Mulethi – मुलेठी लीवर किडनी हृदय कैंसर बालों के लिए अमृत से कम नहीं
मुलेठी – Mulethi – ज्येष्ठीमधु – Glycyrrhiza glabra in hindi
Mulethi मुलेठी वातपित्त शामक है, यह चर्मरोग नाशक, केश्य तथा शोथहर है, इस का प्रभाव मूत्रल, मूत्र विरजनय है, कफ निकालने वाला, गले के रोग, श्वांस के रोग, आँखों के रोग बलकारक, रसायन वाजीकारक, ज्वराघ्न है, गैस्ट्रिक अल्सर, कैंसर इत्यादि के लिए फायदेमंद है।
मुलेठी की पहचान – Mulethi ki pahchan
Mulethi मुलेठी का पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।
मुलेठी के उपयोग – Mulhethi ke use
सिरदर्द – आधासीसी में मुलेठी के प्रयोग.
- मुलेठी का चूर्ण एक भाग, इसका एक चौथाई भाग कलिहारी का चूर्ण तथा थोडा सा सरसों का तेल मिलाकर नासिका में नसवार की तरह सूंघने से किसी भी प्रकार की शिरोवेदना में लाभ होता है.
- मुलेठी एक ग्राम में 65 मि.ग्रा. वत्सनाभ चूर्ण मिलाकर अच्छी प्रकार मर्दन (घोट) कर 2 से 4 मि.ग्रा. की मात्रा में नस्य देने से सभी प्रकार के सिर दर्द समाप्त होते हैं. (यह प्रयोग चिकित्सक की देख रेख में किया जाना चाहिए.)
- मुलेठी चूर्ण को शहद में मिलाकर नस्य देने से आधासीसी में अत्यंत लाभ होता है.
Mulethi मुलेठी का इस्तेमाल बालों के लिए
- बाल बढाने के लिए मुलेठी के काढ़े से बालों की धुलाई करनी चाहिए.
- मुलेठी और तिल को भैंस के दूध में पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का झाड़ना बंद हो जाता है.
- 50 ग्राम मुलेठी कल्क(चटनी) तथा 750 ग्राम आंवला स्वरस से 750 ml तिल के तेल को पका कर नियमित रूप से 1 से 2 बूँद नाक में डालने से बाल असमय सफ़ेद नहीं होते और झड़ने भी बंद होते हैं.
नेत्र रोगों में मुलेठी का उपयोग
- मुलेठी के क्वाथ से आँखे धोने से नेत्र रोग दूर होते हैं, मुलेठी के चूर्ण में बराबर सौंफ मिलाकर एक चम्मच सुबह खाने से आँखों की जलन मिटती है, तथा नेत्रज्योति बढती है. मुलेठी को पानी में घिसकर इस पानी में रुई का फाहा भिगोकर आँखों पर बाँधने से आँखों की लालिमा मिटती है.
- मुलेठी एवम आंवले को पीसकर जल में मिलाकर अथवा उनके क्वाथ से स्नान, चक्षुप्रक्षालन(आँखों को धोने) अवम परिषेक करने से पित्त का शमन होकर तिमिर नामक नेत्र रोग में लाभ होता है.
- मुलेठी के सार में मधु मिलाकर अंजन करने से नेत्र रोगों का शमन (अंत) होता है.
Mulethi मुलेठी कर्ण रोग में
मुलेठी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से पित्तविकारजन्य कर्ण रोग में लाभ होता है.
मुलेठी नाक के रोगों में
3-3 ग्राम मुलेठी तथा शुंठी में छः छोटी इलायची तथा 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, क्वाथ बनाकर 1-२ बूँद नाक में डालने से नाक के रोगों का नाश होता है.
मुलेठी त्वचा निखारने के लिए
- मुलेठी को पानी में पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की रंगत निखरती है.
- मुलेठी को पीसकर लगाने से पसीने से होने वाली शरीर की दुर्गन्ध का शमन होता है.
मुलेठी मुख रोगों में.
मुलेठी के टुकड़े को मधु लगाकर चूसते रहने से मुन्ह के छालों में आराम होता है. बिना मधु के भी मुलेठी को चूसने से आराम मिलता है.
मुलेठी कंठ रोगों में
मुलेठी को मुंह में रखकर चूसने से स्वरभंग में लाभ होता है, एक गिलास दूध में 5 ग्राम मुलेठी 1 ग्राम घी डालकर पकाने के बाद इस दूध का सेवन करवाने से पित्ज स्वरभंग ठीक होता है, इलायची एवम मुलेठी चूर्ण का प्रतिसारण करने से कंठ रोगों में शीघ्र लाभ होता है.
