .
कारण –
संक्रमण ,अधिक गरम या अधिक ठंडा पदार्थो का सेवन ,फेफड़ो में टी .बी .का संक्रमण ,बाहरी चोट आदि
उपचार –
1-मुलेहठी एंव बच का चूर्ण एक -एक चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करना लाभप्रद है ,गले के
बाहर से सूखी एंव गरम सिकाई करने से वांछित लाभ मिलता है ,ऐलादी वटी या खदिरादी वटी की गोलिया मुंह में
रखकर धीरे-धीरे चूसने से लाभ होता है .
2-बच का टुकड़ा मुंह में रखकर पानी की तरह धीरे-धीरे चबाकर उसका रस पेट में जाने दे ,इससे आवाज ठीक हो जाती
है ,किन्तु इस बात का ध्यान रखे की बच अधिक मात्रा में नही खानी चाहिए .
3-ब्रह्मी ,बच ,छोटी हरड ,अडूसे की जड़ एंव पीपल ,इन पांच ओषधि का चूर्ण 2 से 4 ग्राम तक शहद के साथ चाटने
से आवाज ठीक हो जाती है .
4-कब्ज होने पर यह रोग बढ़ जाता है ,यदि कब्ज हो तो रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण आधे चम्मच की मात्रा में
आवश्यकतानुसार सेवन करे .
पथ्य -अपथ्य –
अदरक ,कालीमिर्च ,नमक ,लहसुन ,मुनक्का ,किशमिश पथ्य है
दही ,अन्य खट्टे ,गरिष्ट ,तले हुए पदार्थ एंव अधिक ठंडी वस्तुए अपथ्य है .
ठंडी हवा एंव ठंडे पानी से बचाव करे ,विशेषकर गले पर ठंडी हवा न पड़ने दे .