Mulethi मुलेठी रक्तपित्त – रक्त्वमन में
- खून की उलटी आने पर मुलेठी और चन्दन पाउडर दोनों को १ से २ ग्राम बराबर मिलाकर पहले दूध में मिलाकर पीस लें और फिर इसको 50 मिली दूध के साथ थोडा थोडा करके पिला दीजिये. वमन में रक्त आना बंद हो जाता है. मुलेठी के साथ मधु लेने से भी रक्तवमन में फायदा होता है.
- मुलेठी नागरमोथा, इन्द्रजौ तथा मैनफल को सामान मात्रा में लेकर चूर्ण कर लीजिये, १ चम्मच चूर्ण को ३ से ५ ग्राम मधु के साथ मिलाकर दिन में ३ से ४ बार सेवन करने से रक्तपित्तजन्य छद्रि में लाभ होता है.
- ३ से ५ ग्राम मुलेठी का नियमित प्रातः सांय प्रयोग करने से रक्तपित्त में लाभ होता है.
- २ से ५ ग्राम मुलेठी चूर्ण में मधु मिलाकर या बराबर चन्दन, मुलेठी एवम लोध्र चूर्ण (२ से ४ ग्राम) में मधु मिलाकर चावलों के धोवन (तण्डूलोधक) के साथ सेवन करने से रक्तपित्त रोग में लाभ होता है.
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Mulethi मुलेठी श्वांस रोगों, खांसी और हिचकी में.
- मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखकर चूसने से खांसी में लाभ होता है, सुखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को शहद के साथ दिन में 3 बार चाटना चाहिए. इसका 20 -25 मिली क्वाथ प्रातः सायं पीने से श्वांस नलिका साफ़ हो जाती है.
- हिचकी आने पर मुलेठी को चुसना चाहिए.
- मुलेठी के चूर्ण में मधु मिलाकर नस्य लेने पर हिक्का का वेग शांत होता है.
- मुलेठी चूसने से तृष्णा (बार बार प्यास लगना) बंद होता है.
- मुलेठी का क्वाथ बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से श्वांस नली के विकारों का शमन होता है.
Mulethi मुलेठी हृदय रोगों में.
- मुलेठी तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर जल के साथ सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है. मुलेठी और कुटकी चूर्ण को बराबर मिलाकर 15 से 20 ग्राम मिश्री वाले पानी के साथ नियमित सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है.
- पित्तज हृदय रोग में दोषों के निवारण हेतु गंभारी, मुलेठी, मधु, शर्करा तथा कूठ के चूर्ण से वमन करना चाहिए तथा मुलेठी से पकाए हुए तेल में मधु मिलकर वस्ति देनी चाहिए.
Mulethi मुलेठी उदर (पेट) रोगों में.
- मुलेठी के चूर्ण को एक चम्मच एक कप गाय के दूध (ना मिले तो भैंस) से लेने से अल्सर में आराम होता है. (मिर्च मसाओं से परहेज करें)
- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करते रहने से पेट और आँतों की ऐंठन व् क्षोभ से उत्पन्न वेदना शांत होती है.
- २ से 5 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को जल और मिश्री के साथ सेवन करने से उदराधमान में लाभ होता है.
Mulethi मुलेठी किडनी लीवर और तिल्ली के रोगों में
- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर या इसका काढ़ा पीने से पांडू (पीलिया) रोग में लाभ होता है.
- १० से २० मिली मुलेठी के काढ़े या १ से २ ग्राम मुलेठी चूर्ण मधु में मिलकर सेवन करने से पीलिया और खून की कमी में लाभ होता है.
- मुलेठी चूर्ण एक चम्मच एक कप दूध के साथ सेवन करने से मुत्रदाह में लाभ होता है.
- मुलेठी और दारुहल्दी को बराबर मिलाकर चावल के धोवन (तण्डूलोधक) के साथ लेने से मुत्र्घात में लाभ होता है.
- गन्ने का जूस(१०० मिली), दूध(१०० मिली), मिश्री (१० ग्राम), द्राक्ष (५ ग्राम) तथा मुलेठी २ ग्राम मिलाकर पीने से मूत्र का रुक रुक कर आना, पथरी होना, मुत्र्कछ, मूत्र वेग ना आना इत्यादि में लाभ होता हैं.
Mulethi मुलेठी स्त्री रोगों में.
- २ चम्मच मुलेठी चूर्ण और ३ चम्मच शतावर चूर्ण मिश्री मिला कर एक कप दूध में उबाल कर सुबह शाम पीने से स्तन और स्तन का दूध बढ़ता है.
- अगर गर्भ में शिशु सूख रहा हो तो गंभारीफल, मुलेठी एवम मिश्री को बराबर मिलाकर 15 से 20 ग्राम की मात्रा प्रतिदिन गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भ में पल रहा शिशु मोटा ताज़ा होता है.
- २ ग्राम मुलेठी चूर्ण को ५ से १० ग्राम मिश्री मिलाकर चावल के धोवन के साथ पीसकर पीने से रक्त प्रदर में शीघ्र लाभ होता है.
Mulethi मुलेठी पुरुष रोगों में रसायन वाजीकरण
- प्रतिदिन मुलेठी चूर्ण २ से ४ ग्राम प्रातः काल गाय के दूध के साथ करने से मेधा की विशेष वृद्धि होती है, इससे आयुवृद्धि, रोगनाश, बल, अग्नि, स्वर, वर्ण आदि गुणों की वृद्धि होती है.
- २ से ४ ग्राम मुलेठी चूर्ण में घी(५ ग्राम) तथा मधु (२ ग्राम) मिलाकर दूध के साथ पीने से व्यक्ति सदा वृष्य गुणों से युक्त रहता है.
मुलेठी घाव (व्रण) में.
- अगर किसी शस्त्र से घाव हो गया है तो मुलेठी के चूर्ण में घी मिलाकर थोडा गर्म करके लगाने से वेदना शीघ्र शांत होती है. अथवा सुखोष्ण घृत में मुलेठी कल्क मिलाकर घाव का सिंचन करने से वेदना का शमन होता है.
- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते है.
- काले तिल की चटनी, हल्दी, दारुहल्दी, निशोथ, मुलेठी और नीम के पत्तों की चटनी में थोडा सा देसी घी मिलाकर घावों पर लेप करने से घावों का शोधन होता है.
- मुलेठी और कालेतिल मिलाकर पीसकर इसमें घी मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भरता है.
Mulethi मुलेठी अपस्मार मिर्गी में
- मुलेठी के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को घी में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से अपस्मार में लाभ होता है. 5 ग्राम मुलेठी को पेठे(कूष्माण्ड) के रस में महीन पीसकर 3 दिन तक खाने से अपस्मार में लाभ होता है.
- 100 ग्राम मुलेठी कल्क तथा 12 किलो आंवला से 750 ग्राम घृत को पकाकर प्रतिदिन 5 से 10 ग्राम मात्रा में सेवन करने से पित्तज अपस्मार में शीघ्र लाभ होता है.
[मिर्गी का इलाज – mirgi ka ilaj]
Mulethi मुलेठी कैंसर में
- मुलहठी में पाए जाने वाले Polyphenol जैसे Licocholcone कैंसर कोशिकाओं में Apoptosis(कैंसर की कोशिकाओं की मृत्यु) की प्रक्रिया को उत्तेजित करती है. मुलहठी में पाया जाने वाले Licocholcone नामक रासायन सबसे ज्यादा कैंसर रोधी है. जो Gastric cancer में अत्यधिक कारगर है.
- मुलहठी में पाया जाने वाले Glycyrhizinic acid 11 Beta – Hydroxy Steroid Dehydrogenase type – II को रोकता है, जो के Colorectal (बड़ी आंत और मलद्वार के आसपास) कैंसर का कारण बनता है.
- मुलहठी में पाया जाने वाला Liquiritigenin नामक रासायण Aromatase Enzyme को ब्लाक करता है और इसका ये गुण Breast cancer के इलाज में बहुत कारगर है, क्यूंकि कुछ Breast Cancer में Estrogen की मात्रा ज्यादा होना एक कारण माना जाता है और Aromatase Enzyme जब ब्लाक हो जाता है तो Estrogen बनने की प्रक्रिया कम हो जाती है, जिस से Estrogen Level कम हो जाता है. ब्रैस्ट कैंसर में रोगी को Anastrozole, Exemestane, Letrozole नामक दवाइयां दी जाती हैं जो के Aromatase Inhibitor का काम करती हैं.
- इसके अन्दर पाए जाने वाले Flavnoid एंटी ऑक्सीडेंट का काम करते हैं जो कोशिकाओं को Free Radical के प्रभाव से बचाते हैं. इसका यही गुण इसको कैंसर रोधी और कैंसर से लड़ने में विशिष्ट बनाता है.
धन्यवाद बाद आपका।।। जयश्रीराधेकृष्ण
हेलो sir हमारे गाल में एक मास्सा था उसको चुना और निरमा लगा के काट दिया मास्सा तो काट गया लेकिन वहाँ पर हल्की सूजन और वह की तवचा टाइट हो गयी है क्या करे रिप्लाइ प्लीज
देसी घी लगाओ वहां पर.
bhut he kaam ki jaankari share ki hai aapne.